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प्रेसीडेंट द्रौपदी मुर्मु से माफी ममता बनर्जी की मजबूरी, दीदी ने कहीं इस डर से तो नहीं बोला सॉरी?

प्रेसीडेंट मुर्मू पर टीएमसी नेता की टिप्पणी पर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आज माफी मांग ली। हालांकि, दीदी की यह माफी मजबूरी ज्यादा नजर आ रही है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है आदिवासी वोट बैंक।

प्रेसीडेंट मुर्मू पर टीएमसी नेता की टिप्पणी पर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आज माफी मांग ली। हालांकि, दीदी की यह माफी मजबूरी ज्यादा नजर आ रही है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है पश्चिम बंगाल में आदिवासी वोट बैंक। आदिवासी समुदाय से आने वाली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश के सर्वोच्च पद पर विराजमान हैं। ऐसे में उनके ऊपर की गई नकारात्मक टिप्पणी आदिवासी समुदाय को किस कदर नागवार गुजर सकती है, इसका अंदाजा ममता बनर्जी को बखूबी है। यही वजह है कि उन्होंने अपने मंत्री अखिल गिरी की टिप्पणी पर माफी मांग मामले को रफा-दफा करना ही उचित समझा।

ममता को मिल रही थी मात
गौरतलब है कि ममता खुद भी आदिवासियों के बीच अपनी पैठ बनाने में जुटी हुई हैं। वह मंगलवार को झाड़ग्राम जाने वाली हैं, जहां बिरसा मुंडा की बर्थ एनिवर्सरी से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होंगी। इसके जरिए भी ममता आदिवासियों के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही हैं। टीएमसी सरकार ने हाल ही में इस दिन को अवकाश के रूप में घोषित किया था। ऐसे में ममता के मंत्री गिरी की मुर्मू की टिप्पणी उनकी रणनीतियों पर पानी फेरती नजर आ रही थी। वह सियासी रूप से घिरती नजर आ रही थीं। ऐसे में ममता के लिए यह बेहद जरूरी हो गया था कि वह जल्दी से जल्दी से इस मामले को रफा-दफा कर दें। संभवत: इसीलिए ममता ने खुद फ्रंट पर आते हुए माफी मांगने में ही भलाई समझी। बता दें कि ममता बनर्जी राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में द्रौपदी मुर्मू का नाम आने के बाद से ही खासी सतर्क हैं। तब तो उन्होंने यहां तक कह दिया था कि अगर भाजपा ने मूर्मू की उम्मीदवारी को लेकर पहले विपक्ष से बात की होती तो मूर्मु निर्विरोध राष्ट्रपति चुनी जातीं। यह तब था कि जबकि ममता राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की कर्ताधर्ता थीं।

ऐसा है पश्चिम बंगाल में आदिवासी वोटों का गणित
पश्चिम बंगाल में आदिवासी समुदाय 7 से 8 फीसदी होने का अनुमान है। जंगलमहल क्षेत्र के चार विधानसभा क्षेत्रों, जिसमें बांकुरा, पुरुलिया, झाड़ग्राम और पश्चिमी मिदनापुर शामिल हैं।  इसके अलावा उत्तरी बंगाल के दार्जिलिंग, कलिमपोंग, अलीपुर्दुआर, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, उत्तरी व दक्षिणी दिनाजपीर और मालदह में आदिवासियों की संख्या 25 फीसदी तक है। 2019 के लोकसभा चुनाव में, भाजपा ने यहां की 22 में से 18 सीटों पर जीत हासिल की थी। तब उसे आदिवासी क्षेत्रों से बड़ा समर्थन मिला था। तब उसने जंगलमहल की सभी और उत्तरी बंगाल की 6 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि 2021 के विधानसभा क्षेत्र में टीएमसी वापसी करने में सफल रही। तब उसने जंगलमहल जिले में जीत दर्ज की थी।