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पॉक्सो में महिला पहलवान को सबूत देने की जरूरत नहीं:बृजभूषण को साबित करना होगा खुद को निर्दोष; क्या है ‘बर्डन ऑफ प्रूफ’

‘आरोप लगाने वालों से पहले दिन भी मैंने पूछा था, आज भी पूछता हूं, अब भी पूछता हूं। कब हुआ, क्या हुआ, कैसे हुआ और क्या-क्या हुआ? किसके साथ हुआ? गंगा में मेडल बहाने से मुझे फांसी नहीं होगी, पहलवान सबूत दें। अगर एक भी सबूत साबित हुआ तो बृजभूषण सिंह खुद फांसी पर लटक जाएगा।’

30 मई को ये बयान BJP सांसद बृजभूषण सिंह ने दिया है। वह यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली एक नाबालिग समेत 7 महिला रेसलर्स को सबूत देने की चुनौती दे रहे हैं। वहीं, दिल्ली पुलिस ने कहा है कि सबूतों के आभाव में बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

ऐसे में इस बात पर बहस शुरू हो गई है कि नाबालिग समेत 7 महिलाओं से यौन शोषण के आरोप में सबूत जुटाने की जिम्मेदारी किसकी है?

सवाल 1: बृजभूषण के केस में चर्चा में आने वाला ‘बर्डन ऑफ प्रूफ’ क्या है?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता के मुताबिक, इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 के सेक्शन 101 में ‘बर्डन और प्रूफ’ के बारे में प्रावधान हैं। आमतौर पर मुकदमा करने वाले (प्रॉसिक्यूशन) पर क्राइम को साबित करने की जिम्मेदारी होती है, लेकिन पॉक्सो एक्ट में दर्ज होने वाले केस गंभीर किस्म के अपराधों में आते हैं।

इस कानून में कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जिसमें ‘बर्डन ऑफ प्रूफ’ की जिम्मेदारी आरोपी पर होती है। मतलब उसे वे सबूत जुटाने होते हैं, जो उसे निर्दोष साबित कर सकें। हालांकि बृजभूषण से जुड़े मामले में नाबालिग की उम्र को लेकर ही पुलिस जांच हो रही है, इसलिए पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामले की धाराओं में पुलिस बदलाव कर सकती है।

रेप मामलों में सेक्शुअल इंटरकोर्स होने की बात साबित होने पर यह बात आती है कि क्या उन संबंधों में जोर-जबरदस्ती थी? IPC की धारा 376 (2) के तहत रेप मामलों में एविडेंस एक्ट की धारा 114-अ में संशोधन के बाद यह माना जाता है कि रेप पीड़िता की कंसेंट नहीं है। ऐसे में आरोपी के ऊपर बर्डन ऑफ प्रूफ आ जाता है और उसे कोर्ट में यह साबित करना होता है कि वह निर्दोष है और उसने पीड़िता की कंसेंट से संबंध बनाए थे।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के वकील एके सिंह के मुताबिक ‘बर्डन ऑफ प्रूफ का मतलब ही ये है कि जिसने आरोप लगाया उसकी जिम्मेदारी उसे प्रूफ करने की होगी। इंडियन एविडेंस एक्ट के तहत ये हर तरह के केस में लागू होता है।

हालांकि, NDPS एक्ट या PMLA एक्ट जैसे मामलों में जब सरकारी एजेंसी केस दर्ज करती है तो आरोपी को साबित करना होता है कि वह निर्दोष है। बाकी सभी मामले में आरोप लगाने वाले को सबूत देना होता है।

सवाल 2: बृजभूषण के मामले में सबूत देने की जिम्मेदारी किसकी है?
जवाब: विराग का कहना है कि बृजभूषण सिंह पर एक केस पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया है। पॉक्सो एक्ट के सेक्शन- 29 के तहत कुछ प्रावधानों में आरोपी यानी बृजभूषण को ये साबित करना होगा कि वह निर्दोष हैं। कई हाईकोर्ट के फैसले हैं, जिनके अनुसार पॉक्सो एक्ट की गंभीर धाराओं के तहत दर्ज मामलों में प्री ट्रायल यानी जांच शुरू होने से पहले और पोस्ट ट्रायल यानी जांच पूरी के बाद आरोपी को खुद को निर्दोष साबित करना होता है।

इस मामले में पुलिस अगर बृजभूषण सिंह पर पॉक्सो एक्ट की धारा हटाने का फैसला करती है तो यौन उत्पीड़न के मामले पर अभियोजन पक्ष को सिंह के खिलाफ मामला साबित करना होगा।

ये उस रोज की तस्वीर है, जब जंतर-मंतर पर प्रोटेस्ट कर रहे पहलवानों से पुलिस की झड़प हो गई थी। इस दौरान विनेश फोगाट के भाई दुष्यंत जख्मी हो गए थे।
ये उस रोज की तस्वीर है, जब जंतर-मंतर पर प्रोटेस्ट कर रहे पहलवानों से पुलिस की झड़प हो गई थी। इस दौरान विनेश फोगाट के भाई दुष्यंत जख्मी हो गए थे।

सवाल 3: बृजभूषण सिंह पर दर्ज केस में उनके खिलाफ क्या मुख्य आरोप लगे हैं?
जवाब: बृजभूषण सिंह के खिलाफ नाबालिग समेत 7 महिला रेसलर्स ने यौन शोषण के 2 केस दर्ज कराए हैं। इनमें महिला की लज्जा भंग करने के आरोप में IPC की धारा 354, 354(A), 354(D) के अलावा POCSO जैसी गंभीर धाराओं में केस दर्ज किए गए हैं। इन दोनों केस में उन पर लगाए गए मुख्य 4 आरोप ये हैं…

1. सांस लेने के पैटर्न के बहाने छेड़ा

रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित महिला पहलवानों ने शिकायत में कहा कि बृजभूषण ने उन्हें सांस लेने के पैटर्न के बहाने गलत तरीके से छुआ। बृजभूषण सिंह ने उनकी सहमति के बिना जांघ, कंधे, पेट और छाती को टच किया। छेड़छाड़ के लिए बृजभूषण ने सांस के पैटर्न को चेक करने का बहाना बनाया।

2. रेस्तरां में छाती-पेट को छुआ

एक रेसलर ने अपनी शिकायत में बताया कि 2016 में टूर्नामेंट के दौरान बृजभूषण शरण सिंह एक रेस्तरां में था। जहां कथित तौर पर सांसद ने उसकी छाती और पेट को छुआ। इस घटना के बाद महिला पहलवान बुरी तरह घबरा गई थी। उसका खाना खाने का मन नहीं हुआ। वो पूरी रात सो भी नहीं पाई।

3. टूर्नामेंट के दौरान भी इसी तरह की हरकत की

महिला रेसलर ने अपनी शिकायत में कहा कि 2019 में वह एक टूर्नामेंट में हिस्सा ले रही थी। वहां भी बृजभूषण सिंह ने उसकी छाती और पेट पर हाथ लगाकर उसका उत्पीड़न किया।

4. सांसद ने काफी देर तक कसकर गले लगाया

एक महिला रेसलर ने अपनी शिकायत में बताया कि 2018 में सांसद ने उसे काफी देर तक कसकर गले लगाए रखा। इस दौरान बृजभूषण के हाथ बिल्कुल उसकी छाती के करीब थे। इससे वह असहज हो गई। जिस वजह से उसने खुद को बृजभूषण के चंगुल से छुड़ाया। दूसरी महिला पहलवान ने भी बृजभूषण पर ऐसे ही आरोप लगाए हैं।

सवाल 4: बृजभूषण सिंह पर जो आरोप लगे हैं, उसे साबित करना मुश्किल क्यों है?

जवाब: विराग का कहना है कि सबसे पहले ये देखना होगा कि ज्यादातर मामले टूर्नामेंट के दौरान के हैं। ऐसे में उत्पीड़न के मामलों को कार्यस्थल से जुड़ा माना जा सकता है।

ऐसे मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट की विशाखा गाइडलाइन के अनुसार वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए संसद ने 2013 में कानून बनाया था। उसके मुताबिक सबसे पहले कुश्ती संघ या खेल मंत्रालय के अंदर ही इस शिकायत का निवारण होना चाहिए था।

अब जब केस दर्ज हो गया है तो पुलिस की जांच दो तरह से होगी…

पहला: दिल्ली और देश के दूसरे राज्यों में

दूसरा: विदेशों में

बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कई आरोप विदेश में यौन उत्पीड़न करने के हैं। ऐसे मामलों की जांच में क्षेत्राधिकार का सवाल खड़ा हो सकता है। मामले बहुत पुराने होने की वजह से सबूतों को जुटाना भी मुश्किल होगा। अब इस केस में दो मुख्य सवालों के जवाब खोजे जाएंगे…

1. शिकायत में देरी क्यों हुई? पुलिस और सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने से पहले किन लोगों से शिकायत की गई और उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की?

2. जो आरोप लगाए गए हैं, उनमें पीड़ितों के बयान के अलावा अन्य और कितने सबूत मौजूद हैं?

अधिकांश मामले पुराने हैं, जहां पीड़ितों की मेडिकल रिपोर्ट भी नहीं होगी, ऐसे में सिर्फ बयानों के आधार पर अदालत से सजा मिलना और उसे अपील में टिकना मुश्किल हो सकता है।

सवाल 5: यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले में दोषी साबित करने के लिए कैसे सबूत इकट्ठा किया जाता है?
जवाब: निर्भया केस के बाद आरोपी के खिलाफ सबूत जुटाने और दोषी साबित करने को लेकर क्रिमिनल अमेंडमेंट एक्ट में दो बार 2013 और 2018 में कानून बदला गया है। शिकायत मिलने पर केस दर्ज करने के बाद आमतौर पर पुलिस इन स्टेप को फॉलो करती है…

  • पुलिस सबसे पहले आरोप लगाने वालों का बयान दर्ज करती है।
  • पुलिस दूसरे साक्ष्यों को जुटाने का काम करती है। दूसरे साक्ष्य कई तरह के हो सकते हैं। जैसे…
  • संपर्क मोबाइल फोन से हुआ था या नहीं?
  • मोबाइल फोन की लोकेशन क्या थी?
  • CCTV वहां लगा है या नहीं। अगर है तो उसके फुटेज में क्या दिख रहा है?
  • क्या आरोपी पर पहले भी इस तरह के आरोप लगे हैं।
  • इसके बाद आरोपी और आरोप लगाने वाल महिला या युवती की मेडिकल जांच होती है। हालांकि ज्यादा देरी से केस दर्ज होने पर मेडिकल जांच का आधार नहीं रह जाता है।

इन सभी चीजों के आधार पर केस की चार्जशीट तैयार होती है। इसी के आधार पर कोर्ट में केस मजबूत होता है।

सवाल 6: क्या सेक्शुअल हैरेसमेंट और पॉक्सो एक्ट में दर्ज केस की कार्रवाई के नियम बाकी धाराओं में दर्ज केस से अलग होते हैं?
जवाब: 2012 में निर्भया कांड की वजह से यौन अपराधों के मामले में जांच के लिए वर्मा कमीशन बना। 2013 में इस कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद कई कानूनों में बदलाव हुए। यौन अपराध को लेकर कानून पहले से ज्यादा मजबूत हुए हैं। यूपी के पूर्व DGP विक्रम सिंह के मुताबिक बाकी धाराओं में दर्ज केस से पॉक्सो एक्ट में दर्ज केस दो वजहों से अलग होते हैं…

1. यौन अपराध के मामले में सही से कार्रवाई नहीं करने पर IPC की धारा 166A के तहत पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। उचित कार्रवाई नहीं करने वाले अधिकारियों को अपराधी माना जाएगा और उन्हें 6 महीने की जेल हो सकती है।

2. सेक्शुअल हैरेसमेंट के केस में CrPC के तहत 90 दिनों के अंदर जांच पूरी होनी चाहिए। अरेस्ट के लिए कोई तय समय नहीं होता है। हालांकि पॉक्सो में अरेस्ट का ही नियम है और बेल का कोई प्रावधान नहीं है।

सवाल 7: बृजभूषण पर पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज केस हट जाएगा तो आगे क्या होगा?
जवाब: रोहतक में नाबालिग पहलवान के चाचा बुधवार को मीडिया के सामने आए। उन्होंने कहा कि बृजभूषण पर केस दर्ज करवाने वाली पहलवान भतीजी नाबालिग नहीं है। उन्होंने लड़की के जन्म से जुड़े प्रूफ भी दिखाए। चाचा ने कहा कि सरकारी नौकरी का लालच देकर उनकी भतीजी से इस तरह के आरोप लगवाए गए हैं। हालांकि नाबालिग पीड़िता लड़की के पिता ने कहा है कि उसका भाई झूठ बोल रहा है। उसकी बेटी अब भी नाबालिग है।

अगर पुलिस जांच में यह बात सही निकली कि आरोप लगाने वाली पहलवान बालिग है तो बृजभूषण पर दर्ज केस से पॉक्सो एक्ट हट जाएगा। ऐसे में उनके खिलाफ सिर्फ IPC की धारा 354, 354(A), 354(D) रह जाएगा, जिसमें तुरंत गिरफ्तारी का नियम नहीं हैं। इस तरह तब ‘बर्डन ऑफ प्रूफ’ यानी बृजभूषण को दोषी साबित करने के लिए सबूत पेश करने की जिम्मेदारी भी महिला पहलवानों की होगी।