इंदौर में झांकियां बनकर तैयार हो चुकी हैं और आज 28 सितंबर को यह लाखों लोगों के सामने दिखाई जाएंगी। भव्य चल समारोह में निकलने वाली इन झांकियों को देखने के लिए दूर दूर से लोग इंदौर पहुंचते हैं। शाम को शुरू होने वाला यह कारवां पूरी रात चलता है। इस साल इंदौर में निकलने वाली झांकियों का 100वां साल है। अंग्रेजों के जमाने में शुरू हुई यह परंपरा आज भी अनवरत जारी है। हर उम्र के लोग इसमें शामिल होते हैं और धर्म, संस्कृति, परंपरा की रोचक कहानियां जीवन भर के लिए अपने मन में सहेज लेते हैं।
क्या रहेगा रूट
भंडारी ब्रिज चौराहे से श्रम शिविर, चिकमंगलूर चौराहा, जेलरोड, नावेल्टी मार्केट, जेलरोड चौराहा, एमजी रोड अग्रवाल स्टोर्स, मृगनयनी चौराहा, कृष्णपुरा छत्री, नंदलाल पुरा रोड, फ्रूट मार्केट, जवाहर मार्ग, गुरुद्वारा चौराहा, बम्बई बाजार, नृरसिंह बाजार चौराहा, कपड़ा मार्केट, सीतलामाता बाजार, एमजी रोड, खजूरी बाजार रोड, राजबाड़ा होते हुए, नगर निगम तक रहेगा झांकी मार्ग।
निगम की झांकीः हनुमान जी के जीवन के प्रसंगों का चित्रण
श्री गणेश उत्सव समिति नगर निगम इंदौर की झांकी का यह 28 वां वर्ष है। निगम की झांकी में सिंगल used प्लास्टिक मटेरियल का उपयोग नहीं किया गया है। पहली बार झांकी में 3d प्रिंटिंग का उपयोग कर मॉडल बनाए गए हैं। निगम ने छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वे वर्ष के उपलक्ष्य में उनके जीवन पर आधारित विषयों का चित्रण किया है। दूसरी झांकि में चंद्रयान की सफलता के उपलक्ष्य में इसरो के विज्ञानिकों का अभिनंदन झांकी के माध्यम से किया गया है। झांकियों के पीछे की ओर लाड़ली बहना योजना का चित्रण भी है। तीसरी झांकी में जल बचाओ, पर्यावरण बचाओ का संदेश दिया है। इस झांकी के अग्रिम भाग में पेड़-पौधे व पशुपक्षी आदि हैं। पिछले भाग में शिवपुत्री मां नर्मदा का स्वरूप बनाकर जल बचाने का संदेश दिया है। “हनुमान अष्टक” वाली झांकी में हनुमान जी के जीवन के प्रसंगों का चित्रण किया गया है।
मालवा मिल गणेश उत्सव समितिः महारानी लक्ष्मीबाई, महाराणा प्रताप की वीरता का गुणगान
मालवा मिल श्री गणेशोत्सव समिति तीन झांकियों का निर्माण कर इस वर्ष अपने 89वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। जिसमें एक राष्ट्रीय तथा दो धार्मिक झांकियों का निर्माण कर प्रदर्शित किया जा रहा है जो इस प्रकार है।
प्रथम झांकी – झांकी के प्रथम भाग में झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई को दर्शाया गया है जिन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया और अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई लड़ते हुए शहीद हुई। इसके बाद छत्रपति शिवाजी महाराज को घोड़े पर सवार दिखाया गया है। झांकी के अंत में मेवाड़ के महाराजा महाराणा प्रतापसिंह को चेतक घोड़े पर सवार दिखाया गया है। महाराणा प्रताप ने अंतिम सांस तक अकबर के समक्ष घुटने नहीं टेके तथा लड़ाई के वक्त वीरगति को प्राप्त हुए। महाराणा प्रताप के बाद देश के महान गौरव के घूमते हुए चित्रों (तस्वीर) को दिखाया गया है, जिसमें संविधान निर्माता भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर, टंटीया भील, स्वामी विवेकानंद, लाला लाजपत राय, चन्द्रशेखर आजाद एवं भगतसिंह को दिखाया गया है।
द्वितीय झांकी – जग में सुन्दर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम! इस भजन पर आधारित है। द्वितीय झांकी के प्रथम भाग में राधाकृष्ण को नृत्य करते हुए दिखाया गया है इसके बाद भगवान राम को सबरी के झूठे बेर खाते दिखाया गया है अंत में भगवान श्री राम दरबार दिखाया गया है। यह झांकी जग में सुंदर हैं दो नाम चाहे कृष्ण कहो या राम गीत पर आधारित है।
राजकुमार मिलः पूतना वध और खाटू श्याम भगवान की गाथा
झांकी नंबर 1 – लकड़ी की काठी काठी पे घोड़ा गीत पर आधारित है। बच्चों के मनोरंजन को आधार बनाते हुए झांकी में बच्चों को अलग-अलग प्रकार से क्रीड़ा करते हुए दिखाया गया है। झांकी का उद्देश्य बच्चों के मनोरंजन पर आधारित है।
झांकी नंबर 2 – पूतना वध एवं श्री मथुरा के राजा कंस द्वारा बालक कृष्ण का वध करने के लिए कंस ने पूतना राक्षसी को भेजा, वह दूध पिलाकर भगवान कृष्ण को मारना चाहती थी। भगवान ने उसका वध किया।
झांकी नंबर 3 – बर्बरीक भगवान कृष्ण को अपना शीश सौंपते हुए, जिसके बाद भगवान के आशीर्वाद से वह कलयुग में खाटू श्याम के नाम से जाने गए। वह भीम एवं हिडम्बा के पोते थे। आगे चलकर वह श्री खाटू श्याम के नाम से पूजे गए।
आईडीएः विकास के कार्य, भगवान कृष्ण का जन्म
प्रथम झांकी – इन्दौर विकास प्राधिकरण द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों को दर्शाया जाएगा। जिसमें ऑडिटोरियम, स्वीमिंग पुल, लवकुश चौराहा लेवल फलोअर इत्यादि।
दूसरी झांकी – भगवान कृष्ण का जन्म प्रसंग दर्शाया गया जिसमें मथुरा के राजा कंस के कारागृह में वसुदेव एवं देवकी को बन्दी दर्शाया गया। जहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्म दर्शाया गया है और साक्षात श्री विष्णु भगवान वहां अवतरित हुए यह भी दिखाया गया है। दूसरे प्रसंग में वसुदेव द्वारा श्री कृष्ण जन्म पश्चात उन्हें गोकुल के नन्द और यशोदा के घर यमुना के पार ले जाते दर्शाया गया है। वहीं शेषनाग भी प्रकट होते हैं और वसुदेव को यमुना पार कराने वसुदेव की सहायता करते दर्शाया गया है।
तीसरी झांकी – यह झांकी मराठा नरेश छत्रपति शिवाजी पर आधारित है। जिसमें आज से 350 वर्ष पहले 6 जून 1674 को महाराष्ट्र के रायगड़ किले में काशी के पण्डित श्री गंग भट ने राज्याभिषेक कराया था जिसे दर्शाया है। वहीं छत्रपति शिवाजी का राजसिंहासन दिखाया गया है। यह झांकी पूर्ण रूप से किले की आकार की बनाकर आधुनिक लाइट सज्जा से बनाई गई है।
हुकमचंद मिल गणेशोत्सव समितिः सौ साल पहले निकली पहली झांकी बनाई
प्रदेश का गौरव राजकमल बैंड अपने 350 कलाकार साथियों के साथ 3 बैंड की गाड़ी, साउंड सिस्टम और कांच में लाइट का महल बनाकर हुकमचंद मिल की झांकियों के साथ चलेगा। उस रथ में खड़े होकर कलाकारों द्वारा देशभक्ति गीत और भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी। सर सेठ हुकमचंद कासलीवालजी द्वारा निकाली गई बैलगाड़ी व चन्द्रयान-2023 पर आधारित है जो दो भागों में बनी है। श्री गणेश उत्सव जो आज 100 वें वर्ष पहले सर सेठ हुकुमचंद ने जो कपड़ा मिल के मालिक थे, इन्होंने ही सन् 1924 में एक साधारण से स्तर पर शुरूआत की थी उस समय एक बैलगाड़ी पर गणपति को सवार कर लालटेन व मशाल की रोशनी में मिल मजदूरों की संगत में भजन मंडलियों सहित चल समारोह निकाला गया था। अब आज के युग में झांकियों का स्वरूप पूर्ण रूप सज्जा के साथ आधुनिक हो गया है। अन्य झांकियों में भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु की लीलाओं को भी बताया गया है।