पाकिस्तान में आर्थिक संकट गहराने और भविष्य अनिश्चित दिखने के कारण हजारों की संख्या में लोग कामकाज की तलाश में विदेश जाने लगे हैं। इनमें बड़ी संख्या में पढ़े-लिखे लोग और कुशल कर्मी भी हैं। जानकारों का कहना है कि अगर यह सिलसिला नहीं रुका, तो पाकिस्तान का दीर्घकालिक भविष्य भी अंधकारमय हो जाएगा।
पाकिस्तान सरकार के ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन एंड ओवरसीज इम्पलॉयमेंट के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2022 में 8,32,339 पाकिस्तानी विदेश चले गए। 2016 के बाद इतनी बड़ी संख्या में कभी भी पाकिस्तान से इतनी बड़ी संख्या में लोग बाहर नहीं गए थे। पिछले साल सबसे ज्यादा लोग सऊदी अरब गए। उनकी संख्या पांच लाख 14 हजार से अधिक रही।
क्वेटा स्थित इमिग्रेशन अधिवक्ता अहमद जमाल के मुताबिक विदेश गए लोगों की असल संख्या सरकारी तौर पर दर्ज तादाद से ज्यादा है। उन्होंने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम को बताया कि ये आंकड़े सिर्फ उन लोगों की संख्या बता रहे हैं, जो वर्क वीजा पर विदेश गए। अगर ट्रेवलिंग वीजा, स्थायी निवास वीजा, छात्र वीजा और सेटलमेंट वीजा पर बाहर गए लोगों की संख्या भी देखी जाए, तो कुल आंकड़ा बहुत ज्यादा दिखेगा।
आम बातचीत में यहां लोग यह कहते सुने जा रहे हैं कि देश में जैसे हालात बन गए हैं, उसके बीच यहां शायद ही कोई रहना चाहेगा। देश की अर्थव्यवस्था ढहने के कगार पर है। जनवरी में महंगाई दर 27.6 फीसदी रही। जबकि देश के पास लगभग तीन बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार ही बचा है। पाकिस्तान की सालाना प्रति व्यक्ति आय 1,658 डॉलर तक गिर चुकी है।
विशेषज्ञों के मुताबिक युवाओं को देश के अंदर अपना भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा है। जबकि देश में 60 फीसदी से भी अधिक आबादी 30 वर्ष से कम उम्र की है। दो दशक से अपने माता-पिता के साथ संयुक्त अरब अमीरात में रह रहीं 25 वर्षीया बिजनेस डेवलपमेंट प्रोफेशनल अतिया खान ने निक्कईएशिया से कहा- ‘आम सुरक्षा से लेकर अर्थव्यवस्था तक कई ऐसे पहलू हैं, जो मेरे जैसे युवाओं विदेश जाने के लिए मजबूर कर रही हैं।’ कराची स्थित पत्रकार तानिया बलोच दो वर्ष पहले कनाडा जाकर बस गईं। उन्होंने कहा- ‘मैंने इसलिए पाकिस्तान छोड़ा, क्योंकि वहां मेरे बच्चों का भविष्य सुरक्षित नहीं था।’
हाल के महीनों में देश में आतंकवाद की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं। लेकिन ज्यादातर लोग खराब अर्थव्यवस्था के कारण देश छोड़ रहे हैं। पिछले साल जो लोग बाहर गए, उनमें लगभग 90 हजार कुशल कर्मी थे। लंदन स्थित अर्थशास्त्री युसूफ नज़र ने कहा है कि पाकिस्तान के बिजनेस ग्रैजुएट्स को बेहतर मौके विदेशों में ही मिलते हैं। लेकिन उनके देश छोड़ने से पाकिस्तान में सक्षम कर्मियों की कमी होती है, जिसका वहां की अर्थव्यवस्था पर खराब असर हुआ है।
वैसे देश से बाहर जाने वालों में सिर्फ नौजवान ही नहीं हैं। बल्कि 40 से 60 वर्ष उम्र वर्ग के लोग भी मौका मिलते ही देश से बाहर जाने लगे हैं। क्वेटा के इमिग्रेशन अधिवक्ता जमाल ने कहा- ‘सचमुच यह देख कर हैरत होती है कि अपेक्षाकृत बुजुर्ग लोग भी पाकिस्तान में सुरक्षा और अर्थव्यवस्था की खराब हालत के कराण बाहर जाने के रास्तों की गंभीरता से तलाश कर रहे हैं।’