Sportsखेल/क्रिकेट

जिस पहलवान ने विनेश को हराया, उसी की परफॉर्मेंस पर टिका है फोगाट का ब्रॉन्ज का सपना

विनेश के पास अभी भी मेडल जीतने का मौका है, लेकिन इसके लिए विनेश को Vanes kaladzinskyaya के परफॉर्मेंस पर निर्भर होना होगा. अगर वनेसा फाइनल में पहुंचती हैं तभी विनेश के लिए कांस्य पदक का रास्ता खुलेगा.

53 किलो भार वर्ग में विनेश फोगाट अपने प्रतिद्वंदी बेलारूस की वनेसा के जोरदार पंच के सामने नहीं टिक सकीं. बेलारूस की Vanes kaladzinskyaya के हाथों उन्हें 3-9 से शिकस्त मिली है. विनेश के पास मेडल जीतने का मौका है, लेकिन इसके लिए विनेश को Vanes kaladzinskyaya के परफॉर्मेंस पर निर्भर होना होगा. अगर वनेसा फाइनल में पहुंचती हैं तभी विनेश के लिए कांस्य पदक का रास्ता खुलेगा. इसके लिए रेपचेज नियम को समझना जरूरी है.

क्या होती है रेपचेज और कैसा है नियम ?

रेपचेज शब्द फ्रांसीसी शब्द रेपेचर आया है. इसका मतलब बचाव करना. इंटरनेशनल रेसलिंग यानि कुश्ती में रेपचेज राउंड किसी भी खिलाड़ी के लिए हार को भुलाकर वापसी करने का मौका होता है. जो भी पहलवान अपने शुरुआती मुकाबले में हारकर बाहर हो जाते हैं उनके पास मेडल जीतने का मौका होता है. ऐसा तभी संभव है जब वो खिलाड़ी फाइनल में पहुंच जाए जिसने उसे हराया था. ऐसा होने पर कांस्य पदक जीतने के लिए शुरुआती राउंड में हारे खिलाड़ियों को मौका मिलता है.

पहला मुकाबला जीती थीं विनेश

विनेश फोगाट ने आज अपने पहले मुकाबले में स्वीडन की पहलवान सोफिया मैटसन को 7-1 से शिकस्त दी थी. सोफिया मैटसन रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीत चुकी थीं, लेकिन विनेश ने उन्हें 7-1 आसानी से शिकस्त देकर महिलाओं के 53 किलो भारवर्ग के मुकाबले में क्वार्टरफाइनल में प्रवेश कर गईं.

गौरवशाली रहा है अतीत

26 वर्षीय विनेश फोगाट 2016 के रियो ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. जहां क्वार्टर फाइनल मुकाबले के दौरान उनका घुटना फ्रैक्चर हो गया था और वह कराहते हुए मैट से लौटी थीं.

भिवानी में पैदा हुईं विनेश फोगाट रेसलिंग की दुनिया में किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. उनकी चचेरी बहनें गीता, बबीता और रितु फोगाट भी इस खेल में अपना दमखम दिखा चुकी हैं. विनेश ने 2013 में दिल्ली में आयोजित एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप के 51 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीतकर सुर्खियां बटोरी थीं. इसी साल उन्होंने जोहानिसबर्ग में हुई राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप के 51 किलो भार वर्ग में रजत पदक हासिल किया.

इसके बाद विनेश फोगाट ने 2014 राष्ट्रमंडल खेलों के 48 किलो भारवर्ग में पीला तमगा हासिल किया. फिर विनेश ने 2018 के कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स के 50 किलो भारवर्ग का स्वर्ण पदक भी अपने नाम किया. इसी के साथ विनेश कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर बन गईं.

टोक्यो का सफर

विनेश फोगाट ने 2019 में कजाकिस्तान में आयोजित विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के जरिए ओलंपिक का टिकट हासिल किया था. विनेश ने 53 किलो भारवर्ग के रेपचेज रांउड-2 में वर्ल्ड नंबर-1 अमेरिकी रेसलर सारा हिल्डेब्रांट को 8-2 से धूल चटाकर टोक्यो जाना सुनिश्चित किया. इसके बाद उन्होंने ग्रीस की मारिया प्रेवोलाराकी को मात देकर कांस्य पदक पर कब्जा जमाया.

हाल का प्रदर्शन

विनेश फोगाट ने जून 2021 में आयोजित पोलैंड ओपन के 53 किलो भारवर्ग का स्वर्ण पदक अपने नाम किया. 26 साल की विनेश का इस सत्र में यह तीसरा खिताब था. इससे पहले उन्होंने मार्च में माटियो पेलिकोन और अप्रैल में एशियाई चैम्पियनशिप का स्वर्ण पदक भी अपनी झोली में डाला था. एशियाई चैम्पियनशिप में विनेश का दबदबा इस कदर था कि उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में एक भी अंक नहीं गंवाया.