कर्नाटक चुनाव में भाजपा की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद विपक्षी कांग्रेस के नेताओं की एकजुटता और भाजपा के अंदरूनी विवाद चुनावों पर असर डाल सकते हैं।
भारत जोड़ो यात्रा और अनुसूचित जाति जनजाति समुदाय के सम्मेलन की सफलता के बाद कांग्रेस को कर्नाटक में जीत की उम्मीद बढ़ गई है। पार्टी को भरोसा है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी। हालांकि, पार्टी नेताओं की अंदरुनी कलह और जनता दल (एस) पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकती है। इधर, भारतीय जनता पार्टी भी सामाजिक समीकरण मजबूत करने में जुटी हुई है।
कर्नाटक में जनाधार बढ़ाने और मतदाताओं को भरोसा जीतने के लिए पार्टी विभिन्न वर्गों और समुदायों का सम्मेलन करने की तैयारी कर रही है। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा 16 जनवरी को महिला सम्मेलन को संबोधित करेंगी। हिमाचल प्रदेश की तरह कांग्रेस कर्नाटक में भी महिलाओं के लिए अलग से वादे कर सकती है।
खड़गे का गृहराज्य
कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का गृहराज्य है। यही वजह है कि उन्होंने एससी/एसटी के एक्यता समावेश में लोगों से कांग्रेस को वोट देने की अपील की। पार्टी मानती है कि चुनाव में खड़गे का गृहप्रदेश होने का फायदा मिल सकता है। प्रदेश में दलित करीब 23 फीसदी है और एससी के लिए 35 सीट आरक्षित हैं।
लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय की भूमिका अहम
कर्नाटक में लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। लिंगायत भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माने जाते हैं। वहीं, 16 फीसदी वोक्कोलिगा जेडीएस के वोटर माने जाते हैं। पर इस बार आरक्षण बढ़ाने की मांग को लेकर लिंगायत भाजपा से नाराज हैं। इससे कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ गई हैं।