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रिसर्च में हुआ खुलासा, धीरे-धीरे लोगों के दिमाग पर चढ़ रही है गर्मी!

शोध में पाया गया कि बढ़ते हीटवेव के कारण लोगों का प्रदर्शन और प्रतिक्रिया किस तरह से प्रभावित हो रहा है। हीटवेव की प्रतिक्रिया आक्रामकता का कारण बन रही है क्योंकि यह दिमाग को प्रभावित कर रही है।

रोजमर्रा के जीवन में हम कई बार ऐसा सुनते हैं कि अमुक व्यक्ति को काफी गुस्सा आ गया है क्योंकि उसका दिमाग गरम हो गया है। वैसे तो यह अभी तक एक तरह से कहावत की शक्ल में था लेकिन अब यह सिर्फ एक कहावत नहीं रह गया है। दुनिया के बढ़ते तापमान के बीच एक रिसर्च में काफी चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। बढ़ती गर्मी का प्रभाव अब लोगों के दिमाग और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। इसकी वजह से चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, बेचैनी हिंसा जैसी चीजें और भी ज्यादा बढ़ सकती हैं।

प्रदर्शन और प्रतिक्रिया प्रभावित कर रही गर्मी
दरअसल, हाल ही में बोस्टन यूनिवर्सिटी के एक शोध में इसका अध्ययन किया गया है कि बढ़ते हीटवेव के कारण लोगों का प्रदर्शन और प्रतिक्रिया किस तरह से प्रभावित हो रहा है। अध्ययन में पाया गया कि हीटवेव की प्रतिक्रिया आक्रामकता का मुख्य कारण बन रही है क्योंकि यह धीरे-धीरे दिमाग को प्रभावित कर रही है। तापमान के ज्यादा बढ़ने की वजह से लोग डिहाइड्रेशन, डेलिरियम और बेहोश होने जैसी स्थितियों से भी परेशान होने लगते हैं। इनके अलावा और भी कई परिणाम सामने आ रहे हैं।

ग्लोबल वार्मिंग के लिए भी समान रूप से खतरा
वर्तमान में पूरी दुनिया में तापमान बढ़ रहा है और इसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है, इसे ही ग्लोबल वार्मिंग कहा गया है। तापमान कम करने के लिए लोग आर्टिफिशियल सहारा ले रहे हैं लेकिन सच यह है कि इससे तापमान घटने की बजाय और बढ़ता ही जा रहा है। अब समय आ गया है कि इस पर वैश्विक रूप से चर्चा हो। क्योंकि ऐसे ही अगर रहा तो एक हीट का एक डेंजर सर्किल बन जाएगा जिससे निकलना शायद मुश्किल होगा।

तापमान बढ़ने से मानसिक दिक्क्तों में बढ़ोत्तरी
एक अन्य स्टडी से पता चला है कि किसी दिए गए स्थान के लिए सामान्य तापमान सीमा से 5 प्रतिशत तक बढ़ने या उससे अधिक होने पर अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में कम से कम 10 प्रतिशत मरीजों की वृद्धि होती है। सबसे ज्यादा लोगों को मानसिक दिक्कत होती है। लोग चिड़चिड़े हो जाते हैं। डिप्रेशन के शिकार होने लगते हैं। बेचैनी बढ़ जाती है। कई बार कई दिनों तक यह बेचैनी बनी रहती है। इसमें वो हिंसक या उग्र हो जाते हैं। इतना ही नहीं ज्यादा तापमान बढ़ने के साथ ही खुदकुशी करने या इसका प्रयास करने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी होती है।

हिंसक अपराध में भी वृद्धि
गर्मी की वजह से जब लोग स्पष्ट रूप से नहीं सोच पाते हैं, तो इस बात की बहुत संभावना है कि वे निराश हो जाएंगे और यह बदले में आक्रामकता का कारण बन सकता है। हिंसक अपराध में वृद्धि के साथ अत्यधिक गर्मी को जोड़ने के पुख्ता सबूत हैं। यहां तक कि परिवेश के तापमान में एक या दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से भी हमलों में 3-5 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।

तापमान बढ़ने से मानसिक दिक्क्तों में बढ़ोत्तरी
एक अन्य स्टडी से पता चला है कि किसी दिए गए स्थान के लिए सामान्य तापमान सीमा से 5 प्रतिशत तक बढ़ने या उससे अधिक होने पर अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में कम से कम 10 प्रतिशत मरीजों की वृद्धि होती है। सबसे ज्यादा लोगों को मानसिक दिक्कत होती है। लोग चिड़चिड़े हो जाते हैं। डिप्रेशन के शिकार होने लगते हैं। बेचैनी बढ़ जाती है। कई बार कई दिनों तक यह बेचैनी बनी रहती है। इसमें वो हिंसक या उग्र हो जाते हैं। इतना ही नहीं ज्यादा तापमान बढ़ने के साथ ही खुदकुशी करने या इसका प्रयास करने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी होती है।

हिंसक अपराध में भी वृद्धि
गर्मी की वजह से जब लोग स्पष्ट रूप से नहीं सोच पाते हैं, तो इस बात की बहुत संभावना है कि वे निराश हो जाएंगे और यह बदले में आक्रामकता का कारण बन सकता है। हिंसक अपराध में वृद्धि के साथ अत्यधिक गर्मी को जोड़ने के पुख्ता सबूत हैं। यहां तक कि परिवेश के तापमान में एक या दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से भी हमलों में 3-5 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।