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सोमवार को नरेंद्र गिरि के फोन पर आए थे 35 कॉल, हरिद्वार से था कनेक्शन

महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) की मौत कैसे हुई, इसकी जांच जारी है. फिलहाल कॉल डिटेल्स सामने आई हैं. इसमें नरेंद्र गिरि की दो बिल्डर्स से भी बात हुई थी.

महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) की मौत की जांच के लिए आखिरकार CBI की टीम प्रयागराज पहुंच चुकी है. मिली जानकारी के मुताबिक, पांच सदस्यों की CBI टीम प्रयागराज पहुंची है. इससे पहले एक नई जानकारी भी सामने आई है. इसमें पता चला है कि सोमवार यानि जिस दिन महंत की मौत हुई तब उनके फोन पर कुल 35 कॉल आई थी. इसमें से 18 पर उन्होंने बातचीत की थी. बातचीत करने वालों में हरिद्वार के कुछ लोग और 2 बिल्डर भी शामिल थे.

एसआईटी नरेंद्र गिरि के मोबाइल की सीडीआर निकालकर इन लोगों से भी पूछताछ करेगी. हरिद्वार से कॉल करने वालों का डिटेल खंगालने के लिए हरिद्वार पुलिस को भी जानकारी भेजी गई है.

बता दें कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत हत्या है या आत्महत्या इसकी जांच चल रही है. सीबीआई जांच की सिफारिश भी हुई है. फिलहाल महंत नरेंद्र गिरि के प्रिय शिष्य आनंद गिरि ही इस केस में गिरफ्तार किए जा चुके हैं. आनंद गिरि का नरेंद्र गिरि की मौत में क्या हाथ है, हाथ है भी या नहीं यह जांच के बाद साफ होगा. लेकिन दोनों के बीच जिस संपत्ति की वजह से विवाद हुआ था वह हम आपको बताते हैं.

प्रयागराज के नगर देवता कहे जाने वाले लेटे हनुमान मंदिर या बड़े हनुमान मंदिर की मान्यता, मान प्रतिष्ठा देश दुनिया में है. उस बड़े हनुमान मंदिर से ही आनंद गिरि ने अपने सपनों को साकार करना शुरू किया था. बचपन से ही नरेंद्र गिरि के साथ रहने वाले आनंद गिरि ने गुरु का इतना भरोसा जीत लिया कि महंत नरेंद्र गिरि ने बड़े हनुमान मंदिर की पूजा अर्चना से लेकर पूरी देखरेख की जिम्मेदारी आनंद गिरि को सौंप दी.

लगा ताकत और रसूख का चसका

आनंद गिरि ने शुरुआती दिनों में बतौर मुख्य पुजारी बड़े हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना भी की और मंदिर का रख-रखाव, आने वाले चढ़ावे का हिसाब रखना शुरू किया. प्रयागराज में जब भी कोई नेता, अफसर संगम आता तो बड़े हनुमान मंदिर दर्शन करने जरूर जाता. यहीं से आनंद गिरि को ताकत और रसूख का चस्का लग गया.

धीरे-धीरे आनंद गिरि ने बड़े हनुमान मंदिर की पूरी जिम्मेदारी ले ली और यहीं पर महंत आनंद गिरि की दोस्ती आद्या तिवारी के बेटे संदीप तिवारी से हो गई. आनंद गिरि ने आद्या तिवारी को बड़े हनुमान मंदिर का पुजारी बनाया तो गुरू नरेंद्र गिरि ने भी एतराज नहीं जताया. आनंद गिरि और संदीप तिवारी के बीच दोस्ती बढ़ी, तमाम रसूखदार ताकतवर लोगों से संपर्क बड़ा तो बाघम्बरी गद्दी के पास मौजूद करोड़ों की संपत्ति और पूर्व में बेची जा चुकी संपत्ति से हुई कमाई की भी जानकारी आनंद गिरि को मिलने लगी. कहते हैं यहीं से गुरु और शिष्य के रिश्तो में गांठ पड़ना शुरू हो गई. आद्या तिवारी और संदीप तिवारी आनंद गिरि के ज्यादा वफादार हो गए.

बेची गई थी अरबों की जमीन!

दरअसल महंत नरेंद्र गिरि ने अल्लापुर के जिस इलाके में बाघंबरी गद्दी मौजूद है वहां आसपास की करीब आधा किलो मीटर की बेशकीमती जमीन बिल्डर, नेताओं को बेच दी गई थी. स्थानीय लोगों की मानें तो गुरु शिष्य के बीच झगड़े का कारण महंत नरेंद्र गिरि के द्वारा बेची गई यही अरबों की प्रॉपर्टी थी. बाघंबरी गद्दी के पास ही पीढ़ियों से रहने वाले हाई कोर्ट अधिवक्ता उमेश चंद्र मिश्रा सीधे आरोप लगाते हैं कि महंत नरेंद्र गिरि ने अरबों की संपत्ति बेच दी थी.

महंत नरेंद्र गिरि और आनंद गिरि के बीच झगड़े की असल वजह ही संपत्ति है. बचपन से बाघंबरी गद्दी के सामने रहने वाले हाई कोर्ट अधिवक्ता पवनेश मिश्रा कहते हैं कि गुरु और शिष्य के बीच संपत्ति को लेकर ही झगड़ा शुरू हुआ था, मनमुटाव शुरू हुआ था.

गौशला वाली जमीन पर हुई थी पेट्रोल पंप की बात

गुरु और शिष्य के बीच हालिया विवाद 2 साल पहले का बताया जा रहा. कहते है कि बाघंबरी गद्दी की गौशाला वाली जमीन पर छोटे महाराज आनंद गिरि के लिए पेट्रोल पंप को लेकर बात हुई. पेट्रोल पंप कंपनी को जमीन लीज पर दी जाने वाली थी, लेकिन अचानक गुरु नरेंद्र गिरि ने गौशाला वाली जमीन पर पेट्रोल पंप खोलने से ही मना कर दिया और जमीन को लीज पर देने से भी मना हो गया. इसके बाद महंत नरेंद्र गिरि और शिष्य आनंद गिरि के रिश्तों में खटास आ गई.

आनंद गिरि ने प्रयागराज जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक बाघंबरी गद्दी के नाम की जमीन को बेचने की शिकायत कर दी थी. महंत नरेंद्र गिरि पर जमीनों को बेचने का आरोप यूपी पुलिस के रिटायर्ड डीजी आर एन सिंह ने भी लगाए थे. 2006 में आईजी रेलवे रहते हुए उन्होंने अनावश्यक रूप से मठ की जमीन बेचने का विरोध भी किया था. आरएन सिंह कहते हैं साल 2008 में जब नरेंद्र गिरि बड़े हनुमान मंदिर और मठ से जुड़ी जमीनों को बेच रहे थे तो संगम क्षेत्र के रहने वाले लोगों ने इसका विरोध किया था.

आनंद गिरि ने मांगी थी माफी, हुआ था समझौता

2 साल पहले जब आनंद गिरि ने गुरु नरेंद्र गिरि पर जमीनों को बेचने, धन के दुरुपयोग का आरोप लगा दिया तो गुरु नरेंद्र गिरि ने शिष्य को इस हिमाकत के लिए निरंजनी अखाड़ा से निष्कासित कर दिया. इतना ही नहीं शिष्य का बाघंबरी गद्दी और हनुमान मंदिर में प्रवेश बंद कर दिया था. लेकिन गुरु पूर्णिमा के दिन 26 मई 2021 को गुरु शिष्य के बीच समझौता हो गया. आनंद गिरि ने अपने आरोपों को वापस लेते हुए गुरु नरेंद्र गिरि के पैर पकड़ कर माफी मांग ली तो गुरु नरेंद्र गिरि ने भी मंदिर में प्रवेश पर लगाई रोक हटा ली.

आनंद गिरि ने अब अपना दूसरा ठिकाना हरिद्वार में बना लिया था. हरिद्वार में रहकर आनंद गिरि ने उन संतो का साथ लेना शुरू किया जिनका महंत नरेंद्र गिरि से मतभेद था. इतना ही नहीं आनंद गिरि ने अंतरराष्ट्रीय युवा संत नाम से संस्था बनाकर भी अपन कद बढ़ाने की कोशिश की थी.