प्रकाश त्रिवेदी की कलम से

*उपसमितियां बेचारी-सचिव है भारी….*

सिंहस्थ को सफल बनाने के लिए उपसमितियां तो बन गई पर उनको करना क्या है कोई बताने को तैयार नहीं है। सरकार ने आदेश तो निकाला पर ना अधिकार बताए ना कर्तव्य। उपसमितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष परेशान है सदस्य हैरान है। करे तो क्या करे। ऊपर से उपसमितियों के सचिव भी भाव नहीं दे रहे है। मान ना मान में तेरा मेहमान जैसी हालात हो गई है। उपसमितियों के दौरे तो जारी है पर प्रशासनिक उदासीनता भारी है। सचिव भी कम खुदा नहीं कई समितियां सचिव से परेशान है एक समिति में तीन सचिव बदल गए है। एक अधिकारी तीन समितियो के सचिव है। बैचारे अध्यक्षो ने योजनाएं तो बना ली है पर उनपर अमल कैसे होगा कौन करेगा किसी को पता नहीं है। मेला अधिकारी मोन है नातू सर का अपना दर्शन है माखन सिंह जी के पास् समय कम है प्रभारी मंत्री प्रशासन में व्यस्त है। बैचारी समितिया क्या करे । समितिया बैचारी सचिव है भारी उस पर सरकार बन गई है गंधारी। सब खोज रहे है कौन है सिंहस्थ का असली मदारी।