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क्या यूपी चुनाव पर Corona की नई लहर का असर दिखना शुरू हो गया है?

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा भले नहीं हुई हो, नेताओं के दौरे बढ़ गए हैं. बड़ी रैलियां हो रही हैं और इन रैलियों में हजारों की भीड़ भी देखी जा रही है. इस बीच देश में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के मामलों ने चिंता बढ़ा दी है. हाल ही में यूपी में ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं, जिसके चलते यह सवाल उठने लगा है कि क्या यूपी चुनाव से पहले कोराना की नई लहर का असर दिखने लगा है.

उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत देश के 5 राज्यों में फरवरी-मार्च महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन इसी बीच देशभर में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के मामले भी तेजी से बढ़ने लगे हैं. केंद्र सरकार ने राज्यों से बड़े आयोजनों पर रोक लगाने और नाइट कर्फ्यू जैसे कदम उठाने की सलाह दी है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी मोदी सरकार से एक दो महीने चुनाव टालने और सूबे में हो रही चुनावी जनसभाओं पर रोक लगाने की अपील की है.

यूपी चुनाव की तारीखों का भले ही अभी ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन सियासी दलों ने चुनावी रैलियां और रथ यात्रा निकालकर माहौल बनाने में जुटे हैं. नेताओं की जनसभा में काफी भीड़ भी जुट रही है. हाल ही में यूपी में ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं, जिसके चलते यह सवाल उठने लगा है कि क्या यूपी चुनाव से पहले कोराना की नई लहर का असर दिखने लगा है.

अखिलेश यादव की पत्नी और बेटी संक्रमित

सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी पूर्व सांसद डिंपल यादव और बेटी बुधवार को कोरोना पॉजिटिव आई हैं. हालांकि, अखिलेश यादव की रिपोर्ट निगेटिव आई है. ऐसे में एहतियात के तौर पर अखिलेश यादव ने फैसला किया है कि वे तीन दिनों तक किसी रैली या कार्यक्रम में शामिल नहीं लेंगे.

अखिलेश यादव के खुद को तीन दिनों के लिए अलग करने के फैसले का सबसे पहला असर अलीगढ़ इगलास में आयोजित समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल की संयुक्त रैली पर हुआ. वहां पर अखिलेश को जयंत चौधरी के साथ रैली को संबोधित करना था, पर वह आइसोलेशन के कारण वहां जा नहीं पाए. हालांकि, उन्होंने बाद में वर्चुअल रैली को संबोधित किया.

यूपी में चुनावी रैलियों में जुट रही भारी भीड़

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव से लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और जयंत चौधरी लगातार यूपी में चुनावी जनसभाओं और रोड शो करके माहौल बनाने में जुटे हैं. वहीं, बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मोर्चा संभाल लिया है. पीएम मोदी और योगी लगातार विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास कर रहे हैं तो बीजेपी सूबे में अलग-अलग इलाकों में छह जनआशिर्वाद यात्रा भी निकाल रही है.

सूबे में राजनीतिक दलों की रैली और जनसभाओं में लाखों लोगों की भीड़ जुट रही है. कोविड-19 नियम का कहीं कोई पालन कहीं नहीं हो रहा है. रैलियों में आने वाले न तो मास्क लगाए नजर आ रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं. ऐसे में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए यूपी विधानसभा चुनाव टालने का सुझाव दिया है और साथ ही चिंता भी जाहिर की है.

रैलियों पर रोक लगे, चुनाव टाले जाएं-हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अनुरोधपूर्वक कहा कि उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां रैलियों में भारी भीड़ एकत्र कर रही हैं. प्रधानमंत्री और चुनाव आयुक्त चुनावी रैलियों पर कड़ाई से रोक लगाएं. राजनीतिक पार्टियों से कहा जाए कि वे चुनाव प्रचार इलेक्ट्रानिक माध्यम और समाचार पत्रों के माध्यम से करें. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री चुनाव टालने पर भी विचार करें, क्योंकि जान है तो जहान है.

वहीं, 2022 विधानसभा चुनाव फिर से निकट है, जिसके चलते राजनीतिक दलों की रैली और जनसभाओं में लाखों लोगों की भीड़ जुट रही है. सत्तापक्ष और विपक्षी दल के नेता लगातार चुनावी जनसभाएं और बैठकें कर माहौल बनाने में जुटे हैं. इन चुनावी रैलियों में कोरोना नियमों का पालन कहीं नहीं हो रहा है. ऐसे में हाई कोर्ट ने कहा कि इसे समय रहते नहीं रोका गया तो परिणाम दूसरी लहर से कहीं अधिक भयावह हो सकता है. ऐसी दशा में संभव हो सके तो फरवरी में होने वाले चुनाव को एक-दो माह के लिए टाल दें.

कोरोना के साए में कहां-कहां चुनाव हुए?

बता दें कि कोरोना काल में इससे पहले भी विधानसभा के चुनाव हुए हैं. अगस्त 2020 में हुए बिहार चुनाव और 2021 में हुए पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु सहित पांच राज्यों के चुनाव के वक्त भी कोरोना संक्रमण पीक पर था. इसके बावजूद चुनाव आयोग ने इस दौरान समय पर चुनाव कराए. इस दौरान चुनाव आयोग ने कोरोना गाइडलाइन भी जारी की थी. इसमें रोड शो से लेकर मतदान तक के लिए नियम बनाए गए थे. हालांकि, इस चुनाव के दौरान कोरोना का ज्यादा असर देखने को नहीं मिला.

हालांकि, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, पुडुचेरी और केरल में मार्च से मई तक चुनाव कराने का ऐलान किया. नतीजे 2 मई को जारी हुए थे. तमिलनाडु, असम, पुडुचेरी और केरल में चुनाव आयोग की गाइडलाइन के साथ आसानी से चुनाव हुए. लेकिन पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में चुनाव होने थे.

बंगाल चुनाव में नेताओं ने टाल दिए थे रैलियां

बंगाल चुनाव के दौरान कोरोना के मामले तेजी से बढ़े. ऐसे में राजनीतिक पार्टियों ने चौथे चरण के बाद धीरे-धीरे रैलियां न करने का फैसला करने लगे थे. कोराना के चलते कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बंगाल चुनाव की रैलियां टाल दी थी. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने अपनी-अपनी सारी चुनावी रैलियां टाल दी थी. इसके बाद चुनाव आयोग ने भी रैलियों पर रोक लगा दी. साथ ही चुनाव नतीजों के दौरान किसी भी तरह के विजय जुलूस पर भी पाबंदी लगाई गई.

पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, पुडुचेरी और केरल में चुनाव के बाद कोरोना के मामले तेजी से बढ़े थे. चुनाव आयोग पर भी सवाल खड़े हुए थे और कोर्ट ने भी चुनाव से कोरोना संक्रमण के बीच चुनाव कराने के लिए जवाब मांगा था. वहीं, अब यूपी सहित देश के पांच राज्यों मे ंहोने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के जिस तरह से मामले सामने आ रहे हैं और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी संक्रमित होने के बाद तीन दिन के लिए चुनावी रैलियां टाल दिया है. साथ ही हाई कोर्ट ने कोरोना की नई लहर को लेकर जिस तरह से चिंता जाहिर की है, उससे साफ है कि यूपी चुनाव पर कोरोना संक्रमण की आहट साफ दिख रही है.

क्या ये तीसरी लहर की आहट है? 

विशेषज्ञ इसे कोरोना की तीसरी लहर की आहट के तौर पर देख रहे हैं. आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मश्री प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने भी नई स्टडी का हवाला देते हुए कहा था कि कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रोन का प्रभाव दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक दिखने लगेगा. उन्होंने कहा था कि जनवरी अंतिम सप्ताह या फरवरी की शुरुआत में ओमिक्रोन का पीक होगा.

कोरोना बचाव के लिए भीड़-भाड़ में न जाने, मास्क पहनने और वैक्सीन लेने की सलाह दी जा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सतर्क रहने और मामले की सकारात्मकता, दोहरीकरण दर और नए मामलों के समूह की निगरानी करने और क्रिसमस और नए साल से पहले स्थानीय स्तर पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने की सलाह दी है.