जी-4 समूह के देशों ने एक बार फिर इस बात को दोहराया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की तत्काल आवश्यकता है। समूह ने यह भी कहा कि अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) के लिए संरचनात्मक ढांचे गठन की आवश्यकता है। जी-4 समूह में भारत, जापान, ब्राजील और जर्मनी शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 77वें सत्र के उद्घाटन के मौके पर जर्मनी की स्थायी प्रतिनिधि एंट्जे लिएंडरत्से ने जी-4 की ओर से कहा, मैं बताना चाहूंगी कि यूएनएससी में सुधार की तात्कालिकता को पिछले सितंबर में आम बहस में हमारे अधिकांश नेताओं द्वारा स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया था, जिसमें दुनिया के सभी क्षेत्रों और इस परिषद के अधिकांश स्थायी सदस्य, विकासशील और विकसित देश शामिल थे। यूएनएससी में सुधार की तात्कालिकता आईजीएन की कार्य प्रक्रिया से पूरी तरह असंगत है।
जर्मनी की राजदूत एंट्जे लिएंडरत्से ने कहा कि सदस्य देश पिछले 15 वर्षों से आईजीएन के लिए बैठक कर रहे हैं, लेकिन अभी भी चर्चाओं को आधार बनाने के लिए इच्छुक हितधारकों की स्थिति को बताने के लिए कोई मसौदा नहीं है। सदस्य देशों के पास आईजीएन कार्यवाही का एक भी तथ्यात्मक विवरण या रिकॉर्ड नहीं है।
उन्होंने कहा, आईजीएन के मसौदे में यह संरचनात्मक दोष हमें एक सर्कल में घूमते रहने में अत्यधिक योगदान देता है। हमें इस प्रक्रिया के प्रति अपने नजरिए को व्यापक रूप से बदलने की आवश्यकता है ताकि आईजीएन की वार्ता आखिरकार मामले के महत्व और तात्कालिकता पर खरा उतर सके। उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र के 30 से ज्यादा सदस्यों के एक समूह हाल ही में ‘अ कॉल टू एक्शन’ दस्तावेज पर हाल ही में हस्ताक्षर किए है, जिसमें स्पष्ट रूप से यह अपील की गई है। इस संबंध में हम कुछ ठोस सुझाव देना चाहेंगे।
उन्होंने कहा, आईजीएन के गठन के 15 साल बाद यह सुनना परेशान करने वाला हो गया है कि कुछ प्रतिनिधिमंडल इस बात पर जोर दे रहे हैं कि किसी अध्याय पर चर्चा करना जल्दबाजी होगी… हमारा ठोस सुझाव यह है कि हम अपने विचार-विमर्श को पिछले साल के एलिमेंट पेपर के आधार पर करें, जो पिछले सह सह-सुविधा प्रदाताओं द्वारा प्रसारित किया गया था। हम पैराग्राफ दर पैराग्राफ दस्तावेज पर चर्चा कर सकते हैं, सदस्यों की स्थिति जोड़ सकते हैं, जो तय समय के भीतर वास्तव में प्रक्रिया को अनुमति देगा।