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आपके पिता चीफ जस्टिस थे, क्या इसलिए आप भी बने? बच्चों का CJI डीवाई चंद्रचूड़ से सवाल

सर्वोच्च न्यायालय में एक ऐसा मौका आया जब स्कूली बच्चों ने देश के मुख्य न्यायाधीश से जिरह की और जवाब मांगे। अनूठे संवाद के बीच बच्चों ने पूछा कि आपके पिता मुख्य न्यायाधीश थे, क्या इसीलिए आप भी बने।

सर्वोच्च न्यायालय में एक ऐसा मौका आया जब स्कूली बच्चों ने देश के मुख्य न्यायाधीश से जिरह की और जवाब मांगे। अनूठे संवाद के बीच बच्चों ने पूछा कि आपके पिता मुख्य न्यायाधीश थे, क्या इसीलिए आप भी सीजेआई बने। इसपर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ मुस्कुराए। फिर उन्होंने प्यार से सवालों के जवाब दिए।

मुख्य न्यायाधीश से संवाद करने वाले ये 29 बच्चे दिल्ली के डीएवी सेंटनरी पब्लिक स्कूल, पश्चिम एंक्लेव के थे जो बीते शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के गाइडेड टूर पर आए थे। मुख्य न्यायाधीश ने बच्चों से कहा कि वह कानून के पेशे में आएं वकील और जज बनें। इसपर बच्चों ने न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ से पूछा कि आपके पिता मुख्य न्यायाधीश थे, आप क्या उनसे प्रेरित हुए हैं। एक बालिका ने पूछा कि वह इस पेशे में आना चाहती है और जज बनना चाहती है, संभव हुआ तो वह मुख्य न्यायाधीश बनना चाहती है, उसके लिए उसे क्या करना होगा। लेकिन वह नर्वस है।

ट्रांसजेंडर बच्चों के लिए आरक्षण क्यों नहीं?

दूसरे बच्चे का सवाल था कि एनएलयू (राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय) में ट्रांसजेंडर बच्चों के लिए आरक्षण व्यवस्था क्यों नहीं है। यह बच्चा स्वयं ट्रांसजेंडर था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने ही यह फैसला दिया था कि ट्रांसजेंडर के अधिकार हैं और उन्हें वे मिलने चाहिए। लॉ स्कूल में ही क्यों ये सभी कॉलेज चाहे इंजीनियरिंग हो या मेडिकल, सबमें यह व्यवस्था होनी चाहिए। पर सवाल इसके लागू करने का है। यदि लागू नहीं हो रहा है तो अदालतों को सामने आना चाहिए और अपना उत्तरदायित्च निभाना चाहिए।

सर्वोच्च पद पर कैसा महसूस करते हैं?

अंत में एक बच्चे का सवाल था कि आप इतने सर्वोच्च पद पर पहुंच गए हैं आप कैसा महसूस करते हैं। इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वह इस दफ्तर से अभिभूत हैं, मैं इसे देश और नागरिकों की सेवा करने का मौका मानता हूं। सेवानिवृत्त होने से पहले में हर एक मिनट अपने देश और नागरिकों की सेवा करना चाहता हूं जिससे मैं उनके जीवन को और बेहतर बना सकूं। मैं हर एक व्यक्ति की आंख से आंसू नहीं पोछ सकता लेकिन मैं कोशिश होगी कि सभी को न्याय दे सकूं।

न्यायामूर्ति चंद्रचूड़ बोले-अपने पिता से बहुत कुछ सीखा

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने अपने पिता से बहुत कुछ सीखा है। उन्होंने उनसे यह सीखा कि आप चाहे कितने भी बड़े क्यों न हों, यह मत सोचो कि आप सब कुछ जानते हो क्योंकि ज्ञान का संसार बहुत विस्तृत है। दूसरी बात मैंने यह सीखी कि आप विनम्र और संवेदनशील बनें, इसके अलावा अपने कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध रहें।

बच्चों को सीजेआई ने दी सीख

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बच्चों को मेरा संदेश यही है के वह कर्तव्य को चुनें और समाज के लिए कुछ करें तथा इसे बहुत अच्छा स्थान बनाएं। सीजेआई बनने की इच्छा पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह बहुत मेहनत का काम है। मैं 20 साल वकील रहा। इसके बाद 13 साल बंबई हाईकोर्ट का जज रहा फिर तीन साल इलाहाबाद हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में छह साल जज रहा और एक हफ्ते से मुख्य न्यायाधीश हूं। आपको करना क्या है, सबसे पहले अपनी दृष्टि बनानी है। पहले अच्छे लॉ स्कूल में प्रवेश लो खूब पढ़ाई करें। डिग्री लेने के बाद तय करें कि वकील बनना है या पीजी करना है। वकील बनना है तो कैसे प्रेक्टिस करनी है, गरीबों के केस लेने हैं या कॉरपोरेट में जाना है। जो भी करें पूरी पूर्णता के साथ करें।