फिल्म मैरी कॉम…लीजेंड्री बॉक्सर की इस बायोपिक के लिए प्रियंका चोपड़ा को कई अवॉर्ड्स मिले, लेकिन इसी फिल्म में एक एक्ट्रेस ऐसी भी हैं, जिसकी जिंदगी में इस फिल्म के बाद तूफान आ गया। ये हैं मणिपुर की लिन लैशराम। बॉलीवुड में काम किया तो नॉर्थ-ईस्ट के आतंकवादी संगठनों ने इनको पूरे मणिपुर में बैन कर दिया। फतवे जारी हुए कि हिंदी फिल्मों में काम ना करें। नॉर्थ-ईस्ट से होने की भारी कीमत लिन ने चुकाई। ना फिल्मों में काम करने दिया गया, ना मणिपुर में एंट्री मिली।
अपने करियर की शुरुआत थिएटर से करने वाली लिन के लिए वैसे भी बॉलीवुड तक का सफर आसान नहीं था। स्विमसूट में एक फोटोशूट कराया तो मणिपुर के लोगों ने घरवालों को ताने मार-मारकर जीना मुहाल कर दिया। जैसे-तैसे स्ट्रगल के बाद फिल्म मैरीकॉम में एंट्री मिली, पहले लीड रोल करने वाली थीं, लेकिन मणिपुरी फेस और नैन-नक्श के कारण साइड रोल ही मिल सका।
कई वेबसीरीज और फिल्मों से इसलिए रिजेक्ट हुईं क्योंकि फेस नॉर्थ-ईस्ट वाला था। बहुत मेहनत के बाद एक वेब सीरीज मिली, उसमें काम किया तो फिर आतंकवादियों ने उन्हें धमकियां देनी शुरू कर दीं। कुछ फिल्में भी कीं, लेकिन रिलीज नहीं हो पाईं। हालात ऐसे हो गए कि लिन अब डिप्रेशन में हैं। 3-4 साल से लिन मणिपुर में अपने घर नहीं जा पाई हैं, मुंबई में ही रहकर अपने दोस्तों के साथ समय गुजार रही हैं और जैसे-तैसे खुद को संभाले हुए हैं।…
मेरा जन्म मणिपुर के इंफाल में हुआ था। मेरा पापा लैशराम चंद्रसेन एक बैंकर थे और मां मणिपुर के हॉस्पिटल में नर्स थीं। मेरी एक बड़ी बहन और एक बड़ा भाई भी है। मां-पापा दोनों जॉब करते थे इसलिए हमें कम उम्र में ही घर के बाहर रहकर पढ़ाई करनी पड़ी। इस वजह से मणिपुर से ज्यादा मैं मुंबई, जमशेदपुर जैसी जगहों पर रही।
2007 में मैंने इंडिया में मॉडलिंग करना शुरू किया। मैं मिस नॉर्थ-ईस्ट इवेंट में पहली रनर-अप थीं। मैं पहली ऐसी मणिपुर मॉडल थी जिसने नेशनल टेलीविजन पर स्विम सूट पहना था। इसके बाद मुझे अपने ही मणिपुरी लोगों ने क्रिटिसाइज करना शुरू कर दिया। घर के आस-पास के लोग तरह-तरह की बातें करते थे। मैं घर से दूर थी, लिहाजा मैंने अपनी आंखों से इन चीजों को नहीं देखा, लेकिन मेरे पेरेंट्स को इन सब चीजों का सामना करना पड़ा। उन लोगों को मेरे इस कदम की वजह से बहुत कुछ सहना पड़ा। हालांकि घरवालों ने इस का असर मुझ पर कभी भी नहीं पड़ने दिया।
पापा का मानना था कि ये मेरा काम था और मुझे इसे पूरी ईमानदारी के साथ करना था। उनका कहना था- मैं अगर पूरी दुनिया ट्रैवल कर रही हूं तो मुझे वहां के कल्चर और काम को सीखना पड़ेगा। वो पापा ही थे जिनके सपोर्ट से मैं अपना काम कर पाती थी और लोगों के क्रिटिसिज्म को फेस करती थी।
मैं मोटली ऑफ नसीरुद्दीन शाह थिएटर से भी जुड़ी थी। कॉलेज के दिनों में मुझे पता चला कि शाहरुख खान के प्रोडक्शन हाउस में फिल्म ओम शांति ओम बन रही है। इस फिल्म के लिए मैंने ऑडिशन दिया और सिलेक्ट भी हो गई।
इसके बाद मैंने बहुत स्ट्रगल किया। हर इंडस्ट्री में स्टीरियोटाइप होता है और मैंने भी इस इंडस्ट्री में बहुत फेस किया है। 10-10 इंटरव्यू के लिए जाती थी, लेकिन मुश्किल से किसी एक में सिलेक्ट हो पाती थी। जब मैं किसी ऐड फिल्म के लिए ऑडिशन देने जाती थी तो लोग विदेशी कह कर रिजेक्ट कर देते थे। मणिपुरी रंग-रूप और नैन-नक्श की वजह से मुझे रिजेक्ट कर दिया जाता था। मेरा चेहरा काफी हद तक साउथ एशिया के लोगों से मिलता है, जिस कारण मेरे साथ काफी भेदभाव हुआ।
हालांकि इन सभी चीजों को मैंने पॉजिटिव तरीके से लिया। मुझे इन रिजेक्शन से ये रास्ता मिल गया कि मैं जहां भी जाती थी, ये बता कर आती कि मैं मणिपुर से हूं। मेरा ये मानना था कि लोगों को जानकारी की कमी है इसलिए मैंने उन्हें समझाने का जिम्मा ले लिया। हालांकि बचपन में ये सारी बातें मुझे परेशान करती थीं। जब लोग चाइनीज या कुछ और कहकर बुलाते थे, तो मुझे बुरा लगता था।
इन सब उतार-चढ़ाव के बीच एक ऐसा भी फेज था जब मुझे मेरे बोलने की वजह से फिल्मों से निकाला गया। पहले लोग कहते थे कि मणिपुरी एक्सेंट है, इसको सुधारो। इसके बाद ही फिल्मों में काम मिलेगा। जब मैंने अपनी आवाज पर काम किया और हिंदी एक्सेंट को अपनाया तो अब वही लोग कहते हैं कि मणिपुरी एक्सेंट लाओ। वो कुछ अलग होगा, हिंदी तो सभी बोल लेते हैं।
जब मुझे पता चला कि मैरी कॉम पर फिल्म बन रही है और फिल्म की कहानी भी एक मणिपुरी ने लिखी है, तो मुझे लगा कि ये मेरे लिए अच्छा अवसर है। एक मणिपुरी और स्पोर्ट्स पर्सन होने की वजह से मेरा ये मानना था कि मैं इस रोल में खुद को अच्छे से ढाल पाऊंगी।
इसके बाद मैं जाकर फिल्म के मेकर्स और उसकी कास्टिंग टीम से मिली। टीम की तरफ से अच्छा रिस्पॉन्स मिला, लेकिन उस वक्त मेरी मुलाकात फिल्म के प्रोड्यूसर से नहीं हुई थी। कुछ समय बाद पता चला कि फिल्म संजय लीला भंसाली के प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले बन रही है। इसके बाद तो तय हो गया कि अगर इतने बड़े बैनर तले फिल्म बन रही है तो जाहिर है कि फिल्म में बड़ा स्टार ही कास्ट किया जाएगा। इसके बाद प्रियंका चोपड़ा को मैरी कॉम के रोल के लिए चुना गया
सके बाद कोई भी बड़ी फिल्म नहीं मिली और मैंने कई फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किए। इस दौरान मैं थिएटर से भी जुड़ी रही। 2017 में फिल्म रंगून आई। इस फिल्म को करने के बाद मेरा जुड़ाव थिएटर से कम हो गया। लोग कहते थे, ‘खाली समय में थिएटर क्यों नहीं करती हो।’ तब मेरा यही जवाब होता, ‘थिएटर करने में उतना मजा नहीं आता जितना मुझे कैमरे के सामने एक्ट करने में आता है।’
मुझे याद है कि मेरे बचपन में ही मणिपुर में अफस्पा एक्ट लग गया था। इस दौरान मणिपुर में कई लोगों की जानें गईं। साथ ही बॉलीवुड को भी बैन कर दिया गया था। इसी वजह से मेरा बॉलीवुड में काम करना एक बड़ा चैलेंज था। मैंने ये चैलेंज लिया। मैंने इस बात की चिंता नहीं कि मेरे इस कदम से मणिपुर में कितना हंगामा होगा। नतीजतन इस वजह से मुझे आज भी मणिपुर में क्रिटिसिज्म का सामना करना पड़ता है।
वहां के लोगों की भी गलती नहीं है। उन लोगों ने भी बहुत स्ट्रगल किया है और बहुत कुछ फेस किया है। जब मैं छोटी थी तो मैंने देखा था कि कितने लोगों की जान गई, कितने दंगे हुए। इसी वजह से उनका जो गुस्सा है और जो डिमांड है वो जायज है। मैंने ये भी देखा है कि बचपन में स्कूल में हमारी हिंदी किताबों को भी जला दिया जाता था क्योंकि उस समय सरकार हमारी भाषा को नेशनल लेवल पर मान्यता नहीं दे रही थी।
इन सबके बावजूद मेरे पेरेंट्स ने मुझे हर कदम पर सपोर्ट किया। उनका मानना था कि जब इस फील्ड में मैं इतना आगे आ गई हूं तो पीछे जाने का कोई मतलब नहीं है। उनके इस सपोर्ट की ये भी वजह थी कि उन्होंने मेरा काम देखा और उसके पीछे की मेहनत को भी देखा था। मेरी दोस्त बला हिजाम भी मणिपुर से ही थीं, उनको भी एक बॉलीवुड फिल्म में काम मिला था, लेकिन उनको भी नॉर्थ-ईस्ट के आतंकवादी संगठनों ने बॉलीवुड फिल्मों में काम करने के लिए मना कर दिया था। हालांकि बाद में वो साउथ की एक फिल्म में नजर आईं, जिस पर आतंकवादी संगठनों ने कोई आपत्ति नहीं जताई।
मैरी कॉम के बाद मैं नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज एक्सोन में नजर आई। इसकी कहानी में नॉर्थ-ईस्ट और उसके भेदभाव को दिखाया गया था। इस सीरीज में मेरा एक डायलॉग था जिसमें मैंने कहा था, सभी लोगों को साथ मिलकर रहना चाहिए। इस सीरीज में मेरा काम उन आतंकी संगठनों को रास नहीं आया जिसके बाद मुझे पूरी तरह से मणिपुर में बैन कर दिया गया। ये सीरीज 2019 में आई थी जिसके बाद मेरा वहां जाना मुश्किल हो गया। हालांकि कोई भी जगह किसी की प्रॉपर्टी नहीं होती। मैं मणिपुरी थी और रहूंगी और ये हक मेरे से कोई भी नहीं छीन सकता। फिलहाल मैं मुंबई में रह रही हूं।