उज्जैन में 550 से ज्यादा किसानों के साथ फ्रॉड का मामला सामने आया है। सहकारी संस्था के सेक्रेटरी ने किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के रुपए किसानों से लिए। इन पैसों को किसानों के खातों में जमा नहीं किया। बिना बताए खाते से रुपए भी ले लिए। इसके बाद रुपए लेकर फरार हो गया। जब किसान लोन लेने बैंक पहुंचे, तो ओवरड्यू का पता चला।
मंगलवार को कई किसान उज्जैन स्थित सेवा सहकारी संस्था के ऑफिस पहुंचे। यहां प्रदर्शन कर संस्था में ताला जड़ दिया। किसानों का दावा है कि सेक्रेटरी करीब 8 करोड़ से ज्यादा रुपए लेकर भागा है, जबकि संस्था का कहना है कि करीब दो करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई है। अफसरों ने सेक्रेटरी को निलंबित कर दिया है। उसके खिलाफ केस भी दर्ज किया जाएगा। चलिए, मामले को समझते हैं…। आखिर कैसे सेक्रेटरी ने धोखाधड़ी की।
20 साल से एक ही जगह पदस्थ है आरोपी सेक्रेटरी
सेवा सहकारी संस्था मर्यादित लेकोड़ा उज्जैन जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर है। यहां सेक्रेटरी के पद पर पिछले 20 साल से निशिकांत चव्हाण पदस्थ है। किसान राकेश पटेल ने बताया कि लेकोड़ा सहकारी संस्था में लेकोड़ा, लिम्बा, पिपलिया, ककरिया और मुंडला पांच गांव के 700 किसान रजिस्टर्ड हैं। यहां से सभी किसान केसीसी के जरिए लोन लेते रहते हैं। फसल आने पर जमा भी करते हैं। चूंकि निशिकांत चव्हाण लंबे समय से संस्था में था, इसलिए उस पर विश्वास हो गया था।
पहले भरोसा जीता, फिर किया गबन
लंबे समय से पदस्थ होने से निशिकांत ने किसानों का भरोसा जीता। किसान सेक्रेटरी पर आंख बंद करके भरोसा करते थे। यहां तक कि पैसे जमा करने के लिए वह सेक्रेटरी को ही दिया करते थे। विड्रॉल के लिए पर्ची पर हस्ताक्षर कर दे देते थे। निशिकांत उज्जैन से पैसे लाकर किसानों को दे देता था। सभी किसान समय-समय पर सोसायटी से लोन लेकर चुका भी देते थे। कुल मिलाकर निशिकांत संस्था और किसानों के बीच बिचौलिए का काम करता था।
पिछले 6 महीने पहले लिए गए लोन की किस्त, बीमा और खाद-बीज की राशि किसानों से ले ली, लेकिन उनके खाते में जमा नहीं की। यही नहीं, निशिकांत ने बकायदा सील लगी हुई विड्रॉल और जमा पर्ची भी किसानों को लाकर दी।
जब लोन लेने गए, तब पता चला
किसान राकेश पटेल ने बताया कि पिछले 5 महीने से निशिकांत चव्हाण संस्था में नहीं आ रहा था। हितग्राहियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। समय-समय पर पैसे जमा करने के मैसेज भी आते रहते थे। राकेश ने बताया कि उसने केसीसी से 56 हजार रुपए का लोन लिया था। फसल आने पर रुपए जमा करने के लिए निशिकांत को दे दिए थे। अब दोबारा लोन लेना था।
जब बैंक पहुंचा, तो यहां सवा लाख रुपए का ओवर ड्यू बता दिया गया। यह सुनकर पैरों तले जमीन खिसक गई। राकेश ने यह बात गांव में जाकर अन्य सदस्यों को बताई। इसके बाद अन्य सदस्यों ने भी बैंक जाकर पता किया। पता चला कि हर किसान के खाते में ओवरड्यू चल रहा है। इसके बाद किसान आक्रोशित हो गए। पूरा माजरा उनकी समझ आ गया।
खाते से लिमिट से ज्यादा निकाले रुपए
किसान अंबाराम ने बताया कि कई बार राशि जमा करने के मैसेज भी मिले। मेरे लोन जमा करने की आखिरी तारीख 31 मार्च थी। सभी किस्त जमा कर दी थी, लेकिन अब रबी की फसल के लिए जब राशि निकालने पहुंचे, तो पता चला कि पिछला बकाया बढ़कर डबल हो गया है। यही नहीं, राशि भी लिमिट से ज्यादा निकाल ली गई।
किसान संजय पटेल का कहना है कि मैंने 84 हजार रुपए लोन लिया था। एक लाख 24 हजार रुपए जमा कर चुके हैं। यहां आए तो पता चला कि 1 लाख 15 हजार और जमा करना है।
आक्रोशित हो गए किसान, बैंक के गेट पर जड़ा ताला
मंगलवार को 100 से ज्यादा किसान इकट्ठा होकर उज्जैन में कलेक्टोरेट में आयोजित जनसुनवाई में पहुंच गए। यहां किसानों ने प्रदर्शन करते हुए आरोपी को गिरफ्तार करने की मांग की। इसके बाद किसान जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की मुख्य शाखा भरतपुरी पहुंच गए। यहां अधिकारियों ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इस पर किसान नाराज हो गए। बैंक के बाहर ताला जड़ दिया। प्रदर्शन शुरू कर दिया। किसानों ने नारेबाजी भी की। बैंक के अफसरों से जमकर बहस भी हुई।
आरोपी सस्पेंड, केस दर्ज कराने की तैयारी
सूचना पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के एमडी विशेष श्रीवास्तव भी पहुंच गए। उन्होंने बताया कि आरोपी निशिकांत चव्हाण को निलंबित कर दिया है। आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करवाया जाएगा। एमडी का दावा है कि करीब दो करोड़ की राशि के गबन का मामला है। जल्द ही राशि की रिकवरी कर किसानों को लौटाई जाएगी।
क्या है केसीसी
दरअसल, सरकार किसानों को प्रति एकड़ भूमि के हिसाब से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) में माध्यम से लोन देती है। हर छह महीने में फसल आने पर किसानों को लोन चुका सकते हैं। हालांकि, इसे साल तक के लिए दिया जाता है। केसीसी में प्रति बीघा करीब 9 हजार मिलता है, जिसमें 7 हजार नकद और 2 हजार खाद बीज और बीमा के लिए मिलते हैं।
इसी तरह भैरवगढ़ जेल में हुआ था गबन
इसी तरह, जिला केंद्रीय भैरवगढ़ जेल के प्रभारी मुख्य प्रहरी एसके चतुर्वेदी के विभागीय भविष्य निधि (DPF) अकाउंट से 12 लाख व प्रहरी उषा कौशल प्रहरी के अकाउंट से 10 लाख रुपए निकालने के लिए ऑनलाइन प्रोसेस की गई। भुगतान के लिए रिक्वेस्ट जिला कोषालय पहुंची। 9 मार्च 2023 को जिला कोषालय अधिकारी ने जांच की। पता चला कि दोनों जेल कर्मचारियों के DPF राशि उनके अकाउंट में न जाकर बैंक ऑफ इंडिया शाखा भैरवगढ़ के अकाउंट नंबर 912610110007092 में जमा हो रही है। यहीं से ट्रेजरी अधिकारी को शक हुआ। जांच की, तो 2020-21 से 2023 तक 100 मामलों में इसी तरह का ट्रांजैक्शन मिला। 9 मार्च को कोषालय ने बैंक ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर खाते फ्रीज करने कहा। इसके बाद पूरा घोटाला सामने आया।
केंद्रीय भैरवगढ़ जेल में 13.50 करोड़ रुपए के DPF घोटाले में पूर्व जेल अधीक्षक उषा राज के इशारे पर कर्मचारियों के लिए बने सॉफ्टवेयर का गलत इस्तेमाल कर घोटाले को अंजाम दिया गया। आरोपी अकाउंटेंट रिपुदमन रघुवंशी ने घोटाले से मिले रुपयों में से चार करोड़ रुपए सट्टे में लगा दिए। 80 लाख रुपए जेल के अफसर-कर्मचारी और रिश्तेदारों में बांट दिए थे। पुलिस ने इन रुपयों की रिकवरी के लिए 50 से ज्यादा लोगों को थाने भी बुलवाया। वहीं, आधा दर्जन सट्टेबाजों को भी आरोपी बनाया था।