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2025 तक साफ हो जाएगी यमुना नदी!, केजरीवाल ने क्लीनिंग सेल का किया गठन

दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को इस सेल का अध्यक्ष बनाया गया है और इसमें सभी संबंधित विभागों के प्रतिनिधि सदस्य शामिल होंगे. बता दें कि फरवरी 2025 तक यमुना नदी को पूरी तरह साफ कर लेने का लक्ष्य रखा गया है और इसकी जिम्मेदारी सेल के पास होगी.

दिल्ली में बेहद प्रदूषित यमुना नदी को साफ करने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना क्लीनिंग सेल का गठन किया है. यह सेल सबंधित विभागों की ओर से किए जा रहे कार्यों पर नजर रखेगा.

दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को इस सेल का अध्यक्ष बनाया  है और इसमें सभी संबंधित विभागों के प्रतिनिधि सदस्य शामिल होंगे. बता दें कि फरवरी 2025 तक यमुना नदी को पूरी तरह साफ कर लेने का लक्ष्य रखा गया है और इसकी जिम्मेदारी सेल के पास होगी.

केजरीवाल ने यमुना सफाई के संबंध में औद्योगिक क्षेत्रों और जेजे क्लस्टरों से अपशिष्ट जल के प्रबंधन पर भी एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की. बैठक में यमुना नदी की सफाई को लेकर आने वाली विभिन्न चुनौतियों और उससे निपटने के समाधानों पर चर्चा की गई.

अरविंद केजरीवाल ने मीटिंग में कहा कि यमुना नदी को साफ करने में सबसे बड़ी बाधा यह थी कि यह कई निकायों द्वारा शासित होने की वजह से एक जटिल प्रकिया थी. इस समस्या को दूर करने के लिए यमुना क्लीनिंग सेल बनाया गया है.

यमुना क्लीनिंग सेल में दिल्ली जल बोर्ड, डीयूएसआईबी, डीएसआईआईडीसी, डीपीसीसी और आई एंड एफसी विभाग के 6 वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे. ये अधिकारी दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ को रिपोर्ट करेंगे.

दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई के लिए छह स्तरीय प्लान बनाया है जिसके तहत चार नए ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे.

यमुना में प्रदूषण बढ़ाने वाले चार ड्रेन नजफगढ़, सप्लमेंट्री ड्रेन, बारापुला ड्रेन और शाहदरा ड्रेन की नियमित सफाई होगी. इसके अलावा औद्योगिक कचरे के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा जेजे क्लस्टर की नालियों को भी सीवर लाइन से जोड़ने का काम किया जाएगा.

यमुना को साफ करनी की परियोजना के तहत ही दिल्ली के 100 फीसदी घरों को भी सीवर लाइन से जोड़ने का प्लान बनाया गया है. इसके लिए सीवर का कनेक्शन खर्च भी दिल्ली सरकार उठाएगी.

वहीं सीवर लाइन से गाद निकालने का भी काम किया जाएगा. विभिन्न तकनीकि कारणों से सीवर लाइन के अंदर गाद बैठती रहती है जिसकी वजह से अगर पाइप लाइन बीच में कहीं पर भी जाम हो जाती है, तो पीछे से आ रहा पानी आगे नहीं जा पाता है. इस वजह से वह पानी ओवर फ्लो करके पास के बरसाती नाले के जरिए नदी में पहुंच जाता है जिससे नदी में प्रदूषण बढ़ता है.