मानहानि मामले में राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने के बाद हर किसी के मन में सवाल है कि विदेशों में मानहानि को लेकर क्या कानून है। यूनेस्को की हालिया रिपोर्ट कहती है कि मानहानि को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने को लेकर हाल के समय में जो तेजी देखी जा रही थी, वह अब नहीं दिख रही। यूनेस्को के मुताबिक, दुनिया के 160 देशों में अब भी मानहानि यानी डिफेमेशन को अपराध माना जाता है। कुछ ने तो इसे लेकर सख्त प्रावधान भी किए हैं। किन देशों में क्या कानून हैं, देखते हैं.
ब्रिटेन में साल 2009 में ही ऐसी व्यवस्था कर दी गई थी कि मानहानि से जुड़े मामलों में आपराधिक केस नहीं चल सकता। तब माना गया था कि ब्रिटेन में मानहानि आपराधिक होने का बहाना बनाकर बाकी देश अपने यहां बोलने की आजादी पर अंकुश लगा रहे थे। उधर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी मानहानि के मामले आपराधिक नहीं होते। न्यूजीलैंड में आपराधिक मानहानि को साल 1993 में ही खत्म कर दिया गया था। यहां मानहानि से जुड़े मामले अदालतों में ही सुलझाए जाते हैं मगर पुलिस को शामिल किए बिना। मानहानि का दोष साबित होने पर भी जेल नहीं होती। पीड़ित को मानहानि से हुए नुकसान का हर्जाना और कोर्ट में कार्यवाही का खर्चा देना होता है। न्यूजीलैंड में ऐसे मामलों में आपराधिक केस तभी चलता है, जब कोई जानबूझकर वोटर्स को प्रभावित करने के लिए झूठी सूचना जारी करवाता है या ऑनलाइन भावनात्मक रूप से गंभीर तनाव पैदा करता है।