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मुंबई में इन दिनों गली चौराहों पर एक फिल्म ‘आजमगढ़’ की बड़ी बड़ी होर्डिंग लगे देखे

मुंबई में इन दिनों गली चौराहों पर एक फिल्म ‘आजमगढ़’ की बड़ी बड़ी होर्डिंग लगे देखे जा सकते हैं। होर्डिंग पर पंकज त्रिपाठी की बहुत बड़ी सी तस्वीर है और उनका हुलिया और फिल्म का नाम जोड़कर देखने पर मामला कुछ कुछ चौंकाने वाला सा नजर आता है। तहकीकात करने पर पता चला कि पंकज त्रिपाठी इस फिल्म में ऐसे मौलवी के किरदार में हैं जो युवाओं को आतंकवाद की राह दिखाता है। लेकिन, उससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि पंकज त्रिपाठी को इस फिल्म की रिलीज के बारे में पता ही नहीं है। फिल्म के निर्देशक कमलेश कुमार मिश्रा है जो अपनी एक डॉक्यूमेंट्री के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीत चुके हैं।
पंकज त्रिपाठी

 

आजमगढ़ का नाम जब सामने आता है तो पूर्वी उत्तर प्रदेश के इस जिले से जुड़े रहे तमाम अराजकतत्वों के नाम दिमाग में घूम जाते हैं। मुंबई में लगी इसी नाम के फिल्म की होर्डिंग पर ही ये लिखा है कि इसे मास्क टीवी नाम के किसी अनजान से ओटीटी पर रिलीज किया जाना है। ओटीटी के क्रिएटिव हेड संजय भट्ट से इस बारे में बात की गई तो उनका कहना है कि इस फिल्म के माध्यम से हमने यह दिखाने की कोशिश की है कि आजमगढ़ का रहने वाला हर युवक आतंकवादी नहीं होता है। इस फिल्म को सीरीज और फिल्म दोनों रूप में ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज करने की उनकी योजना है। संजय भट्ट का दावा है कि ये फिल्म 2019 में बनी।
पंकज त्रिपाठी

 

‘आजमगढ़’ में पंकज त्रिपाठी ने एक ऐसी मौलवी की भूमिका निभाई है, जो नवयुवकों को आतंकवादी बनने के लिए प्रेरित करता है। इस फिल्म के बारे संपर्क किए जाने पर अभिनेता पंकज त्रिपाठी के करीबी बताते हैं कि पंकज की जानकारी में ये एक शॉर्ट फिल्म है और इसके लिए उन्होंने सिर्फ तीन दिन ही शूटिंग की। लेकिन फिल्म के निर्माता उनके नाम का इस्तेमाल करके फिल्म को ऐसे प्रचारित कर रहे हैं, जैसे फिल्म में पंकज त्रिपाठी की लीड भूमिका हो। सूत्रों के मुताबिक पंकज त्रिपाठी नहीं चाहते कि फिल्म में उनके नाम को जोड़कर सस्ती लोकप्रियता बटोरी जाए। बातचीत के दौरान इस बात का भी खुलासा हुआ कि पंकज त्रिपाठी ने बिना पारिश्रमिक लिए इस फिल्म में काम किया है।

कमलेश कुमार मिश्रा

 

फिल्म ‘आजमगढ़’ के निर्माता- निर्देशक कमलेश कुमार मिश्रा इस फिल्म से पहले ‘मधुबनी- द स्टेशन ऑफ कलर्स’ जैसी कई डाक्यूमेंट्री फिल्मों का निर्माण कर चुके हैं। ‘मधुबनी -द स्टेशन ऑफ कलर्स’ के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुका है। ‘आजमगढ़’ के बारे में उन्होंने बताया कि चूंकि फिल्म के निर्माता वह खुद ही हैं इसलिए पैसे के अभाव में फिल्म बनने में थोड़ा समय लग गया। हालांकि, होर्डिंग पर बतौर निर्माता दो अन्य लोगों के नाम लिखे हैं। कमलेश के मुताबिक ये फिल्म साल 2017 में शुरू हुई थी। लेकिन जब उनसे यह कहा गया कि पंकज के करीबी तो इसे 10 साल पुरानी फिल्म बता रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हां, ऐसा मान सकते हैं।

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पंकज त्रिपाठी

 

शॉर्ट फिल्म की बात पर निर्देशक कमलेश कुमार मिश्रा कहते हैं, यह शॉर्ट फिल्म नहीं, जब हमने इसकी शूटिंग शुरू की थी, तब यह 75 मिनट की थी, बाद में 90 मिनट की हो गई। इस फिल्म की शूटिंग कई जगहों पर हुई है, इसलिए फिल्म को बनने में थोड़ा समय लग गया। हमने साल 2018 में फिल्म की शूटिंग पूरी कर ली थी और इसका सेंसर सर्टिफिकेट भी साल 2019 में करा लिया था। लेकिन कोविड की वजह से फिल्म रिलीज नहीं हो पाई तो अब जाकर रिलीज होने जा रही है।