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RPN इफेक्ट से बदलनी पड़ी स्वामी प्रसाद मौर्य को सीट… सेफ सीट की तलाश या बड़े दांव की तैयारी?

समाजवादी पार्टी ने स्वामी प्रसाद मौर्य को पडरौना सीट के बजाय कुशीनगर जिले की फाजिलनगर सीट से प्रत्याशी बनाया है. स्वामी प्रसाद पडरौना सीट से तीन बार विधायक रहे हैं, लेकिन कांग्रेस से बीजेपी में आए आरपीएन सिंह के चलते यहां के सियासी समीकरण बदल गए हैं

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच बीजेपी छोड़कर सपा का दामन थामने वाले ओबीसी के दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी परंपरागत सीट बदल दी है. सपा ने स्वामी प्रसाद को पडरौना के बजाय फाजिलनगर सीट से प्रत्याशी बनाया है. हालांकि, स्वामी प्रसाद मौर्य ने ऐसे ही अपनी सीट नहीं बदली बल्कि इसके पीछे कांग्रेस से बीजेपी में आए आरपीएन सिंह एक अहम फैक्टर माने जा रहे हैं तो दूसरा फाजिलनगर सीट का सियासी समीकरण है. ऐसे में देखना है कि स्वामी प्रसाद छठी बार विधानसभा पहुंचने में कामयाब होते हैं कि नहीं?

स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में जाने से बीजेपी को बड़ा सियासी झटका लगा. ऐसे में बीजेपी ने कांग्रेस से आरपीएन सिंह को लाकर मास्टर स्ट्रोक चल दिया. पडरौना के राज दरबार यानि वहां के राजा और कांग्रेस के कद्दावर नेता आरपीएन सिंह को अपने पाले में किया. इसके चलते पडरौना का सियासी समीकरण बदल गया. ऐसे में एंटी इनकंबेंसी और लोगों के नाराजगी को भापते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी सीट बदलने का दांव चला ताकि क्षेत्र में उन्हें जीत के लिए ज्यादा मशक्कत न करनी पडे़.

फाजिलनगर सीट पर कौन वोटर निर्णायक?

स्वामी प्रसाद मौर्य जिस फाजिलनगर सीट से चुनावी ताल ठोंकेगे, उसका इतिहास है कि वहां पर दस साल से बीजेपी के विधायक का कब्जा है, लेकिन उससे पहले सपा का मजबूत गढ़ था. फाजिलनागर सीट के सियासी समीकरण स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए पक्ष में दिख रहा है. यहां पर कुशवाहा वोट के साथ-साथ और मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका में है.

फाजिलनगर के सियासी समीकरण को देखते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने पडरौना सीट छोड़ फाजिलनगर सीट से चुनावी ताल ठोकने का फैसला किया. हालांकि, यह फैसला उसी दिन हो गया था जिस दिन आरपीएन सिंह ने कांग्रेस से बीजेपी में एंट्री की थी. पडरौना में तीन बार से जीत रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए चुनौतियां ज्यादा हो गई थी, क्योंकि बीजेपी आरपीएन सिंह को उनके खिलाफ चुनावी मैदान में उतारने की मन बना रही है.

पडरौना से विधायक रह चुके हैं आरपीएन सिंह

स्वामी प्रसाद से पहले आरपीएन सिंह पडरौना सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं. ऐसे में यह इलाका स्वामी प्रसाद मौर्य की तरह आरपीएन सिंह का भी गढ़ है. आरपीएन वहां से क्षेत्रीय है तो स्वामी प्रतापगढ़ से जाकर राजनीति करते हैं. ऐसे में बीजेपी आरपीएन सिंह को पडरौना सीट से उतारती है तो स्वामी के लिए मुकाबला कठिन हो सकता था. इसीलिए स्वामी ने सेफ सीट चुनने का फैसला किया है, जहां से उन्हें जीतने के लिए बहुत ज्यादा मशकक्त न करनी पड़े.

स्वामी प्रसाद मौर्य सपा के स्टार प्रचारक नेताओं में शामिल है. ओबीसी समुदाय के बीच अच्छी पैठ मानी जाती है. स्वामी के जरिए अखिलेश यादव सूबे में मौर्य वोटों को साधने की कवायद में है, जिसके लिए उन्हें किसी ऐसी सीट पर नहीं उतारना चाहते थे, जहां पर वो उलझ कर रह जाए. इसीलिए पडरौना के बजाय बगल की फाजिलनगर सीट को चुनाव है, जहां के सियासी और जातीय समीकरण सपा के पक्ष में है.

फाजिलनगर सीट पर गंगा कुशवाहा दो बार से विधायक 

फाजिलनगर सीट पर बीजेपी के गंगा कुशवाहा दो बार से विधायक हैं, लेकिन इससे पहले सपा के दिग्गज नेता विश्वनाथ का कब्जा का था. विश्वनाथ 6 बार इस सीट से मुस्लिम वोटों के सहारे विधायक रह चुके हैं. गंगा कुशवाहा ने अपने कुशवाहा वोटों के दम पर विश्वनाथ को सियासी मात दे रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य भी इसी समाज से आते हैं और गंगा कुशवाहा के कहीं बड़े नेता माने जाते हैं. समाज में उनकी पकड़ भी है. ऐसे में सपा ने उन्हें इस सीट पर उतरकर दोबारा से वापसी का प्लान बनाया है.

बीजेपी के गंगा सिंह कुशवाहा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में फाजिलनगर सीट पर सपा के विश्‍वनाथ को 41922 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. 2012 के विधानसभा चुनाव में गंगा कुशवाहा को बसपा के कलामुद्दीन से कड़ी टक्‍कर दिया था. उस वक्‍त जीत का अंतर 5500 वोटों से भी कम रहा जबकि 2007 में यहां से सपा टिकट पर विश्‍वनाथ विधायक बने थे. विश्‍वनाथ इस सीट से छह बार विधायक रहे हैं.

फाजिलनगर सीट का सियासी समीकरण सपा के पक्ष में है

फाजिलनगर सीट पर चनऊ और कुशवाहा बिरादरी का दबदबा है तो मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में है. यहा पर करीब 90 हजार मुस्लिम मतदाता हैं तो 55 हजार मौर्य-कुशवाहा वोटर हैं जबकि 50 हजार यादव वोटर हैं. इसके अलावा 80 हजार दलित वोटर हैं. इस सीट पर ब्राह्मण वोटर 30 हजार है, लेकिन ठाकुर वोटर बहुत बड़ी संख्या में नहीं है. हालांकि, वैश्य 30 और कुर्मी वोटर 28 हजार के करीब है. इन्हीं सारे सियासी समीकरण को देखते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने पडरौना के बजाय फाजिलनगर सीट को चुना है. ऐसे में देखना है कि इस सीट पर क्या करिश्मा दिखा पाते हैं.