राजनीती

क्या कांग्रेस में वापसी करेंगे नाराज नेता ?

राहुल गांधी की सात सितंबर से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा में अब तक सियासत के लिहाज से बहुत कुछ सहेजा और जोड़ा गया। लेकिन जिस तरीके से राहुल गांधी ने कश्मीर में गुलाम नबी आजाद से माफी मांगी, उससे सियासी गलियारों में चर्चाएं हैं कि क्या राहुल गांधी का यह निशाना सटीक लगा है। हालांकि राहुल के गुलाम नबी आजाद से माफी मांगने के बाद आजाद और कांग्रेस के बीच में बनी बड़ी खाई कम होगी या नहीं यह तो बाद की बात है। लेकिन राहुल गांधी ने ऐसा करके उन सभी नाराज नेताओं को एक सॉफ्ट मैसेज तो दे ही दिया है जो कि राहुल गांधी को किसी न किसी बहाने निशाने पर लेते रहते थे। फिलहाल सियासी जानकार राहुल गांधी की माफी को सटीक सियासी निशाना मान रहे हैं।

आजाद से माफी मांगना भी सियासी हलकों में बड़ा संदेश

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब कश्मीर में पहुंची, तो चर्चा इसी बात की सबसे ज्यादा हो रही थी क्या गुलाब नबी आजाद भी राहुल गांधी की इस यात्रा से जुड़ेंगे या नहीं। हालांकि सीधे तौर पर गुलाम नबी आजाद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से कश्मीर में नहीं जुड़े, लेकिन कांग्रेस नेताओं का कहना है उनकी पार्टी से जुड़े तमाम नेता उनके मंच पर कश्मीर में पहुंचे। कश्मीर में गुलाम नबी आजाद का नाम और चेहरा बड़ा महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसे में राहुल गांधी का गुलाम नबी आजाद से माफी मांगना भी सियासी हलकों में बड़ा संदेश देता है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस तरीके से राहुल गांधी ने गुलाम नबी आजाद से माफी मांगी है, वह जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों से लेकर लोकसभा के चुनावों तक बड़ा असर कर सकती है। राजनीतिक विश्लेषक जटाशंकर सिंह कहते हैं कि राहुल गांधी का माफी मांगना सियासत का वह सही निशाना है, जो राजनीतिक लिहाज से न सिर्फ महत्वपूर्ण है, बल्कि उन सभी नेताओं के लिए एक बड़ा संदेश है जो राहुल गांधी को गाहे-बगाहे निशाने पर लेते रहते थे।

पार्टी छोड़ने वालों के प्रति सॉफ्ट

दरअसल राहुल गांधी ने गुलाम नबी आजाद से माफी मांग कर एक बात तो स्पष्ट कर दी है कि वह कांग्रेस के उन सभी नेताओं के लिए सॉफ्ट रवैया अपना रहे हैं, जो कभी उनको भला बुरा कह कर पार्टी छोड़ कर चले गए थे। गुलाम नबी आजाद ने भी जब कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया था, तो उन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व क्षमता पर सवाल लगाते हुए और भी तमाम अंदरूनी राजनीति का जिक्र किया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी के गुलाम नबी आजाद से माफी मांगने के साथ यह मैसेज साफ हो गया है कि उन नेताओं के लिए भी कांग्रेस के बंद दरवाजे खुल सकते हैं, जो उन्हें बुरा-भला बोल कर पार्टी छोड़ कर चले गए थे। हालांकि ऐसा सभी नेताओं के लिए होगा, यह कहना तो मुश्किल है। लेकिन राहुल गांधी के इस रवैए को सियासी गलियारों में बहुत सकारात्मकता के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं, गुलाम नबी आजाद से माफी मांगने के बाद अब कांग्रेस के भीतर भी चर्चा इस बात की हो रही हैं, क्या इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब उन सभी नेताओं के लिए भी दरवाजे खुल जाएंगे, जो पार्टी पर तमाम तरह के आरोप लगा कर चले गए। सवाल यह भी उठ रहा है क्या राहुल गांधी की माफी मांगने के साथ गुलाम नबी आजाद वापस उनकी पार्टी में शामिल होंगे या उनके बीच जमी हुई बर्फ पिघलेगी।

इन सारे सवालों के जवाब में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के पदाधिकारी कहते हैं कि कांग्रेस इतनी बड़ी पार्टी है और लोकतांत्रिक तरीके से हर कोई अपनी बात को मंच पर रखता है। वह कहते हैं जाहिर सी बात है कि इसमें कुछ लोग नाराज भी हुए हैं और तमाम तरह के आरोप लगाकर पार्टी छोड़ कर चले गए हैं। उनका कहना है बावजूद इसके अगर उनका नेता माफी मांगता है, तो यह संदेश देने के लिए काफी है कि आने वाले दिनों में बहुत कुछ बदल सकता है। वह कहते हैं राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का मकसद यही है कि सब को एक साथ जोड़कर आगे बढ़ा जाए। ऐसे में उनकी विचारधारा से इत्तेफाक रखने वाले उन सभी लोगों का उनकी पार्टी स्वागत भी करती है।

अंतिम पड़ाव की ओर भारत जोड़ो यात्रा

दरसल राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक तमाम तरह के राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को छूती हुई अपने अंतिम पड़ाव की ओर पहुंच चुकी है। कहने को तो कांग्रेस की ओर से यही दावा किया जा रहा है कि भारत जोड़ो यात्रा गैर राजनीतिक यात्रा है और इसमें देश के लोगों से जुड़े हुए सामाजिक मुद्दों को उठाने और उसको समझने के लिए यह आंदोलन के तौर पर चलाया गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के तमाम दावों और वादों के बाद भी यह यात्रा राजनैतिक रूप से पार्टी को ऑक्सीजन देने का काम कर रही है। सियासी जानकार जटाशंकर सिंह कहते हैं कि राहुल गांधी ने अपनी पूरी यात्रा के दौरान जिस तरीके से सियासी निशाने लगाए हैं वह सामाजिक मुद्दों के साथ उनकी पार्टी को एक नई जान देने का भी काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि गुलाम नबी आजाद से माफी मांगने के साथ राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर में आजाद के फॉलोअर्स को यह संदेश दिया है कि अगर कहीं अनजाने में उनके नेता का दिल दुखा है तो उसके लिए वह माफी मांगते हैं। सिंह कहते हैं कि ऐसा करके राहुल गांधी ने पॉलिटिक्स में पोलाइट होने का एक बड़ा संदेश दिया है। संभव है इससे कांग्रेस पार्टी को आने वाले दिनों में फायदा भी हो।