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UP: फिर गठबंधन की अटकलों पर बोले राजभर- बीजेपी डूबती नैया, हम नहीं होंगे सवार

ओम प्रकाश राजभर ने ट्वीट करके कहा, ‘भाजपा डूबती हुई नैया है, जिसको इनके रथ पर सवार होना है, हो जाये, पर हम सवार नहीं होंगे, जब चुनाव नजदीक आता है तब इनको पिछड़ों की याद आती है जब मुख्यमंत्री बनाना होता है तो बाहर से लाकर बना देते है.’

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने छोटे दलों को लुभाने की कोशिश कर दी है. अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के बाद बीजेपी ने एक बार फिर ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी पर डोरे डाल रही थी, लेकिन राजभर ने ऐलान कर दिया है कि वो बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे.

ओम प्रकाश राजभर ने ट्वीट करके कहा, ‘भाजपा डूबती हुई नैया है, जिसको इनके रथ पर सवार होना है, हो जाये, पर हम सवार नहीं होंगे, जब चुनाव नजदीक आता है तब इनको पिछड़ों की याद आती है जब मुख्यमंत्री बनाना होता है तो बाहर से लाकर बना देते है, हम जिन मुद्दों को लेकर समझौता किये थे साठे चार साल बीत गया एक भी काम पूरा नहीं हुआ.’

पूर्व मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा, ‘यूपी में शिक्षक भर्ती में पिछड़ों का हक लुटा, पिछड़ों को हिस्सेदारी न देने वाली भाजपा किस मुंह से पिछड़ों के बीच मे वोट मांगने आएगी, इनको सिर्फ वोट के लिए पिछड़ा याद आते हैं, हमने भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया है जो भी यूपी में भाजपा को हराना चाहते है हम उनसे गठबंधन करने को तैयार है.’

राजभर को साधने में जुटी थी बीजेपी

बीजेपी ने ओमप्रकाश राजभर के साथ एक बार फिर गठबंधन करने की कोशिश शुरू की थी. पूर्वांचल के एक बड़े बीजेपी नेता के जरिए ओमप्रकाश राजभर से संपर्क किया जा रहा था. पूर्वांचल के यह नेता दिल्ली दरबार से बेहद करीब बताए जाते हैं. इतना ही नहीं ओम प्रकाश राजभर के साथ भी उनके अच्छे रिश्ते हैं.

सूत्रों की मानें तो ओम प्रकाश राजभर के साथ बीजेपी के बड़े नेता की दो दौर की बातचीत भी हो गई थी. इस दौरान रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को लागू करने के साथ-साथ उन्हें योगी कैबिनेट में दोबारा से एंट्री का भरोसा दिलाया गया. हालांकि, ओम प्रकाश राजभर नहीं माने, उन्होंने खुलकर बीजेपी के साथ गठबंधन करने के इनकार दिया है.

छोटे दलों से फिर गठबंधन कर रही है बीजेपी

2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी अपने समीकरण और गठबंधन को पूरी तरीके से दुरुस्त करना चाहती है. इसी क्रम में बीजेपी ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के साथ संपर्क किया था. 2019 के लोकसभा चुनाव के मतदान खत्म होने के अगले ही दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओमप्रकाश राजभर को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया था.

पूर्वांचल में राजभर अहम फैक्टर

पूर्वांचल के कई जिलों में राजभर समुदाय का वोट राजनीतिक समीकरण बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है. यूपी में राजभर समुदाय की आबादी करीब 3 फीसदी है, लेकिन पूर्वांचल के जिलों में राजभर मतदाताओं की संख्या 12 से 22 फीसदी है. राजभर समुदाय घाघरा नदी के दोनों ओर की सियासत को प्रभावित करता है. गाजीपुर, चंदौली, मऊ, बलिया, देवरिया, आजमगढ़, लालगंज, अंबेडकरनगर, मछलीशहर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर और भदोही में इनकी अच्छी खासी आबादी है, जो सूबे की करीब चार दर्जन विधानसभा सीटों पर असर रखते हैं.

ओमप्रकाश राजभर से दूरी के बाद यूपी की सत्ता पर काबिज बीजेपी ने राजभर वोटों को साधने के लिए अनिल राजभर को मोर्चे पर लगाया है. उन्हें राजभर के नेता के तौर पर बीजेपी लगातार प्रोजेक्ट कर रही है, जिसके लिए ओम प्रकाश को गृह जिला बलिया का प्रभारी भी पार्टी ने बना रखा है. इसके बावजूद पंचायत चुनाव में जिस तरह से पूर्वांचल में राजभर समुदाय ने ओम प्रकाश के पक्ष में लामबंद रहे. इतना ही नहीं गाजीपुर, मऊ, वाराणसी, बलिया और आजमगढ़ में कई सीटें मिली हैं, जिसके चलते दोबारा से बीजेपी में लाने की प्रक्रिया तेज हो गई है.