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कर्नाटक में अंदरूनी झंझावातों से जूझ रही है भाजपा, खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने से और बढ़ सकती हैं दिक्कतें

कर्नाटक में बीते साल नेतृत्व परिवर्तन के बाद अंदरूनी झंझावातों से जूझ रही भाजपा के लिए प्रमुख विरोधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर मल्लिकार्जुन खड़गे के आने से दिक्कतें बढ़ सकती हैं।

कर्नाटक में बीते साल नेतृत्व परिवर्तन के बाद अंदरूनी झंझावातों से जूझ रही भाजपा के लिए प्रमुख विरोधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर मल्लिकार्जुन खड़गे के आने से दिक्कतें बढ़ सकती हैं। खड़गे कर्नाटक के वरिष्ठ नेता हैं और दलित समुदाय से आते हैं। उनके कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का असर देशभर की राजनीति पर तो पड़ेगा ही, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित कर्नाटक की ही राजनीति होगी।

कर्नाटक में अगले साल मार्च-अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए चुनौती बढ़ने लगी है। बीते साल भाजपा नेतृत्व ने राज्य के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया था। बोम्मई पूरे साल पार्टी में सभी लोगों को साथ लाने की मुहिम में जुटे रहे। उनके कई दिल्ली दौरे भी हुए। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को भी कई बार राज्य के मामलों में हस्तक्षेप करना पड़ा।

अब जबकि विधानसभा चुनाव चार महीने दूर है तब पार्टी के लिए एक और दिक्कत कांग्रेस के घटनाक्रम से बढ़ रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा भी कर्नाटक से होकर गुजर रही है और उसका भी राजनीतिक असर पड़ेगा। राहुल गांधी की यात्रा जिन क्षेत्रों से गुजर रही है उनमें अधिकांश में अभी भाजपा के सांसद हैं। इसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की हालत में स्थितियां और ज्यादा बदलेंगी। खड़गे लंबे समय तक कर्नाटक की राजनीति में रहे। हालांकि, उनको मुख्यमंत्री बनने का मौका नहीं मिला। लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में आने के बाद वह संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस के नेता रहे हैं। अब पार्टी अध्यक्ष बनने की स्थिति में उनका कद और ज्यादा बढ़ जाएगा।

कर्नाटक की लगभग 23 फीसदी आबादी दलित है और राज्य की 35 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। बीते चुनाव में भाजपा को दलित समुदाय का लगभग 40 फीसदी समर्थन मिला था, जबकि कांग्रेस के हिस्से में 37 फीसदी रहा था। लेकिन अब यह कांग्रेस के पक्ष में जा सकता है। ऐसे में भाजपा के लिए दिक्कतें बढ़ सकती हैं। हालांकि, भाजपा राज्य के दो ताकतवर समुदायों लिंगायत और वोक्कालिगा को साधने में जुटी हुई है। लिंगायत समुदाय के बड़े नेता येदियुरप्पा माने जाते हैं और भाजपा के मौजूदा मुख्यमंत्री बोम्मई भी इसी समुदाय से आते हैं। इसके अलावा पार्टी की केंद्रीय मंत्री शोभा करन्दलाजे वोक्कलिगा समुदाय से आती हैं।

भाजपा इन दोनों समुदायों के साथ दलित समुदाय को भी मजबूती से अपने साथ जोड़े रखना चाहती है। क्योंकि दूसरी तरफ कांग्रेस भी येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भाजपा के अंदरूनी झगड़ों का लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। अब खड़गे का राष्ट्रीय नेतृत्व में आना उसके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।