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निवेशकों की सुरक्षा के लिए SEBI लाई ‘इन्वेस्टर चार्टर’, आपके पास होते हैं ये अधिकार

शेयर बाजार में निवेशकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए लिए SEBI ने एक ‘इन्वेस्टर चार्टर जारी किया है. ये चार्टर शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों को ना सिर्फ उनके अधिकारों के बारे में बताता है, बल्कि उनकी क्या जिम्मेदारियां है वो भी समझाता है. जानें एक निवेशक के तौर पर आपके पास क्या अधिकार हैं…

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एक ‘इन्वेस्टर चार्टर’ (Investor Charter) जारी किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के आम बजट में इसका प्रस्ताव रखा था. इसका मकसद शेयर बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों की सुरक्षा करना और उन्हें उनके अधिकार और जिम्मेदारियों को लेकर जागरुक करना है ताकि वे सुरक्षित निवेश कर सकें और उनका जोखिम कम हो.

SEBI का इन्वेस्टर चार्टर

सेबी का इन्वेस्टर चार्टर निवेशकों को शेयर बाजार से जुड़े जोखिम को समझने के साथ-साथ निष्पक्ष, पारदर्शी और सुरक्षित तरीके से निवेश करने और समय पर सेवाओं को पाने के अधिकारों के बारे में जागरुक बनाएगा.

इसके अलावा इन्वेस्टर चार्टर सुनिश्चित करेगा कि सेबी के पास पंजीकृत कंपनी, ब्रोकर या रेग्युलेटेड इकाइयां उनके इन्वेस्टर चार्टर का पालन करें और शिकायत निवारण व्यवस्था को सुदृढ़ करें. सेबी (SEBI) ने शेयर बाजार, क्लियरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी के लिए भी अगल से एक इन्वेस्टर चार्टर बनाया है. निवेशकों से जुड़ी शिकायत और उनके निवारण की स्थिति को लेकर सेबी हर महीने एक रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर भी प्रकाशित करेगा.

ये हैं निवेशकों के अधिकार

सेबी के इन्वेस्टर चार्टर के मुताबिक निवेशकों के साथ निष्पक्ष और समान तरीके से व्यवहार करना होगा. निवेशकों की शिकायत को SCORES (सेबी शिकायत निवारण व्यवस्था) में रजिस्टर करना होगा और एक तय अवधि में उसका निवारण करना होगा. इसके अलावा निवेशकों के पास सेबी में पंजीकृत संस्थानों से गुणवत्ता पूर्ण सेवाएं पाने का भी अधिकार होगा. लेकिन सेबी का इन्वेस्टर चार्टर सिर्फ निवेशकों के अधिकार नहीं बताता, बल्कि उनकी कुछ जिम्मेदारियां भी तय करता है.

निवेशकों को निभानी होंगी ये जिम्मेदारियां

निवेशकों को केवल सेबी से पंजीकृत संस्थानों, ब्रोकरों इत्यादि के साथ ही डील करना चाहिए. यदि उनका पता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, नॉमिनी या कोई और अहम केवाईसी जानकारी में बदलाव हुआ है तो समय पर उसे अपडेट करना चाहिए. यदि निवेशकों को किसी तरह की कोई शिकायत है तो उसे तय अवधि में ही संबंधित अधिकारी या पक्ष के समक्ष उठाना चाहिए. वहीं ये भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके खातों का इस्तेमाल केवल उनके लाभ के लिए हो रहा है.