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कितने साल में आपका निवेश हो जाएगा दोगुना? इस रूल से जान सकते हैं

पैसा डबल कर देना भारत में निवेशकों का दशकों पुराना आकर्षण रहा है. कुछ दशक पहले जब ब्याज दरें ज्यादा थीं, तो 5-6 साल में ही लोगों का पैसा डबल हो जाता था, लेकिन अब तो इसके लिए 10 साल से ज्यादा लग जाते हैं. आप एक सिम्पल सा​ नियम फॉलो कर यह समझ सकते हैं कि आपका पैसा कितने साल में डबल हो सकता है, जिसे ‘रूल ऑफ 72’ कहते हैं. \

क्या होता है रूल ऑफ 72: सबसे पहले तो यह जानते हैं कि रूल ऑफ 72 यानी 72 का नियम है क्या? यह असल में गणित के समीकरण पर आधारित तकनीक है, जिससे बेहद आसानी से यह पता लगाया जा सकता है कि आपका पैसा कितने साल में दोगुना हो सकता है. इस नियम के मुताबिक ब्याज दर को 72 में भाग देने से जो नतीजा आता है, उतने साल में किसी व्यक्ति का निवेश दोगुना हो सकता है.

उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति ने किसी बैंक एफडी में अपना एक लाख रुपया लगा रखा है, जिसमें हर साल महज 6 फीसदी का ही ब्याज मिल रहा हो, तो उसका निवेश बढ़कर दो लाख रुपये तक होने में 72/6 = 12 यानी 12 साल लग सकते हैं. दूसरी तरफ अगर किसी ऐसे कॉरपोरेट एफडी में 1 लाख रुपये लगा रखा है, जिसमें सालाना 9 फीसदी का ब्याज लगता है तो उसका पैसा दोगुना होने मे 72/9 = 8 यानी आठ साल ही लगेंगे. यह फॉर्मूला लगभग पूरी तरह से काम करता है. टैक्सेज या अन्य वजह से बस थोड़ा बहुत समय का अंतर आ सकता है.

कहां होता है जल्दी पैसा दोगुना: अब हम आपको बताते हैं कि मौजूदा दिनों में आपका पैसा कहां जल्दी दोगुना हो सकता है. आजकल ज्यादा रिटर्न ब्याज दर आपको कॉरपोरेट एफडी या म्यूचुअल फंड में मिल सकता है. किसी अच्छे इक्विटी म्यूचुअल फंड में आपको सालाना 12 फीसदी तक भी रिटर्न मिल सकता है. तो आपको पैसा नियम 72 के मुताबिक सिर्फ 6 साल में दोगुना हो सकता है.

लेकिन इक्विटी म्यूचुअल फंड शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से जुड़ा होता है, इसलिए इसमें जोखिम होता है. है. इसकी जगह आप किसी शॉर्ट, मीडियम या लॉन्ग टर्म के डेट म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं, जिनमें जोखिम कम होता है. ऐसे किसी फंड में आपको करीब 8 फीसदी का रिटर्न मिल सकता है. इससे करीब 9 साल में आपका पैसा दोगुना हो सकता है.

इसी तरह कॉरपोरेट एफडी में आपको 8 से 12 फीसदी का रिटर्न मिल सकता है और पैसा इसी अनुरूप 9 से 6 साल में दोगुना हो सकता है. लेकिन इस बात का ध्यान रखिएगा कि कॉरपोरेट एफडी में भी रिस्क होता है. इसलिए हमेशा नामी-गिरामी यानी मजबूत कंपनी के एफडी में निवेश करें और यह देखें कि उसके एफडी को रेटिंग एजेंसियों ने अच्छी रेटिंग दी हो.