इंदौरमध्य प्रदेश

उसका पेट छलनी था, कपड़ा बांधकर अस्पताल लाया:भाई बोला-उसी की कमाई से जलता था घर का चूल्हा; इतना गरीब कि मोबाइल गिरवी रखा

महू के जाम गेट से एक किलोमीटर दूर माधौपुरा गांव। खेतों के बीच 10 बाय 12 फीट की कवेलु की छत वाली झोपड़ी। पूरा गांव इकट्‌ठा है। महिलाएं फूट-फूटकर रो रही हैं। बाहर 5 से ज्यादा पुलिस की गाड़ियां खड़ी हैं। पुलिस हर आने-जाने वाले पर नजर रख रही है। यह उस भेरूलाल मदन छारेल (21) का घर है, जिसकी 15 मार्च की रात महू के पास डोंगरगांव चौकी के सामने पुलिस फायरिंग में मौत हो गई। जाने-अनजाने वह उस भीड़ का हिस्सा बन गया था जो आदिवासी युवती के कथित गैंगरेप और हत्या का विरोध करने पुलिस चौकी पर जुटी थी। चार भाइयों में सबसे बड़ा भेरूलाल घर का इकलौता कमाने वाला था। माली हालत ऐसी थी कि उसने अपना मोबाइल भी गिरवी रखा है।

भेरूलाल के घर में मातम पसरा है। मां (हरी साड़ी) के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। घर में गांव के लोग जुट रहे हैं। गमजदा परिवार को ढांढस बंधा रहे हैं।
भेरूलाल के घर में मातम पसरा है। मां (हरी साड़ी) के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। घर में गांव के लोग जुट रहे हैं। गमजदा परिवार को ढांढस बंधा रहे हैं।

बहन को पता नहीं भाई नहीं रहा, मां फूट-फूटकर रो रही

मां सुनीता और दादी झुमका बाई घर के कोने में बदहवास हालत में रो रही हैं। बेटे भेरूलाल के नाम का दीया जल रहा है। पास ही बड़ी टोकरी के नीचे गोबर लीप रखा है, यहीं पर दस दिन तक पूजा चलेगी। भेरूलाल के 3 छोटे भाई और सबसे छोटी बहन तुलसी है। 8 साल की बहन तुलसी को यह पता ही नहीं कि उसका भाई नहीं रहा। उसकी मासूमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह कैमरा देखकर मुस्कुरा दी। उसे रत्तीभर अहसास नहीं है कि इतने लोग क्यों उसके घर आ रहे हैं..। मां से हमने बेटे के बारे में जानने की कोशिश की तो वे सिर्फ अपना नाम बता पाईं। इसके बाद फूट–फूटकर रो पड़ीं। उनकी ननद को संभालना पड़ा।

अपने बड़े पोते की शादी होते देखना चाहती थी दादी

दादी भी दीये के ही पास अपने पोते की याद में आंसू बहा रही हैं। घर के सबसे बड़े पोते की मौत ने उनके कई सपने तोड़ दिए। वे बताती हैं कि माधौपुरा से पिछले साल ही वह अपने ताऊ दयाराम के घर गवली पलासिया रहने चला गया था। वह पहले जेसीबी चलाता था, अब नल फिटिंग का काम करता था। गवली पलासिया में ही रहने वाले चचेरे भाई सुनील के साथ काम पर जाता था। दादी अपने जिंदा रहते भेरूलाल की शादी देखना चाहती थी। यह उनका सबसे बड़ा पोता था। बरसों बाद घर में शहनाई गूंजने की खुशी दादी को थी और अब सिर्फ आंसू..। वे बताती हैं कि रिश्ते की बात निमाड़ में चल रही थी। वह हफ्ते, 15 दिन में गवली पलासिया से माधौपुरा पैसे और सामान देने आया करता था।

भेरूलाल के 3 छोटे भाई और सबसे छोटी बहन तुलसी है। 8 साल की बहन तुलसी को यह पता ही नहीं कि उसका भाई नहीं रहा। ।
भेरूलाल के 3 छोटे भाई और सबसे छोटी बहन तुलसी है। 8 साल की बहन तुलसी को यह पता ही नहीं कि उसका भाई नहीं रहा। ।

उसे मौत ही खींच ले गई थी डोंगरगांव चौकी…

चचेरे भाई सुनील छारेल का कहना है कि एक साल पहले तक भेरूलाल अपने गांव माधौपुरा में रहता था। वहीं से आना-जाना करता था, लेकिन ज्यादा समय लगने के कारण वह हमारे साथ ही गवली पलासिया में रहने लगा था। वह जो कमाता था, उसी से उनके घर का चूल्हा जलता था। कल मैं और भाई भेरूलाल दोनों ही काम पर गए थे। कल मैं शाम 5 से 5.30 बजे के बीच ही वापस लौट आया था। तब गांव में भीड़ जमा हो गई थी और डोंगरगांव चौकी पर हंगामा हो रहा था। मैंने कुछ देर देखा और अपने घर चला आया।

भेरूलाल अपने समय से ही वापस घर आने वाला था। वह रोज 8 बजे तक वापस आता था। जब वह वापस आ रहा था तो रास्ते में भीड़ के कारण वह वहीं रुक गया। देर तक घर नहीं आया तो हमें लगा कि कहीं रुक गया है। उसने अपना मोबाइल पैसों के लिए गिरवी रखा हुआ था इसलिए उसे फोन भी नहीं कर पा रहे थे। रात 9 बजे के बाद मुझे मेरे दोस्त प्रकाश का फोन आया कि तू जल्दी डोंगरगांव चौकी आ जा, भेरूलाल को पुलिस की गोली लग गई है।

जब मैं वहां पहुंचा तो भेरूलाल के पेट के पास पूरा छलनी था। वह कुछ नहीं बोल रहा था, लगा कि उसकी डेथ वहीं हो चुकी थी। हम उसके पेट पर एक कपड़ा बांध दिया और मोटर साइकिल से ही महू के एक अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टर ने देखते ही हाथ खड़े कर दिए तो फिर एमवाय इंदौर ले गए, लेकिन मौत पहले ही हो चुकी थी। वह कुछ भी नहीं बोला कि वह कैसे वहां पहुंचा था लेकिन कुछ ग्रुपों में आदिवासियों के लिए डोंगरगांव चौकी पहुंचने के मैसेज डले हुए थे। संभवत: इसी कारण वह भी वहां रुक गया था।

राज्य सरकार ने तत्काल मदद के रूप में मृतक के परिवार को दस लाख रुपए का चेक दिया है।
राज्य सरकार ने तत्काल मदद के रूप में मृतक के परिवार को दस लाख रुपए का चेक दिया है।

9 हजार कमाता था, 5 हजार बचा लेता था : चचेरा भाई

परिवार की आर्थिक हालत इतनी खराब है कि बिना पार्टिशन के एक झोपड़े में 8 लोग रहते हैं। पास ही खेती करते हैं। 4 दिन पहले ही पिता मदन ने गेहूं काटकर बेचा है। वे बताते हैं कि मैंने भेरूलाल को गेहूं काटने के लिए आने का कहा था, लेकिन वह नहीं आ सका था। वह अपने काम में ही व्यस्त था। भेरूलाल के तीन छोटे भाई में से एक दारासिंह (18) गांव माधौपुरा में ही पिता के पास खेत में काम करता है। दो छोटे भाई आकाश (14), सोमीलाल (13) 7वीं कक्षा में पढ़ते हैं जबकि सबसे छोटी बहन तुलसा (11) 6वीं क्लास में है। भेरूलाल के साथ में काम करने वाला चचेरा भाई सुनील बताता है कि भेरूलाल को 9 हजार रुपए महीना मिलता था। 4 हजार रुपए खर्च काटकर 5 हजार रुपए बचा लेता था। उससे सामान परिवार को भेज दिया करता था।

​​​​​10 लाख रुपए तत्काल दिए, कांग्रेस ने कहा- यह पर्याप्त नहीं

घटना के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मृतक भेरूलाल के परिवार को 10 लाख रुपए सहायता का ऐलान किया। इसके तुरंत बाद कलेक्टर इलैयाराजा ने राशि मंजूर कर चेक परिवार को सौंप दिया है। चेक पिता के नाम पर दिया है। इधर, कांग्रेस नेताओं ने इसे पर्याप्त नहीं बताया है। कांग्रेस के आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया ने 5 करोड़ रुपए की सहायता दिए जाने की मांग की है। साथ ही परिवार में किसी को नौकरी भी दिलाने का वादा सरकार से मांगा है।

कांग्रेस के आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया ने 5 करोड़ रुपए की सहायता देने की मांग की है। साथ ही परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग भी सरकार से की है।
कांग्रेस के आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया ने 5 करोड़ रुपए की सहायता देने की मांग की है। साथ ही परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग भी सरकार से की है