रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लेकर इन दिनों तीन अलग-अलग दावे हो रहे हैं। सभी में ही पुतिन की मौत का जिक्र है। इन दावों में कहा जा रहा है कि सात अक्तूबर से पहले पुतिन की हत्या हो जाएगी। सात अक्तूबर को ही पुतिन का जन्मदिन होता है। पहले भी इस तरह के कई दावे हो चुके हैं। सवाल उठ रहा है कि आखिर इसके पीछे सच्चाई क्या है? किसने पुतिन की हत्या का दावा किया और क्यों? कौन पुतिन को मारना चाहता है? रूस की सरकार का क्या कहना है? आइए समझते हैं…
सबसे पहले पुतिन के गंभीर रूप से बीमार होने की खबर सामने आई। अमेरिकी रिपोर्ट्स के अनुसार, पुतिन को कैंसर और पार्किन्सन जैसी गंभीर बीमारियां हैं। इसके चलते उन्हें काफी दर्द रहता है और अब वह कई चीजें भूलते भी जा रहे हैं।
ये भी दावा हुआ कि कैंसर के चलते पुतिन को पेट से संबंधित दिक्कतें शुरू हो गईं हैं। कब्ज और गैस जैसी समस्या से वह जूझ रहे हैं। एक अन्य रिपोर्ट में दावा किया गया कि व्लादिमीर पुतिन घर में सीढ़ियों से नीचे गिर गए थे। इसके चलते उन्हें कमर के निचले हिस्से में चोट लगी है।
तीसरा दावा रूस के मुख्य विपक्षी दल के नेता ल्या पोनोमारेव ने किया है। पोनोमारेव इन दिनों यूक्रेन में रह रहे हैं। पोनोमारेव ने दावा किया है कि राष्ट्रपति पुतिन इस साल सात अक्तूबर से पहले मारे जाएंगे। उनका खून होगा। पोनोमारेव ने एक अखबार को इंटरव्यू देते हुए कहा कि पुतिन अपना 71वां जन्मदिन नहीं मना पाएंगे। पोनोमारेव ने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि नीदरलैंड के द हेग शहर में मैं उनसे (पुतिन) मिल लूं, लेकिन लगता है कि अब ये मुमकिन नहीं है। ये मुलाकात नहीं हो पाएगी। उनके (पुतिन) करीबी लोग वहां जाने के पहले ही उनका कत्ल कर देंगे।
व्लादिमीर पुतिन की हत्या की आशंका जाहिर करने वाले ल्या पोनोमारेव रूसी संसद के सदस्य हैं। वह रूस के मुख्य विपक्षी दल के बड़े नेता हैं। पोनोमारेव को पुतिन का बड़ा आलोचक माना जाता है। वह खुलकर पुतिन सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी बातें रखते हैं। 2014 में जब रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर हमला किया तो पोनोमारेव ने इसका विरोध किया था। पोनोमारेव इकलौते ऐसे सांसद थे, जिन्होंने संसद में खुलेआम पुतिन के फैसले का विरोध किया था। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और कई महीनों तक जेल में रखा गया। 2016 में पोनोमारेव रूस छोड़कर यूक्रेन चले गए और यहीं की नागरिकता ले ली।
पुतिन की हत्या की आशंका इसलिए भी चर्चा में है, क्योंकि पिछले एक साल के अंदर कई रूसी उद्योगपतियों और नेताओं की संदिग्ध मौत या हत्या हो चुकी है। इनमें से कुछ राष्ट्रपति पुतिन के करीबी रहे, तो कुछ दुश्मन और आलोचक भी थे। पिछले 20 दिन के अंदर भारत में ही तीन रूसी नागरिकों की मौत हो चुकी है। इनमें एक पुतिन के आलोचक सांसद थे, जबकि दूसरे उद्योगपति। एक बड़े इंजीनियर की भी संदिग्ध मौत हो चुकी है।
पिछले एक साल के आंकड़े देखें तो ऐसे 10 से ज्यादा रूसी उद्योगपतियों, कारोबारियों, नेताओं की मौत हो चुकी है। इसमें किसी की मौत अस्पताल तो किसी की होटल की छत से गिरने से हुई। कईयों को गोली मारी गई और कुछ के शरीर में जहर मिले।
1. एजेक्जेंडर ट्युलाकोव: रूस और यूक्रेन जंग शुरू होने के कुछ घंटे बाद ही गजप्रॉम तेल कंपनी से जुड़े दिग्गज व्यवसायी अलेक्जेंडर ट्युलाकोव का शव उनके घर के गैराज में फंदे पर झूलते हुए मिला था। पुलिस जब जांच को पहुंची तो कंपनी के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें अंदर घुसने नहीं दिया। काफी देर बाद उन्हें पुलिस को अंदर जाने दिया गया। ठीक इसी तरह कुछ दिन बाद यूक्रेन के तेल व्यवसायी मिखाईल वाटफोर्ड की लाश भी गैराज में फांसी के फंदे पर मिली थी।