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राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की खराब केमिस्ट्री कैसे आसान कर देगी भाजपा का गणित, समझें पूरा समीकरण

राष्ट्रपति भवन में अपने उम्मीदवार को फिर से लाने के लिए एनडीए के वोटों में मामूली कमी है, जिसे दूर करने के लिए दो महत्वपूर्ण क्षेत्रीय दल- बीजद और वाईएसआरसीपी भाजपा पक्ष को आशान्वित रख रहे हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त गुरुवार को जिस समय राष्ट्रपति चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर रहे थे, उसी समय राज्यसभा में कांग्रेस के विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कुछ मित्र दलों के नेताओं को टेलीफोन कॉल किए। इस दौरान उन्होंने एक ‘आम विपक्षी उम्मीदवार’ के प्रति एकता की बात रखी, जो कि राष्ट्रपति कोविंद के उत्तराधिकारी के लिए सत्तारूढ़ एनडीए के उम्मीदवार के खिलाफ खड़ा होगा।

सत्ताधारी दल के खिलाफ राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए ‘अधिकतम विपक्षी एकता’ सुनिश्चित करना आसान काम नहीं है। वह भी तब सरकार और भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए अपने उम्मीदवार के लिए संभावित बाधाओं को दूर करने में पूरी तरह से लगा हुआ है। राष्ट्रपति भवन में अपने उम्मीदवार को फिर से लाने के लिए एनडीए के वोटों में मामूली कमी है, जिसे दूर करने के लिए दो महत्वपूर्ण क्षेत्रीय दल- बीजद और वाईएसआरसीपी भाजपा पक्ष को आशान्वित रख रहे हैं। वहीं, विपक्षी खेमा पहले से ही आंतरिक दोषारोपण के बोझ तले दब गया है।

विपक्षी दलों को हाथ मिलाने के लिए आवश्यक केमिस्ट्री नदारद
राष्ट्रपति चुनाव के लिए चुनावी कॉलेजियम के अनुमानित 10,86,431 संयुक्त मूल्य में से एनडीए को अपने उम्मीदवार के लिए 2% से थोड़ा कम अतिरिक्त वोट की आवश्यकता है। वहीं, ऑन-पेपर ‘बढ़त’ रखने वाला ‘संयुक्त विपक्ष’ एनडीए उम्मीदवार के खिलाफ एकजुट नहीं दिखता है। संयुक्त उम्मीदवार के लिए सभी विपक्षी दलों को हाथ मिलाने के लिए आवश्यक ‘केमिस्ट्री’ भी नदारद है। ऐसी एकता अभी तक संसद में भी नहीं हुई है।

BJP-YSRCP के समर्थन को लेकर आश्वस्त BJP
ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी के साथ पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल के दिनों में बैठक की थी। इसके बाद से ही सत्तारूढ़ मोर्चा बीजद और वाईएसआरसीपी के समर्थन को हासिल करने के लिए आशावादी दिखाई देता है। इन दोनों दलों का राष्ट्रपति चुनाव में लगभग 7% वोट मूल्य है। दोनों ने अभी तक अपना पक्ष सार्वजनिक नहीं किया है। पिछले राष्ट्रपति चुनाव में इन पार्टियों ने एनडीए के कोविंद का समर्थन किया था।

विपक्षी खेमों के भीतर की दरार सबके सामने 
पिछले राष्ट्रपति चुनावों की तुलना में विपक्षी पक्ष को अब शिवसेना, अकाली दल और तेदेपा जैसे कुछ पुराने भाजपा सहयोगियों के भगवा खेमे को छोड़ने के अलावा भगवा-नियंत्रित राज्यों की संख्या में गिरावट का सामरिक लाभ है। फिर भी, आगामी चुनाव भी विपक्षी खेमों के भीतर उग्र दरार की पृष्ठभूमि में हो रहा है। जैसे कि कांग्रेस बनाम टीएमसी, कांग्रेस बनाम आप, कांग्रेस बनाम टीआरएस, कांग्रेस बनाम सपा, कांग्रेस बनाम बीजद और कांग्रेस बनाम वाईएसआरसीपी (कांग्रेस-सीपीएम की लड़ाई) सार्वजनिक है।