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2027 तक बंद हो पेट्रोल वाले 2-व्हीलर्स की सेल! इस बड़े उद्योगपति की मांग

देश में इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर सेगमेंट तेजी से बढ़ रहा है. Ola, Ather, Simple, Okinawa जैसी कई कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट उतारे हैं. ऐसे में देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी का कहना है कि देश में पेट्रोल वाले 2-व्हीलर्स की बिक्री के लिए 2027 की डेडलाइन तय कर देनी चाहिए.

इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स को लेकर लोगों के बीच नया रूझान देखा जा रहा है. तभी तो Ola Scooter ने सिर्फ 2 दिन में 1100 करोड़ रुपये के इलेक्ट्रिक स्कूटर बेच दिए. लेकिन अब देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी ने मांग रखी है कि देश में पेट्रोल वाले 2-व्हीलर्स की बिक्री के लिए 2027 की डेडलाइन तय कर देनी चाहिए.

Hero Electric के नवीन मुंजाल की मांग

देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी Hero Electric के एमडी नवीन मुंजाल (Naveen Munjal) का कहना है कि भारत को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी वाला देश बनाने के लिए 2027 तक पेट्रोल वाले 2-व्हीलर्स की बिक्री बंद कर देना चाहिए.

ब्लूमबर्ग ने उनके हवाले से लिखा है, ‘‘ नए वाहनों (2-व्हीलर्स) की बिक्री को 100% इलेक्ट्रिक व्हीकल की सेल बनाने के लिए 2027 का समय सही रहेगा. यदि इस लक्ष्य को बाजार के ऊपर छोड़ दिया गया तो फिर ये बदलाव अपनी गति से होगा और ये जितनी तेजी से हो सकता है उससे बहुत धीमी रफ्तार से होगा.’

डेडलाइन तय करने से कंपनियां करेंगी काम

मुंजाल ने कहा कि यदि 2-व्हीलर्स सेगमेंट का इलेक्ट्रिफिकेशन करना है तो स्पष्ट और कड़ी डेडलाइन से Hero Electric जैसी कंपनियां तेजी से EV को बढ़ावा देंगी.

उन्होंने कहा, ‘एक बार लक्ष्य तय हो जाएगा तो कंपनियां सप्लाई चेन, कामगारों के कौशल विकास, बुनियादी ढांचे की जरूरतों और वित्तीय बदलावों पर काम करने लगेंगी.’

Hero Electric जल्द लाएगी पहला ई-स्कूटर

Hero Electric मार्च 2022 तक अपना पहला ई-स्कूटर लेकर आएगी. दिल्ली की ये कंपनी 700 करोड़ रुपये का निवेश कर अपनी सालाना उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 5 लाख इकाई करने पर विचार कर रही है. कंपनी का लक्ष्य भारत के बाहर ई-स्कूटर के निर्यात का भी है.

चीन में दुनिया के 97% इलेक्ट्रिक वाहन

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने का बदलाव चीन से कोसों दूर है. इसकी बड़ी वजह EV का महंगा होना और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का ना होना है. वहीं दुनिया की पूरी इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर गाड़ियों में 97% हिस्सेदारी सिर्फ चीन की है.