उज्जैनमध्य प्रदेश

बाबा महाकाल को जगाने के लिए वीरभद्र से ली जाती है आज्ञा, घंटी बजाकर ऐसे खोले जाते हैं मंदिर के पट

सार

विस्तार

श्रावण सोमवार पर बाबा महाकाल भक्तों के लिए रात 2:30 बजे जागते हैं और स्नान पूजन और भस्म श्रृंगार के बाद भक्तों को दर्शन देते हैं। ये तो आप जानते हैं, लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि महाकाल मंदिर के पट खुलने के बाद दरबार में क्या होता है। कैसे वीरभद्र से आज्ञा ली जाती है और कैसे मंदिर के पट खोले जाते हैं। भस्म आरती के पहले मंदिर में आखिर क्या विशेष पूजन अर्चन होता है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण मास के पहले सोमवार को रात 2:30 बजे भगवान वीरभद्र की आज्ञा लेने के बाद चांदी द्वार का पूजन किया गया और घंटी बजाकर पट खोलने की अनुमति ली गई। इस पूजन के बाद गर्भगृह में भी पहले चांदी द्वार और भगवान श्रीगणेश का पूजन किया गया, जिसके बाद गर्भगृह के पट खोले गए।

श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु ने बताया कि मंदिर में सर्वप्रथम पुजारी और पुरोहितों के द्वारा भगवान श्री गणेश, माता पार्वती, कार्तिकेय और बाबा महाकाल का जलाभिषेक किया गया। जिसके बाद कपूर आरती की गई। इस आरती के बाद भगवान का पंचामृत पूजन किया गया और भगवान महाकाल का भांग और सूखे मेवे से श्रृंगार कर उन्हें आभूषण अर्पित किए गए। जिसके बाद महानिवार्णी अखाड़ा महंत विनीत गिरी द्वारा बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई। पंडित महेश पुजारी ने बताया कि भस्म आरती के बाद बाबा महाकाल को रुद्राक्ष की माला, मुकुट, मुंडमाला पहनाई गई और फिर बाबा महाकाल की आरती की गई। भस्म आरती के दौरान चलायमान दर्शन की व्यवस्था से हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दर्शनों का लाभ लिया। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज से गुंजायमान हो गया।