भारतीय रेलवे इस समय पूरे देश में हाई-स्पीड और सेमी हाई-स्पीड ट्रेनें चलाने की योजना बना रहा है। लेकिन इसी बीच मंत्रालय की गाड़ियों की स्पीड पर अंकुश बढ़ाता जा रहा है। रेलवे के आंकड़े बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में मंत्रालय ने गति पर तीन गुना स्थायी प्रतिबंध जोड़ दिए।
दरअसल, पहली छमाही में रेलवे का लक्ष्य था कि अस्थायी और स्थायी गति प्रतिबंधों को कम करे, लेकिन क्षेत्रीय अंचलों ने इसमें 653 नए प्रतिबंध जोड़ दिए। सिर्फ 184 हटाए हैं। वर्तमान में रेलवे में 7,000 से अधिक प्रतिबंध हैं। स्थायी गति प्रतिबंध आमतौर पर तीखे मोड़ या क्रॉसओवर के निकट आने वाले क्षेत्रों में लगाए जाते हैं। इसके अलावा ऐसे क्षेत्र जहां पटरी के पास कोई भवन होते हैं या जहां पैदल यात्री अवागमन ज़्यादा होता है। लेवल क्रॉसिंग भी इन प्रतिबंधों का एक प्रमुख कारण है, हालांकि रेलवे ने अपने ब्रॉड-गेज नेटवर्क पर ऐसे अधिकांश क्रॉसिंग को समाप्त कर दिया है।
रेलवे से मिली जानकारी के मुताबिक, वंदे भारत के लिए 160 किमी प्रति घंटे की गति तब तक संभव नहीं होगी जब तक कि पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं होगा। मंत्रालय दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्गों पर संवेदनशील हिस्सों में चारदीवारी लगाने पर विचार कर रहा है। ये मुद्दा रेलवे बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों द्वारा उठाया गया था और मंत्रालय ने इस वित्त वर्ष में लगाए गए सभी प्रतिबंधों की समीक्षा शुरू कर दी है। अधिकारियों को इन प्रतिबंधों को हटाने में तेजी लाने के लिए भी कहा गया है।
रेलवे ने कथित तौर पर मिशन रफ्तार के तहत निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने की समय सीमा को दो साल के लिए टाल दिया है। योजना के तहत, मंत्रालय का लक्ष्य मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की औसत गति को बढ़ाकर 75 किमी प्रति घंटे और मालगाड़ियों को 50 किमी प्रति घंटे तक करना है। अक्तूबर तक मालगाड़ियों की औसत गति पिछले साल की तुलना में 16 फीसदी अधिक थी। मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक, मालगाड़ियों की औसत गति 19 किमी प्रति घंटे के करीब है, जिसमें यार्डिंग और स्टेबलिंग समय शामिल है। इस बीच, ढुलमुल निगरानी के कारण कई अस्थायी गति प्रतिबंध लगाए गए हैं। एक महीने से अधिक पुराने इस तरह के प्रतिबंधों की एक बड़ी संख्या को रेलवे नेटवर्क पर लंबित छोड़ दिया गया है।