पांच साल पहले लाइट एंड साउंड शो के लिए पर्यटन विभाग ने डेढ़ करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार कर शुरू किया था। सालभर तक पर्यटकों का अच्छा प्रतिसात मिला था,लेकिन राजवाड़ा की बाई तरफ का हिस्सा टूटने के बाद शो बंद हो गया
30 करोड़ खर्च करने के बाद नगर निगम ने शहर के दिल राजवाड़ा की उम्र 100 साल के लिए फिर बढ़ा दी है। लोकार्पण के बाद राजवाड़ा शहरवासियों के लिए फिर खोल दिया गया है। अब नगर निगम और पर्यटन विभाग मिलकर राजवाड़ा के भीतर नई सुविधाएं देने की तैयारी कर रहे है। पर्यटन विभाग ने राजवाड़ा में फिर से लाइट एंड साउंड शो शुरू करने की तैयारी की है। इस शो में आवाज अमिताभ बच्चन की रहेगी। शो में एक घंटे तक राजवाड़ा के भीतर अमिताभ की आवाज के अलावा मिलों के भोंगे, घोड़ों की टाप और टेंपो की आवाज के इफेक्ट भी रहेंगे।
पांच साल पहले लाइट एंड साउंड शो के लिए पर्यटन विभाग ने डेढ़ करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार कर शुरू किया था। सालभर तक पर्यटकों का अच्छा प्रतिसाद मिला था,लेकिन राजवाड़ा की बाई तरफ का हिस्सा टूटने के बाद शो बंद हो गया और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम ने राजवाड़ा के जीर्णोद्धार की योजना तैयार की। राजवाड़ा का पुराना स्वरुप लौटाने के लिए निर्माण एजेसिंयों ने चार साल का समय लिया, लेकिन अब राजवाड़ा पहले से ज्यादा मजबूत और भव्य नजर आने लगा है। भीतर के हिस्से में शो के लिए लेजर लाइट, एलईडी आदि लगाई गई है। साउंड इफेक्ट के लिए स्पीकर भी लगाए जा रहे है। एक से दो माह में लाइट एंड साउंड शो फिर शुरू हो जाएगा।
रात में होंगे दो शो
पर्यटन विभाग के अफसरों के अनुसार शाम सात से 9 बजे तक दो शो होंगे। अभी इसका टिकट तय नहीं हुआ है, लेकिन डेढ़ सौ से 200 रुपये प्रति व्यक्ति का टिकट हो सकता है। एक शो अंग्रेजी भाषा में होगा, जबकि दूसरा शो हिन्दी भाषा में रहेगा। पहले शो राजवाड़ा की बाई तरफ की दीवार पर होता था,लेकिन अब राजवाड़ा के भीतर के पिछले हिस्से में शो दिखाई देगा। इसकी टेस्टिंग भी हो चुकी है।
लोहे से किया मजबूत
राजवाड़ा को उसका पुराना स्वरुप लौटाने के लिए जूट, चूना, गोंद, बेल सहित अन्य वस्तुओं के मिश्रण से दीवारों को पक्का किया गया। राजवाड़ा की उपरी मंजिलों से अनावश्यक वजन हटाया गया। राजवाड़ा के निर्माण में लकड़ी का इस्तेमााल ज्यादा हुआ है। उस लकड़ी के भीतर लोहे की छड़ से राजवाड़ा के पिलरों को मजबूती देने की कोशिश की गई है। इसके अलावा नींव के आसपास भी अलग तरह के मिश्रण डालकर उसे मजबूत किया गया है। दीवारों पर भी विशेष प्रकार के रसायन लगाए गए है, ताकि बारिश में काई न जमे।