Mainदेश

अगर राजीव गांधी नहीं होते तो मेरी शुरुआत ऐसी न होती, आलोचनाओं पर बोले गौतम अडानी

पीएम नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात से ताल्लुक रखने वाले अरबपति अडानी ने कहा कि उनकी सफलता किसी एक सरकार की वजह से नहीं है, बल्कि कई सरकारों का इसमें योगदान रहा है।

आलोचनाओं के बीच अडानी समूह के अध्यक्ष और संस्थापक गौतम अडानी ने बुधवार को कहा कि अगर राजीव गांधी नहीं होते तो उनकी शुरुआत इस तरह से नहीं होती। दरअसल गौतम अडानी अपनी उद्यमशीलता की यात्रा और विभिन्न सरकारों की उन नीतियों के बारे में बात कर रहे थे जिन्होंने उनकी पेशेवर सफलता को आगे बढ़ाने में मदद की। इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटोरियल डायरेक्टर (पब्लिशिंग) राज चेंगप्पा से बात करते हुए एशिया के सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी ने अपने तीन दशकों के पेशेवर सफर को चार चरणों में बांटा। उन्होंने कहा कि इसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का दौर भी देखा।

पीएम नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात से ताल्लुक रखने वाले अरबपति अडानी ने कहा कि उनकी सफलता किसी एक सरकार की वजह से नहीं है, बल्कि कई सरकारों का इसमें योगदान रहा है। उन्होंने कहा, “कई लोगों को जानकर आश्चर्य होगा कि जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब मेरा सफर शुरू हुआ। जब उन्होंने एग्जिम पॉलिसी को बढ़ावा दिया और पहली बार कई चीजें OGL लिस्ट में आईं तो इससे मेरा एक्सपोर्ट हाउस शुरू हुआ। अगर वो न होते तो मेरी शुरुआत ऐसी न होती।”

इसके बाद उन्होंने नरसिम्हा राव सरकार का जिक्र किया। अडानी ने कहा कि दूसरा मौका 1991 में आया जब नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह (तत्कालीन वित्त मंत्री) ने आर्थिक सुधार शुरू किए। बिजनेस टाइकून ने अपनी यात्रा का दूसरा चरण 1991 को बताया जब, जब पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने व्यापक आर्थिक सुधार लाए। उन्होंने कहा, “दूसरा बड़ा पुश मुझे 1991 में मिला जब पीएम नरसिम्हा राव और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की जोड़ी ने व्यापक आर्थिक सुधारों की शुरुआत की। कई अन्य उद्यमियों की तरह, मैं भी उन सुधारों का लाभार्थी था।”

गौतम अडानी ने कहा कि तीसरा मोड़ 1995 में आया जब केशुभाई पटेल ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने कहा, “तब तक, गुजरात में सारा विकास वापी, अंकलेश्वर, भरूच, सिलवासा, वडोदरा, सूरत और अहमदाबाद जैसे शहरों के माध्यम से मुंबई से दिल्ली तक NH 8 के आसपास ही था। वह दूरदर्शी थे और तटीय विकास पर ध्यान केंद्रित करते थे – और यह वह नीति परिवर्तन था जो मुझे मुंद्रा (पोर्ट) ले गया और मुझे अपना पहला बंदरगाह बनाने के लिए प्रेरित किया। बाकी, जैसा कि वे कहते हैं, इतिहास गवाह है।” अडानी समूह के अध्यक्ष ने अपनी बिजनेस यात्रा का चौथा चरण 2011 को बताया, जब गुजरात ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत विकास पर बड़े पैमाने पर ध्यान केंद्रित किया।

बता दें कि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अंबानी-अडानी पर खूब हमलावर रहे हैं। उन्होंने केंद्र की मौजूदा मोदी सरकार पर कई आरोप लगाए।  इन आरोपों पर गौतम अडानी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मैं एक ही प्रदेश से आते हैं, इसलिए मुझ पर ऐसे निराधार आरोप लगाना आसान हो जाता है।