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जहां 27 साल पहले मां के कंधों पर सजे थे सितारे, वहीं से बेटा लेफ्टिनेंट बना; भारतीय सेना में यादगार पल

कैप्टन (रि.) स्मिता चतुर्वेदी ने बताया कि रजत का जन्म ठीक कारगिल युद्ध के बाद हुआ था। उस समय मेरी और रजत के पिता की रैंक कैप्टन थी। नामाकरण के समय पंडित जी को लगा कि कैप्टन हमारा सर नेम है।

शनिवार का दिन कैप्टन (रि.) स्मिता चतुर्वेदी के लिए यादगार बन गया। जिस ओटीए चेन्नई से 27 साल पहले पासआउट होकर वो सेना में शामिल हुईं थीं, उसी ओटीए से उनका बेटा भारतीय सेना में कमिशंड हो रहा था। सेना के इतिहास को भी गौरवान्वित करने वाला वह पल था। यह पहला मौका था जब ओटीए से पासआउट महिला सैन्य अधिकारी का बेटा सेना में जा रहा था।

पीपिंग सेरेमनी के दौरान सेना से कैप्टन मां अपने बेटे के कंधे पर लेफ्टिनेंट का स्टार लगाते हुए बार-बार गर्व से उसे निहार रहीं थीं। गर्व ऐसा कि हर एक पल को वो अपनी यादों में समेटना चाह रही थी।

‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में स्मिता कहती हैं यह उनके लिए कभी न भूलने वाला क्षण था। उन्होंने कहा कि बचपन से ही रजत का सपना सेना में जाने का था। दिल्ली के हंसराज कॉलेज से पासआउट होने के बाद उसने पहले प्रयास में ही एसएसबी परीक्षा पास कर ली। रजत अपनी मां-पिता दोनों तरफ से तीसरी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी हैं। रजत के नाना कर्नल(रि.) आनंद चतुर्वेदी पैराशूट रेजिमेंट में रहे हैं। दादा भी सेना में थे।

पिता के रेजिमेंट में शामिल होकर मान बढ़ाया
कैप्टन स्मिता चतुर्वेदी के बेटे रजत रंजन ने अपने मां-पिता दोनों का मान रखा। रजत ने न केवल अपनी मां की ट्रेनिंग एकेडमी से कमिशन प्राप्त किया बल्कि उसने सेना में सेवा देने के लिए अपने पिता ब्रिगेडियर रंजन केरोन की रेजिमेंट को चुना।

स्मिता चतुर्वेदी ने बताया कि रजत का जन्म ठीक कारगिल युद्ध के बाद हुआ था। उस समय मेरी और रजत के पिता की रैंक कैप्टन थी। नामाकरण के समय पंडित जी को लगा कि कैप्टन हमारा सर नेम है। ऐसे में बचपन में ही बेटे का नाम कैप्टन रजत रंजन हो गया।