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लखनऊ: कोरोना पर जीती जंग, लेकिन ब्लैक फंगस ने ले ली महिला की जान

जानकारी के मुताबिक लख़नऊ के लोहिया संस्थान के होल्डिंग एरिया में एक महिला को लाया गया था. उन्हें आंखों में स्वेलिंग और काले पन की शिकायत थी. डॉक्टरों को म्यूकोरमायकोसिस का शक हुआ और उन्होंने उस महिला का सीटी स्कैन करवाया.

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ब्लैक फंगस यानी की म्यूकोरमायकोसिस की बीमारी भी तेजी से फैल रही है. इस ब्लैक फंगस की वजह से कई लोग अपनी आंखों की रोशनी गवा बैठे हैं. अब उत्तर प्रदेश के लखनऊ में भी एक महिला ने ब्लैक फंगस की वजह से दम तोड़ दिया है. बताया गया है कि इस महिला ने कोरोना पर जीत दर्ज कर ली थी, लेकिन बाद में उनमें ब्लैक फंगस के लक्षण दिखे और उनकी मौत हो गई.

लखनऊ में ब्लैक फंगस से पहली मौत

जानकारी के मुताबिक लखनऊ के लोहिया संस्थान के होल्डिंग एरिया में एक महिला को लाया गया था. उन्हें आंखों में स्वेलिंग और कालेपन की शिकायत थी. डॉक्टरों को म्यूकोरमायकोसिस का शक हुआ और उन्होंने उस महिला का सीटी स्कैन करवाया. सीटी में ये बात पुख्ता हो गई कि उस महिला ने कोरोना निगेटिव होने के बाद खुद को ब्लैक फंगस का शिकार बना लिया. डॉक्टरों ने बताया कि उनका इलाज किया जा रहा था,लेकिन क्योंकि संक्रमण इतना ज्यादा फैल चुका था कि उन्हें बचाया ना जा सका. महिला को शुगर की भी समस्या थी. इस केस को लखनऊ में कोरोना संक्रमण के बाद ब्लैक फंगस से मरीज की मौत का पहला मामला बताया जा रहा है.

यूपी में तेजी से बढ़े ब्लैक फंगस के मामले

बता दें कि लखनऊ के केजीएमसी में ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमायकोसिस बीमारी वाले 8 मरीज देखे गए हैं. वहीं केजीएमयू के अलावा लोकबंधु और लोहिया संस्थानों में भी एक दर्जन ऐसे केस देखने को मिले हैं. सभी का इलाज किया जा रहा है. बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच ब्लैक फंगस एक बड़ी चुनौती बन सरकार के सामने आया है. महाराष्ट्र में भी इस बीमारी के कई मरीज सामने आ चुके हैं. अब दूसरे राज्यों में भी ऐसे केस देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में अब सिर्फ कोरोना को हराने पर जोर नहीं देना है, बल्कि इस ब्लैक फंगस पर कैसे काबू पाया जाए, इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

इस बारे में ICMR ने क्या कहा है?

वैसे इस सिलसिले में ICMR की तरफ से भी एक एडवाइजरी जारी की गई है. इस नई बीमारी के बारे में बताते हुए कहा गया है कि जिन लोगों की डाइबिटीज अनियंत्रित है और जो कोविड मरीज ज्यादा दिन तक आईसीयू में रहे हैं, अगर सही समय पर इलाज ना किया जाए तो उनके लिए ब्लैक फंगस जानलेवा हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना संक्रमित या संक्रमण से ठीक हुए लोगों के शरीर में बीमारी से लड़ने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है.