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लद्दाख में चीन की चालबाजी पर अमेरिका की भी पैनी नजर, जानें क्या हैं इसके मायने

आपको बत दें कि भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध के तीन साल पूरे हो चुके हैं। दोनों पक्षों को एलएसी पर कुछ विवादित क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों को हटाने में आंशिक सफलता मिली है।

चीन की चालबाजी पर सिर्फ भारत ही नहीं, अमेरिका भी नजर रख रहा है। अमेरिका के एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ”लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर भारत और चीन के बीच जारी सीमा गतिरोध के बीच नई दिल्ली के साथ मिलकर काम करते हुए अमेरिका भारत की उत्तरी सीमाओं पर चीन की चाल पर नजर रख रहा है।” रियर एडमिरल माइकल एल बेकर ने कहा कि यह निश्चित रूप से अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

उन्होंने कहा, “हम सतर्क रहते हैं। हम इस क्षेत्र पर अपने विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यहां क्या हो रहा है। मुझे लगता है कि यह एक ऐसा स्थान है जिस पर भारत और अमेरिका दोनों नजर रखने वाले हैं। हम क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों से अपनी नजरें नहीं हटा सकते हैं।”

आपको बत दें कि भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध के तीन साल पूरे हो चुके हैं। दोनों पक्षों को एलएसी पर कुछ विवादित क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों को हटाने में आंशिक सफलता मिली है। गतिरोध को समाप्त करने के लिए बातचीत भी जारी है।

सैन्य अभियानों के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट (रिटायर्ड) जनरल विनोद भाटिया ने कहा, “अमेरिका निश्चित रूप से एलएसी की स्थिति की निगरानी करेगा क्योंकि यह एक फ्लैशपॉइंट है। भारत उत्तरी सीमाओं पर चीन के आक्रामक व्यवहार को अपने बल पर रोकने में सक्षम है।”

विवादित दक्षिण चीन सागर में बीजिंग के कदमों से जुड़े एक सवाल के जवाब में बेकर ने कहा, ”दक्षिण चीन सागर में उनका बहुत आक्रामक रुख है। इस पर भी अमेरिका की सार्वजनिक स्थिति काफी स्पष्ट है। ऐसा कुछ है जिसे हमें सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है।” उन्होंने कहा कि पूरे क्षेत्र के देशों को सुरक्षा साझेदार चुनने में मदद करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका ने एक अविश्वसनीय रूप से मजबूत संबंध स्थापित किया है। रक्षा संबंध द्विपक्षीय संबंधों की आधारशिला है।

रूस और चीन के बीच बढ़ते सहयोग पर टिप्पणी करने के लिए पूछे जाने पर बेकर ने कहा, “यूक्रेन में रूस आक्रामक और अनुचित युद्ध छेड़ रहा है। उसे चीन का समर्थन मिल रहा है। यह अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार नहीं है। यह संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के खिलाफ है।”