विदेश

नेपाल सरकार पर मंडराए खतरे के बादल

नेपाल में दो माह पहले ही सत्ता संभालने वाली प्रचंड सरकार मुश्किलों में घिर गई है। बता दें कि सरकार की अहम साझेदार और केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल ने सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का एलान कर दिया है। सीपीएन-यूएमएल के डिप्टी चेयरमैन बिशनु पौडेल  ने यह जानकारी दी है। सोमवार सुबह पार्टी की बैठक हुई, जिसमें सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया।

सरकार पर मंडराते खतरे को देखते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दहल प्रचंड(Puashpa kumar dahal prachand) ने अपना पहला विदेश दौरा रद्द कर दिया है। बता दें कि प्रधानमंत्री प्रचंड अपने पहले विदेश दौरे पर कतर जाने वाले थे लेकिन अब खबर आई है कि उन्होंने अपना कतर दौरा रद्द कर दिया है।  हाल ही में उनकी सरकार की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के चारों मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और सरकार से समर्थन वापस लेने का एलान कर दिया था। इससे पहले नेपाल की राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने भी प्रचंड सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था।

प्रचंड तीन मार्च को कतर के लिए रवाना होने वाले थे, जहां वह पांचवीं लीस्ट डेवलेप कंट्रीज कॉन्फ्रेंस में शामिल होते। अब प्रधानमंत्री के मीडिया समन्वयक सूर्य किरण शर्मा ने बताया है कि अहम राजनैतिक  गतिविधियों के चलते उन्होंने अपना कतर दौरा रद्द कर दिया है। नेपाल में आगामी नौ मार्च को राष्ट्रपति चुनाव होना है। प्रधानमंत्री प्रचंड ने बीते दिनों सभी को चौंकाते हुए गठबंधन के प्रत्याशी का समर्थन करने के बजाय नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार के समर्थन का एलान कर दिया था। प्रचंड के इस एलान के बाद से ही उनकी सरकार संकट में घिर गई है।

आठ राजनैतिक पार्टियां जिनमें सीपीएन-माओवादी, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष महंत ठाकुर, कांग्रेस उपाध्यक्ष पुर्ण बहादुर खड़का, नागरिक उनमुक्ति पार्टी चेयरपर्सन रंजीता श्रेष्ठा, राष्ट्रीय जनमोर्चा के चेयरमैन चित्र बहादुर केसी और माओवादी नेता हितराज पांडे नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार का समर्थन कर रहे हैं। ओली ने राष्ट्रपति पद के लिए सुबास नेमबांग के नाम का एलान किया था लेकिन प्रचंड नेमबांग के बजाय नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार रामचंद्र पौडयाल का समर्थन कर दिया।