राजधानी का कुख्यात ड्रग्स स्मगलर रईस रेडियो एक बार फिर जेल में है। पिछले सप्ताह क्राइम ब्रांच ने उसे लग्जरी कार में गांजे की तस्करी करते पकड़ा था। 67 साल के रईस के खिलाफ 68 केस दर्ज हैं। उसकी पत्नी और दो बेटे भी हिस्ट्रीशीटर हैं। पता चला कि 70 के दशक में रेडियो रिपेयरिंग करने वाला ये शख्स डॉन बनने की चाहत में ड्रग्स माफिया बन गया। अब करीब 65 से 70 लोगों की गैंग है। उसका 5 से ज्यादा राज्यों में नेटवर्क है। चलिए, इस कुख्यात ड्रग्स तस्कर की कहानी जानते हैं…
पुलिसकर्मी से विवाद का पहला केस, फिर मुड़कर नहीं देखा
बात 1979 की है। भोपाल में ड्रग्स तस्करी से चुनिंदा लोग ही परिचित थे। उन दिनों टीला जमालपुरा थाना क्षेत्र की इंदिरा नगर चौकी के पास अब्दुल हमीद खां की रेडियो रिपेयरिंग की दुकान थी। अब्दुल का 23 साल का बेटा रईस खां उर्फ रेडियो भी दुकान पर बैठता था। रईस अति महत्वाकांक्षी था। वह डॉन बनना चाहता था। अमीर बनने और जल्दी तरक्की के लिए वह कुछ भी करने को तैयार था। रईस भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 6 के बाहर उठने-बैठने लगा। ऑटो चलाने लगा।
इसी दौरान, पहली बार एक पुलिसकर्मी से विवाद हुआ। उसके खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालने का केस दर्ज किया गया। यहीं से अपराध की दुनिया में उसने कदम रखा। तत्कालीन बदमाश भी उसे तवज्जो देने लगे। पुलिस रिकॉर्ड में उसकी उर्फियत काम के अनुसार रेडियो दर्ज की गई। तभी से उसका नाम रईस खां की जगह रईस रेडियो पड़ गया। इसके बाद वह क्राइम के दलदल में धंसता चला गया। तब से आज तक कई बार जेल गया। महज 24 साल की उम्र में रईस का स्टेशन और आसपास के इलाके में दबदबा बढ़ने लगा।
बेटे भी कुख्यात अपराधी बन गए
शहर के कुख्यात अपराधी यासीन मजिस्ट्रेट (26) और मुन्ना मजिस्ट्रेट (23) रईस रेडियो के ही बेटे हैं। दोनों ने बाल अवस्था में ही अपराध जगत में कदम रख दिया था। पिता के इशारे पर शहर में दहशत कायम रखने आपराधिक वारदात को अंजाम देते रहते हैं। दोनों बेटों के खिलाफ पहली बार वर्ष 2012 में गोली मारकर हत्या के प्रयास करने का मामला टीला जमालपुरा थाने में दर्ज हुआ था। इस केस में यासीन ने अंधाधुंध फायरिंग कर इलाके में दहशत फैला दी थी। पार्किंग को लेकर हुए इस विवाद में रईस और उसके बेटों ने पड़ोसी परिवार को बेरहमी से पीटा था। फायरिंग में एक महिला के पांव में गोली लगी थी।
इस समय यासीन की उम्र महज 14 साल थी। इन दिनों वह छठवीं क्लास का छात्र था और भोपाल के कैंब्रिज स्कूल में पढ़ाई करता था। इस घटना के बाद रईस के घर की तलाशी में पुलिस को हथियारों का जखीरा और सौ से अधिक जिंदा कारतूस मिले थे। उसके घर से हिरण के अवशेष भी जब्त हुए थे। फारेस्ट डिपार्टमेंट ने भी उसके खिलाफ कार्रवाई की थी। लंबे समय तक फरारी काटने के दौरान भोपाल के तत्कालीन एसपी नार्थ अरविंद सक्सेना की टीम ने रईस को कोतवाली इलाके से गांजा सहित गिरफ्तार किया था। इसी केस में वह जेल गया। दस साल सजा काटने के बाद करीब एक साल पहले जेल से छूटा था।
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फिर करने लगा नशे की तस्करी
रईस के अपराधों के ग्राफ में भी इजाफा होता गया। अपराध की दुनिया में उसका नाम तो था, लेकिन वह ऐश की जिंदगी जीना चाहता था। भोपाल का डॉन बनना चाहता था। गैंग बनाना चाहता था, लेकिन पैसे नहीं थे। उसने शॉर्ट कट अपनाया। अमीर बनने के लिए गांजा, ब्राउन शुगर और चरस की तस्करी करने लगा। उसका नेटवर्क मध्यप्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में फैला है।
दूसरे राज्यों से बड़ी मात्रा में नशीला पदार्थ लाकर भोपाल में खपाने लगा। करीब 18 साल तक वह बेखौफ होकर नशे का कारोबार कर रहा था, लेकिन पुलिस को भनक तक नहीं लगी। वह राजधानी में नशे का सबसे बड़ा सौदागर बन गया। तस्करी के लिए ऑटो से लेकर लग्जरी कार का इस्तेमाल करता था।
18 साल बाद पुलिस के सामने किया खुलासा
1979 से साल 2000 तक रईस के खिलाफ हत्या के प्रयास, आत्महत्या के लिए उकसाने, मारपीट, अड़ीबाजी, आर्म्स एक्ट, लूट, लूट की कोशिश, डकैती, शासकीय कार्य में बाधा डालने, हथियारों की तस्करी जैसे 30 से अधिक केस दर्ज हो चुके थे। साल 2001 में पहली बार निशातपुरा पुलिस ने रईस को मादक पदार्थ की तस्करी करते पकड़ा। पूछताछ में उसने बताया कि वह पिछले 18 साल से गांजा, चरस और ब्राउन शुगर की तस्करी कर रहा है। इसे सुनकर अफसरों के भी कान खड़े हो गए। इस मामले में रईस लंबे समय तक जेल में रहा। बमुश्किल जमानत पर छूटा।
बनाई गैंग, लग्जरी लाइफ स्टाइल
रईस ने खुद की गैंग बना ली। गैंग में 65 से 70 लोग हैं, जो उसके एक इशारे पर किसी की जान लेने और जान देने से पीछे नहीं हटते। लाइफ स्टाइल भी किसी डॉन की तरह। उसके पास कई लग्जरी गाड़ियां हैं। हथियारों से लैस 8 से 10 लोग हमेशा उसके साथ रहते थे। इलाके में आज भी उसका वर्चस्व है। टीला जमालपुरा के इंदिरा नगर में कोठीनुमा घर भी है। रोजाना देर रात तक घर के बाहर महफिल जमती थी।
कई बार जेल गया, लेकिन कारोबार नहीं छोड़ा
जेल से छूटते ही वर्चस्व कायम रखने के लिए रईस ने फिर क्राइम करना शुरू कर दिया। साल 2001 से 2012 के बीच वह कई बार ड्रग्स तस्करी में पकड़ा गया। दो बार 10-10 साल की सजा भी काटी, पर कारोबार बंद नहीं किया। इसके अलावा कई बार अलग-अलग मामलों में जेल जा चुका है। एक साल पहले ही वह जेल से छूटा था। इसके बाद फिर कारोबार शुरू कर दिया। उसने इंदिरा नगर पुलिस चौकी के सामने आलीशान मकान बना लिया। पॉश इलाकों में जमीनें भी खरीद लीं।
जेल जाने के बाद पत्नी-बेटे संभालते हैं कारोबार
रईस के जेल में रहने के दौरान जब उसके परिजन की लग्जरी लाइफ स्टाइल में कमी नहीं आई तो पुलिस ने पड़ताल की। पता चला कि रईस की पत्नी सीमा और उसके बेटे यासीन व मुन्ना मजिस्ट्रेट नशे का कारोबार संचालित करते थे। सीमा को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। सीमा टीला जमालपुरा थाने की निगरानी गुंडा सूची में भी शामिल है। उसके खिलाफ हत्या के प्रयास और एनडीपीएस एक्ट सहित 6 केस दर्ज हैं।
पुलिस ने मकान जमींदोज किए, लेकिन नहीं सुधरा
21 अगस्त को रईस के साथ उसका दामाद अबरार भी पकड़ा गया था। नशे के कारोबार के बूते रईस ने बेशुमार संपत्ति बना ली। वह आलीशान मकान, जमीन और लग्जरी कारों का मालिक बन गया। तीन साल पहले माफिया मुहिम के तहत पुलिस ने उसके टीला जमालपुरा के एक मकान और खानूगांव के मकान को जमींदोज कर दिया था। उसकी दो कारें क्राइम ब्रांच थाने में जब्त हैं। इन कारों से गांजे की तस्करी की जाती थी। उसके पास 12 से 13 लग्जरी गाड़ियां हैं।
दोनों बेटे और पत्नी भी शातिर अपराधी
रईस के तीन बेटे हैं। इनमें सबसे बड़े बेटे की मौत हो चुकी है। बाकी दो बेटे यासीन और मुन्ना भी शातिर अपराधी हैं। यासीन के खिलाफ 40 और मुन्ना के खिलाफ 36 केस दर्ज दर्ज हैं। उनकी अपनी गैंग भी है। हमजा बम जैसे अपराधी गैंग के सदस्य हैं। दोनों बेटे भी लग्जरी लाइफ जीते हैं। रईस की गिरफ्तारी के बाद दोनों बेटे अंडरग्राउंड हैं। बेटी अब पिता और पति अबरार को छुड़ाने के लिए कोर्ट के चक्कर काट रही है।
जेल में बैठकर रची थी हत्या की साजिश
वर्ष 2017 में रईस और कुख्यात अपराधी शादाब उर्फ छोटे कुरैशी भोपाल जेल में थे। इस दौरान दोनों का विवाद हो गया। रईस ने जेल में मिलने आने के दौरान बेटे से शादाब की हत्या की बात कही थी। इसके बाद पेशी के दौरान यासीन उर्फ मजिस्ट्रेट ने शादाब को गाली मारी। हालांकि, निशाना चूका और गोली वकील को लगी।
जेल में किया था तिहाड़ जैसा कांड
मुन्ना और यासीन अधिकांश केसों में पार्टनर हैं। दोनों का जेल में भी दबदबा है। अरेरा हिल्स थाना क्षेत्र के बदमाश पप्पू उर्फ चटके पर भी उन्होंने हमला किया था। आरोपियों ने पप्पू का गला रेतने का प्रयास किया था। हालांकि, पप्पू बच गया। दिल्ली की तिहाड़ जेल में इसी तरह गैंगस्टर तिल्लू ताजपुरिया की हत्या की गई थी। वारदात को जेल में दबदबा कायम रखने के लिए अंजाम दिया गया था।
दो साल पहले यानी 2021 में शाहजहांनाबाद में मुन्ना मजिस्ट्रेट ने 19 साल की महिला किन्नर सिमरन पर फायर किया था। हालांकि, उसे गोली नहीं लगी थी। तब मुन्ना दो साल बाद जेल से छूटकर आया था।
गांजा तस्करी के लिए मॉडिफाई कराई कार
21-22 अगस्त की दरमियानी रात क्राइम ब्रांच को रईस खान (67) उर्फ रईस रेडियो को एक क्विंटल गांजे के साथ गिरफ्तार किया था। जेल जाने के दौरान उसने दूसरे कैदियों से गांजा तस्करी करना सीखा। बाहर आकर तस्करी शुरू कर दी।
पूछताछ में रईस रेडियो ने बताया कि चार महीने पहले कार से एक अन्य साथी शाहवार के साथ ओडिशा के सोनपुर से 60 किलो गांजे की तस्करी की थी। इसके लिए कार को मॉडिफाई कराया था। हर सीट के नीचे बॉक्स बनाए थे, ताकि इनमें गांजा रखकर ले जाया जा सके।