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कासगंज: अल्ताफ की मौत पर विवाद जारी, UP में ‘सुसाइड या मर्डर’ के बीच उलझे रहे हैं कई मामले

कासगंज में पुलिस हिरासत में हुई अल्ताफ की मौत को लेकर फॉरेंसिक लैब से रिटायर्ड एक अधिकारी का कहना है गर्दन को फांसी के फंदे से लटकने के लिए पैरों का लटकना जरूरी नहीं होता. गर्दन पर खिंचाव होना जरूरी होता है, जिससे स्वास्थ्य नली चोक हो जाती है और दम घुटने से व्यक्ति की मौत हो जाती है.

दरअसल, 22 जून 2011 में जब उत्तर प्रदेश में बीएसपी की सरकार थी और मायावती मुख्यमंत्री थीं. उस समय उत्तर प्रदेश में परिवार कल्याण विभाग के दो सीएमओ विनोद आर्या और डॉ. बीपी सिंह की हत्या हुई थी.

22 जून 2011 की शाम 7:30 बजे लखनऊ जेल के शौचालय में डिप्टी सीएमओ वाईएस सचान की भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. डॉ. सचान का शव बैरेक के शौचालय में पड़ा मिला. उनके शरीर पर छोटे बड़े घाव मिलाकर 18 निशान मिले और गला कमोड के ऊपर लगे लोहे की छड़ से लटके बेल्ट से कसा हुआ था. स्थानीय नेताओं से लेकर आम लोगों ने तक इसे मर्डर करार दिया. मामले की जांच देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ने की.

सीबीआई ने भी इस मामले में 111 गवाह और 120 पेज की क्लोजर रिपोर्ट लगाते हुए सचान की मौत को आत्महत्या करार दिया. सीबीआई को शौचालय में किसी व्यक्ति की मौजूदगी के सुबूत नहीं मिले. डॉक्टर सचान के शरीर पर चोट के निशान से लगा कि किसी ने तड़पा-तड़पा कर मारा है. लेकिन सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब, बायोलॉजिकल टेस्ट रिपोर्ट, फिंगरप्रिंट रिपोर्ट और साइकोलॉजिस्ट रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई ने माना कि डॉक्टर सचान ने खुद अपने हाथ से अपनी नसों को काटने की कोशिश की और फिर जान देने की नियत से अपने ही बेल्ट से गला कस कर फांसी लगा ली.

डॉक्टर सचान की मौत तो एक बानगी भर है. तमाम ऐसी घटनाएं उत्तर प्रदेश पुलिस के दस्तावेजों में दर्ज हैं जिन पर मर्डर की आशंका जताई गई और बाद में जांच में सुसाइड निकला. वह फिर चाहे गाजीपुर के जमानिया में ट्री गार्ड से लटकी युवक की लाश का मामला हो या फिर लखनऊ जेल में शौचालय के रोशनदान से लटककर कैदी की मौत. कहीं पर सुसाइड रॉड की कम ऊंचाई से शक हुआ तो कहीं आत्महत्या के दौरान पैरों को सहारा होने के बावजूद मौत पर आशंका जताई गई.

अल्ताफ की पोस्टमार्टम रिपोर्ट

कासगंज में अल्ताफ की मौत एक ऐसी ही घटना की ओर इशारा करती है. अल्ताफ की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ तौर पर एंटी मार्टम चोट के कारण श्वासावरोध (asphyxia due to anti mortem injury) लिखा है. यानी दम घुटने से मौत की पुष्टि हुई. शरीर पर कहीं भी चोट के निशान नहीं मिले. गर्दन पर लिगेचर मार्क भी मिला. अल्ताफ ने थाने के शौचालय में 2 फीट ऊंची नल की टोटी से हूडी के सहारे से फांसी लगा ली थी. फॉरेंसिक लैब से रिटायर्ड एक अधिकारी का कहना है गर्दन को फांसी के फंदे से लटकने के लिए पैरों का लटकना जरूरी नहीं होता. गर्दन पर खिंचाव होना जरूरी होता है, जिससे स्वास्थ्य नली चोक होकर दम घुटने से व्यक्ति की मौत हो जाती है.

अल्ताफ की मौत को लेकर राजनीति

फिलहाल अल्ताफ की मौत को लेकर राजनीति गरमाई हुई है. परिवार इस मामले में पुलिस पर प्रताड़ित करने आरोप लगा रहा है. मामले में इंस्पेक्टर समेत पांच पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए हैं. मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए जा चुके हैं. एडीजी जोन आगरा राजीव कृष्णा का कहना है इस मामले में निष्पक्ष जांच की जा रही है. अगर कोई भी पुलिसकर्मी दोषी होगा तो अवश्य कार्रवाई की जाएगी.