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भूपेंद्र पटेल ने गुजरात सीएम की रेस में नितिन पटेल को कैसे पछाड़ा? जानिए क्या थे राजनीतिक समीकरण

गुजरात में विजय रुपाणी के इस्तीफे के बाद नए मुख्यमंत्री की रेस में छह नेताओं के नाम की चर्चा चल रही थी, जिनमें उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल को सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था. लेकिन, पहली बार विधायक भूपेंद्र पटेल ने उन्हें पछाड़कर सीएम की कुर्सी पर काबिज हो गए हैं. भूपेंद्र के सीएम बनने की रेस में पटेल समुदाय के सामाजिक और आर्थिक विकास को समर्पित संगठन सरदारधाम विश्व पाटीदार केंद्र के ट्रस्टी होना ट्रप कार्ड साबित हुआ है.

गुजरात के नए मुख्यमंत्री के तौर पर भूपेंद्र पटेल ने सोमवार को शपथ ले ली. विजय रुपाणी के इस्तीफे के बाद नए मुख्यमंत्री की रेस में छह नेताओं के नाम की चर्चा चल रही थी, जिनमें उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल को सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था. लेकिन, बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने गुजरात की कमान ऐसे नेता को सौंप दी, जिसके नाम का अनुमान कोई लगा ही नहीं पाया था. पहली बार विधायक चुनकर आए भूपेंद्र पटेल बीजेपी के दिग्गज नेता और गुजरात के डिप्टी सीएम नितिन पटेल पर भारी पड़ गए.

गुजरात के सत्ता की कमान 59 साल के भूपेंद्र पटेल के हाथों में थमा दी गई है. भूपेंद्र पटेल पहली बार 2017 में विधायक चुने गए हैं और पहली बार में ही वो राज्य के मुख्यमंत्री बन गए हैं जबकि नितिन पटेल पांच बार के विधायक और नरेंद्र मोदी से लेकर आनंदीबेन और रुपाणी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. इसके बावजूद बीजेपी ने नितिन पटेल की जगह भूपेंद्र पटेल को गुजरात का नया मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया.

दरअसल, नितिन पटेल को 2017 के बाद मुख्यमंत्री का सबसे बड़ा दावेदार माना गया था, लेकिन ऐन मौके पर अमित शाह ने विजय रुपाणी को आगे बढ़ाकर उनका पत्ता साफ़ कर दिया था. इसके बाद उनसे वित्त मंत्रालय भी ले लिया गया था, लेकिन जब उन्होंने विरोध जाहिर किया तो वित्त मंत्रालय तो उन्हें मिल गया, लेकिन मुख्यमंत्री पद की रेस से वे साइडलाइन होते गए. इस बार भी नितिन पटेल सीएम के प्रमुख दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने भूपेंद्र पटेल के नाम पर मुहर लगाई.

नितिन पटेल पर भूपेंद्र पटेल भारी पड़े

गुजरात के डिप्टीसीएम नितिन पटेल की अपनी राजनीतिक साख है. वो बीजेपी के पुराने और दिग्गज नेता हैं और कड़वा पटेल से आते हैं. राज्य में कुल पटेल वोटों का 30 फीसदी कड़वा पटेल और 70 फीसदी लेउव पटेल हैं. 2015 में शुरू हुआ पाटीदार आरक्षण आंदोलन को मुख्य रूप से कडवा पटेलों ने नेतृत्व किया था. कड़वा पटेल हमेशा इस बात से नाखुश रहा है कि पिछले 4 पटेल मुख्यमंत्री लेउवा पटेल से थे. हार्दिक पटेल की अगुवाई में हुए आरक्षण आंदोलन के जरिए कड़वा पटेल सत्ता में बड़ा हिस्सा चाहता था.

सूत्रों का कहना है कि गुजरात में पटेल की भावना को बहुत ही सावधानीपूर्वक मूल्यांकन के बाद बीजेपी ने नितिन पटेल की जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना है. बीजेपी में मिली प्रतिक्रिया यह है कि नितिन पटेल कड़वा पटेल जाति का एक मजबूत नेता हैं, लेकिन उनका अपने पाटीदार समाज में गहरी पकड़ नहीं है. यही कमजोरी नितिन पटेल के सीएम बनने की रेस में सबसे बड़ी रोड़ा बनी.

वहीं, भूपेंद्र पटेल की कड़वा पटेल से आते हैं. उनके सीएम बनने की रेस में सबसे अहम बात यह थी कि वो पटेल समुदाय के सामाजिक और आर्थिक विकास को समर्पित संगठन सरदारधाम विश्व पाटीदार केंद्र के ट्रस्टी भी हैं. यह संस्था राज्य के कडवा पटेलों के बीच शक्ति का केंद्र माना जाता है. भूपेंद्र पटेल का सीएम बनने में सरदारधाम विश्व पाटीदार केंद्र का ट्रस्टी होना सबसे अहम कड़ी साबित हुई.

नितिन पटेल के नाम पर गुटबाजी का खतरा

बीजेपी पर पटेल मुख्यमंत्री देने का दबाव बढ़ रहा था, लेकिन मौजूदा विधानसभा में 28 बीजेपी विधायक पटेल ही हैं और दिलचस्प है कि बीजेपी के जिन छह नेताओं का नाम मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर उभरा था, उनमें सभी पटेल समुदाय से आते हैं. ऐसे में बीजेपी के शीर्ष नेताओं के दिमाग में था कि नितिन पटेल के मुख्यमंत्री बनने से पार्टी में अन्य वरिष्ठ दावेदारों के नाराज होने का खतरा था, जिससे पार्टी के अंदर गुटबाजी बढ़ सकती थी.

बीजेपी गुजरात के उन नेताओं के बीच मजबूत गुटबाजी से अवगत है, जो पिछले 20 वर्षों से राज्य की राजनीति में है और उनके बीच सत्ता की कमान लेने की लालसा भी है. ऐसे में बीजेपी ने पुराने नेताओं को नजरअंदाज कर नए चेहरे भूपेंद्र पटेल को सीएम चुना है. भूपेंद्र पटेल 2017 में पहली बार विधायक चुने गए हैं .

भूपेंद्र पटेल की पहचान गुजरात में पटेल समुदाय के नेता के तौर पर नहीं रही है ना ही किसी मंत्रालय में काम करने का अनुभव ही उनके पास है, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि भूपेंद्र पटेल ने किस तरह से इन विधायकों को पछाड़ा. भूपेंद्र पटेल राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के खेमे के नेता रहे हैं. बाद में अमित शाह से भी उनके संबंध अच्छे कर लिए थे.

माना जा रहा है कि भूपेंद्र पटेल का बीजेपी में राजनीतिक उदय गुजरात में पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल काट के रूप में है, जो वर्तमान में गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. बीजेपी को उम्मीद है कि उसके इस दांव से राज्य में आम आदमी पार्टी के उदय पर भी अंकुश लगेगा, क्योंकि पाटीदारों के बीच कांग्रेस की गिरती लोकप्रियता से उसे फायदा हो रहा था. सूरत के नगरपालिका चुनाव नतीजों में आम आदमी पार्टी को मिली जीत साफ संकेत है कि वह पकड़ मजबूत कर रही है.

भूपेंद्र पटेल के जरिए सियासी संदेश

भूपेंद्र पटेल के जरिए बीजेपी ने गुजरात के पटेल समुदाय को बड़ा सियासी संदेश दिया है. रविवार की सुबह सीएम के रूप में नए कार्यभार के लिए फोन आने से पहले भूपेंद्र पटेल अपने निर्वाचन क्षेत्र में पेड़ लगा रहे थे. सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री के साथ मृदुभाषी राजनेता और कोई आपराधिक मामला नहीं है. 1994 में चुनावी राजनीति में अहमदाबाद जिले मेमनगर नगर पालिका में पार्षद के रूप में एंट्री की थी.

1987 में आनंदीबेन पटेल के संपर्क में आए और भाजपा में शामिल हो गए. इसके बाद 2012 में आनंदीबेन की सीट पर चुनावी प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली. 2017 में आनंदीबेन की सीट विधायक चुने गए. ऐसे में पीएम मोदी ने भूपेंद्र पटेल के चयन के माध्यम से पाटीदार मतदाताओं को संकेत दिया है कि आनंदीबेन राज्य से बाहर हो सकती हैं लेकिन उनका कहना अभी भी पार्टी के लिए मायने रखता है. अभी तक गुजरात में सीएम की कुर्सी पर लेउवा पटेल का कब्जा रहा है, लेकिन पहली बार कड़वा पटेल को सत्ता की कमान मिली है. इस तरह से बीजेपी की दोनों ही पटेलों को अपने काबिज में लेने का दांव चला है.

केड़वा पटेल जिनकी उत्तरी गुजरात और सौराष्ट्र क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति है, उनका उत्थान भाजपा द्वारा क्षेत्रीय मजबूती का भी हिस्सा है. जुलाई में मनसुख मंडाविया, पुरुषोत्तम रूपाला और महेंद्र मुंजपुरा को पीएम की मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया था. वे सौराष्ट्र क्षेत्र से हैं. दक्षिण गुजरात के सूरत से दर्शन जरदोश को परिषद में कपड़ा और रेलवे राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया था, जबकि राज्य भाजपा अध्यक्ष और पीएम मोदी के विश्वासपात्र सीआर पाटिल (नवसारी सांसद) भी उसी क्षेत्र से हैं. ऐसे में भूपेंद्र पटेल को अहमदाबाद क्षेत्र से चुनकर क्षेत्रीय बैलेस बनाया है.