एक या दो नहीं। पूरे 240 सिक्के। सब सोने के। भारत में कीमत 1 करोड़ 56 लाख और इंटरनेशनल मार्केट में 7 करोड़ 20 लाख रुपए। मिले भी तो किसी धन्ना सेठ को नहीं। मध्यप्रदेश के एक मजदूर परिवार को। अब ये परिवार सदमे में है। वजह ये है कि इस परिवार का कहना है सारे सिक्के पुलिसवालों ने लूट लिए। अब कुछ नहीं बचा। एक सिक्का बचा था वो दे दिया। सिक्का मिला था गुजरात के वलसाड में। इसलिए अब गुजरात पुलिस की भी इंट्री हो चुकी है। जिन्हें सिक्का मिला उन्हें तफ्तीश के लिए गुजरात ले गई। मध्यप्रदेश में चार पुलिसवालों पर एफआईआर हो चुकी है और टीआई को सस्पेंड कर दिया गया है।
पढ़िए सोने की ग्राउंड रिपोर्ट जिसने कई लोगों की नींद उड़ा रखी है
जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर है आलीराजपुर जिले के सोंडवा ब्लॉक का गांव बेजड़ा। हरी-भरी पहाड़ियाें के बीच बसे इस गांव में जब हम पहुंचे तो ऐसा लगा जैसे कुदरत ने यहां के लोगों को शहरी भागदौड़ से दूर बेहद सुकून की जिंदगी दी है लेकिन जैसे-जैसे हम आगे बढ़े। हमारी ये सोच हवा हो गई। यहां पुलिसकर्मियों की आवाजाही तेज है। यहां के लोगों के चेहरे पर भी सुकून की जगह हवाईयां उड़ रही हैं।
वजह भी साफ है। यहीं पास में है दगड़ा फलिया। निमाड़ी में पत्थर को दगड़ा कहते हैं। लेकिन इस दगड़ा में एक दिन पहले एक घर से सोना मिलने के मामले ने तूल पकड़ा है। आदिवासी महिला रमकु पति बंशी ने बताया था कि गुजरात के नवसारी जिले के बीलीमोरा में मजदूरी के दौरान उसे 240 सिक्के मिले। जिसे वो अपने साथ गांव लेकर आए थे।
कुछ दिन पहले एक ज्वेलर से जांच कराने पर पता चला कि ये सिक्के सोने के हैं और काफी पुराने हैं। इसके बाद घर में चार पुलिसवाले आए और सिक्के लूटकर ले गए। रमकु बाई और उसके पति को गुजरात पुलिस लेकर गई है, इसलिए वो फिलहाल घर में नहीं मिले।
परिवार वाले कह रहे हमें भी नहीं पता था इतना सोना घर में है
रमकु के भतीजे शिवम ने बताया कि परिवार में करीब 10 से 12 सदस्य हैं लेकिन इसकी खबर किसी को कानों कान नहीं थी। 19 तारीख को जब पुलिसकर्मी महिलाओं के साथ बदसलूकी कर डरा धमका कर सोने के सिक्के निकाल कर ले गए उसके बाद ही हमें इस बात की जानकारी मिली कि हमारे घर में इतना सारा सोना था। शिवम आगे बताते हैं कि दिसंबर माह के करीब मेरे बड़े भाई भाभी काका एवं काकी मजदूरी करने के लिए गुजरात राज्य के वलसाड़ में गए थे। फरवरी माह में मेरी दादी का देहांत हो गया जिसकी खबर लगने के दूसरे दिन सभी परिजन घर लौट आए। उसी दौरान यह सोने के सिक्के वहां से लेकर आए थे।
कोई चोरी या लूटपाट नहीं की, हमारे परिवार को छोड़ा जाए
रमकु के देवर का कहना है कि यह सिक्के हम कहीं चोरी करके या लूटपाट करके नहीं लाए हैं। यह तो हमारा नसीब है। जो हमें नसीब से धन प्राप्त हुआ था लेकिन कुछ लुटेरे पुलिसकर्मियों ने हमारे सपनों को चकनाचूर कर दिया। हमारे परिजनों को सही सलामत घर तक छोड़ा जाए। इतनी परेशानी देखकर तो लगता है कि सिक्के ना ही मिलते तो अच्छा रहता।
जो सिक्के मिले उसकी टकसाल भी भारत में नहीं थी
एसपी हंसराज सिंह ने बताया कि आदिवासी महिला द्वारा लाए गए सिक्के की आलीराजपुर लाकर एक ज्वेलर से जांच कराई तो बह सोने का निकला। सिक्के पर जॉर्ज-5 लिखा हुआ है और यह भारत की आजादी से पहले वर्ष 1922 में ब्रिटिश हुकूमत ने जारी किया था। अगर महिला का दावा सही है तो 240 सिक्कों की भारतीय कीमत 1 करोड़ 56 लाख रुपए होती है, जबकि इंटरनेशनल मार्केट में सभी सिक्कों की कीमत 7 करोड़ 20 लाख रुपए आंकी जा रही है। इस सिक्के को आखिरी बार 1922 में ही जारी किया गया था। इनकी टकसाल भी भारत में नहीं थी।
जहां से सोना मिला वो पुश्तैनी संपन्न परिवार
एसपी का कहना है कि फरियादी पक्ष के लोगों को लेकर पुलिस मौके पर गई है जहां पर खुदाई में सोने के सिक्के मिले थे। साथ ही उस परिवार का रिकॉर्ड भी खंगाला गया है जिसमें 1950 तक का रिकॉर्ड हमें मिल चुका है। इससे यही सिद्ध होता है कि उनका परिवार आजादी के पूर्व से ही पैसों के मामले में संपन्न रहे हैं। दो भाइयों का परिवार था। एक भाई के परिवार के कुछ लोग विदेश चले गए हैं और कुछ मर चुके हैं। वहीं दूसरे भाई की औलाद जुआरी थी। वह यहीं रुक गई और उसका परिवार आज वहां पर मकान बना कर रह रहा है। यही शब्बीरभाई बलियावाला हैं, जिनके घर सोना मिलने की बात कही जा रही है। विस्तार से जांच की जा रही है। पुलिसकर्मियों की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं।