उज्जैनप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेहोम

दीप की अभिलाषा…….? (क्षिप्रा किनारे आज प्रज्वलित होने वाले एक दीप के मन कि बात)

परमपिता और जगतजननी के परिणय पर्व पर मुझे प्रज्वलित जरूर करना पर मैं मालव माटी का दीपक हूँ, मेरी भी इस नगर को लेकर कुछ अपेक्षाएं है,दीप-दीपन करते समय उन्हें मेरे संकल्प के रूप में वाचन कर देना।

मेरा पहला संकल्प है,उज्जैन को तीर्थ नगरी ही रहने दिया जाए,यहाँ पर्यटक नही श्रद्धालु आते है,उनकी सुविधा अनुसार योजना बनाकर विकास हो।

मेरा दूसरा संकल्प है उज्जैन के जनमानस की जड़ता और उदासीनता दूर हो ताकि शासन-प्रशासन-राजनीति मनमानी नही कर सके।

मेरा तीसरा संकल्प है,उज्जैन को शिक्षा-केन्द्र बनाए, हमने ब्रह्मांड के सबसे योग्य विद्यार्थी श्री कृष्ण और सुदामा को पढ़ाया है,यह हमारी सर्वोच्चता का प्रमाण है।

इस नगर में विश्वविद्यालय-आवासीय विद्यालय,विज्ञान-खगोलशास्त्र-

ज्योतिष-खेल के उच्चस्तरीय संस्थान खुले,

मेरा चौथा संकल्प है,मेरी माँ क्षिप्रा को सतत सरिता बनाया जाए,उसके कैचमेंट एरिया को भूमाफिया से बचाया जाए,गंगा-गोदावरी और साबरमती की तरह इसके किनारे रिवरसाइड कॉरीडोर बने और त्रिवेणी से कालियादेह तक यह अतिक्रमण-आवासीय योजनाओं से मुक्त रहे।

मेरा पांचवा संकल्प है उज्जैन के विकास की योजनाओं में जनभागीदारी हो हमारे गणमान्य नागरिकों,विद्वानों और योजना प्रभावितों से भी निरंतर संवाद हो,शासन-प्रशासन की मनमानी न चले,एकतरफा निर्णय न हो।

मेरा छंटा संकल्प है कि उज्जैन में फूड प्रोसेसिंग, दवा, पैकेजिंग,दोना पत्तल,पोहा-परमल,कपड़ा और भैरवगढ़ प्रिंट,एसेसरीज निर्माण में रोजी रोजगार की बहुत संभावना है,इस पर फोकस किया जाए।

मेरा अंतिम और सांतवा संकल्प है  जनप्रतिनिधियों-राजनेताओं-

सामाजिक कार्यकर्ताओं-व्यापारियों-

उद्योगपतियों-पत्रकारों और अधिकारियों में विकास के नाम पर कोई मतभेद न हो सब अपनी अपनी राजनीति न करे नगर विकास के नाम पर एकमत हो,एकमत से योजना बनाई जाए और उसका निष्पक्ष क्रियान्वयन हो। पड़ोसी महानगर इंदौर से इतना तो सीख ही सकते है।

दीप चाहता है उसके आराध्य बाबा महाकाल के भक्त सुगमता से सरलता से बिना कष्ट के दर्शन कर सके।

दीप की अभिलाषा महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शिव-शक्ति की साधना में शिव-राज में जरूर पूरी हो,जय महाकाल।

 

प्रकाश त्रिवेदी।