नेपाल के सत्ताधारी गठबंधन में दरार चौड़ी होती जा रही है। इससे पुष्प कमल दहल सरकार का भविष्य लगातार अनिश्चित होता जा रहा है। गठबंधन में शामिल दोनों प्रमुख पार्टियां राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर अपने रुख पर अड़ी हुई हैं। दहल की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) में से कोई भी इस मुद्दे पर रियायत देने के मूड में नहीं है। इसलिए रविवार को प्रधानमंत्री दहल के निवास पर हुई गठबंधन की बैठक में कोई हल नहीं निकल सका।
बैठक में दहल अपनी इस मांग पर अड़े रहे कि अगले राष्ट्रपति का नाम सभी दलों के बीच आम सहमति से तय किया जाए। जबकि ओली अपनी इस बात पर कायम रहे कि अगला राष्ट्रपति कौन होगा, यह उनकी पार्टी तय करेगी। ओली की दलील है कि पिछले 25 दिसंबर को जब सात दलों का नया गठबंधन बना था, तभी उन दलों के बीच सहमति बनी थी कि राष्ट्रपति और प्रतिनिधि सभा के स्पीकर का पद यूएमएल को मिलेगा। अब दहल उस सहमति से मुकर रहे हैँ, जबकि उन्हें उसी रोज बनी सहमति के कारण प्रधानमंत्री पद मिला था।
अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए पर्चा दाखिल करने के लिए अब 13 दिन का समय ही बचा है। दोनों पार्टियों के सूत्रों ने मीडियाकर्मियों को बताया है कि दहल और ओली के बीच कई बार निजी मुलाकातें भी हुई हैं। लेकिन मतभेद बना हुआ है। इसी बीच राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के नेता रवि लमिछाने को फिर से गृह मंत्री बनाने के सवाल भी सत्ताधारी गठबंधन में मतभेद गहराने के संकेत हैं। खबरों के मुताबिक रविवार की बैठक में लमिछाने से अपील की गई कि वे गृह मंत्रालय के अलावा कोई दूसरा मंत्रालय लेकर सरकार में लौटने के लिए तैयार हो जाएं। लेकिन लमिछाने ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। समझा जाता है कि यूएमएल लमिछाने की मांग को स्वीकार करने की वकालत कर रही है, लेकिन दहल इसके लिए राजी नहीं हैं।
इन खबरों से सत्ताधारी गठबंधन में संभावित बिखराव की चर्चा जोर पकड़ती जा रही है। इसे देखते हुए गठबंधन के नेताओं को लगातार सफाई देनी पड़ रही है। रविवार की बैठक के बाद राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता राजेंद्र लिंगडेन ने कहा कि सभी घटक दल गठबंधन को मजबूत बनाने पर राजी हुए हैं। उन्होंने कहा- ‘राष्ट्रपति चुनाव को लेकर गठबंधन में कोई मतभेद नहीं है। अगर 25 दिसंबर के समझौते पर परिवर्तन की जरूरत हुई, तो बातचीत के जरिए उसे भी कर लिया जाएगा।’
यूएमएल के उपाध्यक्ष सुभाष नामबाग ने भी दावा किया है कि गठबंधन कमजोर नहीं हुआ है। उन्होंने कहा है- ‘मीडिया में गठबंधन के कमजोर पड़ने की अटकलों के बीच हमने अपनी सहभागिता को और मजबूत करने की जरूरत समझी है। सभी पार्टियां गठबंधन में बने रहने के लिए वचनबद्ध हैं और गठबंधन एकजुट बना हुआ है।’ लेकिन टीकाकारों ने पूछा है कि गठबंधन में अगर सचमुच सब कुछ ठीक-ठाक है, तो इसके नेताओं को बार-बार अपनी एकजुटता के दावे क्यों करने पड़ रहे हैं?