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पटेल की दुहाई देकर PM मोदी से बोले गहलोत- संघवाद की भावना के खिलाफ है IAS कैडर नियमों में बदलाव

राजस्थान के CM अशोक गहलोत ने अपनी चिट्ठी में कहा कि इस नियम से राज्यों के पास अधिकारियों की कमी हो सकती है. इससे पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर उब्दुल्ला भी इस पर विरोध जाहिर कर चुके हैं.

आईएएस (कैडर) रूल्स 1954 में संशोधन के फैसले के खिलाफ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर गहलोत ने इस पर चिंता जताई है. उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि IAS अधिकारियों के केंद्र में डेपुटेशन के नियमों में संशोधन से देश के संघवाद की साझा भावना (Cooperative federalism) पर खतरा पैदा हो जाएगा.

उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा का गठन आजादी के बाद जनकल्याण और संघवाद को मजबूत करने के लिए किया गया था. लेकिन जिस तरह केंद्र सरकार इसमें संशोधन कर रही है. इससे इस सेवा के गठन के उद्देश्यों पर का बुरा प्रभाव पड़ेगा. गहलोत ने आगे लिखा कि केंद्र के इस फैसले से राज्य में प्रशासनिक अधिकारियों की कमी हो जाएगी. केंद्र के फैसले से अधिकारी बिना डर और पक्षपात के काम नहीं कर पाएंगे.

गहलोत ने चिट्ठी में लिखा है कि 20 दिसंबर 2021 केंद्र सरकार ने इस नियम में बदलाव करने को लेकर राज्यों से सलाह मांगी थी. लेकिन 12 जनवरी 2022 को  प्रारूप में बदलाव कर इसे भेज दिया गया. गहलोत ने पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में कहा है कि इस बदलाव से भारत के पहले गृहमंत्री वल्लभभाई पटेल के स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया के विचारों को धक्का लगेगा. भारतीय प्रशासनिक सेवा के नियमों पर चर्चा के दौरान 10 अक्टूबर 1949 में पटेल ने कहा था कि यह नियम अधिकारियों के स्वतंत्रत रूप से, बिना किसी भय के काम करने के लिए बनाया गया है. इसके बिना आपके पास अखंड भारत का सपना पूरा नहीं होगा. गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी से इसमें हस्तक्षेप की मांग की है. इससे पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर उब्दुल्ला भी इस पर विरोध जाहिर कर चुके हैं.

आईएएस कैडर नियम में किस बदलाव से डरे राज्य?

आईएएस (कैडर) नियम 1954 के मुताबिक अफसरों की भर्ती केंद्र करता है. लेकिन जब उन्हें उनके राज्य के कैडर दिए जाते हैं तो वो राज्य सरकार के अधीन आ जाते हैं.  नियमों के मुताबिक, किसी भी आईएएस अधिकारी को उस राज्य सरकार और केंद्र सरकार की सहमति से ही केंद्र सरकार या किसी दूसरे राज्य में प्रतिनियुक्त किया जा सकता है. अगर प्रतिनियुक्ति में किसी भी तरह की कोई असहमति होती है तो फैसला केंद्र सरकार करेगी और उस फैसले को राज्य सरकार को मानना होगा. नए प्रस्ताव में यह नियम है कि समय रहते राज्य सरकार केंद्र के फैसले को लागू नहीं करती है और अधिकारी को मुक्त नहीं करती है तो केंद्र की ओर से तय तारीख से अधिकारी को कैडर से मुक्त माना जाएगा.