सार
विस्तार
कटनी में विजयराघवगढ़ से बीजेपी प्रत्याशी बने संजय सत्येंद्र पाठक ने उम्मीदवारों के रूप में कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष अपनी और पत्नी निधि पाठक की बेहिसाब संपत्ति का ब्यौरा देते हुए उसे दो अरब 42 लाख बताई है। वहीं, पूर्व सीएम कमलनाथ और उनकी पत्नी अलकानाथ की कुल संपत्ति एक अरब 34 लाख दशाई है, जो संजय पाठक के आगे काफी कम है।
प्रदेश के सबसे रईस नेता संजय पाठक अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए पत्नी निधि पाठक और बेटे यश पाठक के साथ कटनी कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे, जिन्होंने गुरु आज्ञा के बाद शुभ मुहूर्त में अपना फॉर्म रिटर्निंग अधिकारी के सामने शपथ लेने के साथ ही नामांकन सेट में अपनी चल-अचल संपत्तियों का ब्यौरा हलफनामा में पेश किया है। हलफनामे में दर्शाए गए ब्योरे के अनुसार, संजय पाठक और उनकी पत्नी निधि पाठक 242 करोड़ से अधिक की संपत्ति के मालिक हैं। जिसमें संजय की कुल चल संपत्ति 74 करोड़ 16 लाख 66 हजार 326 रुपये और अचल संपत्ति 60 करोड़ 46 लाख 16 हजार 573 रुपये बताई है।
वहीं, पत्नी निधि पाठक की चल संपत्ति चार करोड़ 49 लाख 74 हजार 827 रुपये की तो अचल संपत्ति छह करोड़ रुपये से अधिक की दर्शाई है। पाठक परिवार के पास नकद राशि की बात की जाए तो 20 लाख 23 हजार 781 रुपये संजय पाठक के पास और 36,76,800 रुपये निधि पाठक के पास नकद राशि के रूप में मौजूद है।
संजय पाठक एक सफल नेता के साथ ही एक बड़े कारोबारी भी हैं, जिसका व्यापार देश-विदेश तक फैला है। जानकारी के अनुसार, उनकी आयरन ओर की माइंस के साथ विदेशों में कोल माइंस भी मौजूद है। वहीं, इनके कई होटल्स और रिसोर्ट भी हैं, जिनसे इन्हें साल 2022-23 में चार करोड़ में करीब की आय भी मिली है। यूं तो संजय पाठक अभी बीजेपी में हैं, लेकिन उनका सियासी कांग्रेस के साथ शुरू किया था।
संजय साल 1991 में जिला युवक कांग्रेस ग्रामीण जबलपुर के महामंत्री बने थे। इसके बाद 1996 में जिला कांग्रेस कमेटी कटनी के महामंत्री बनाए गए थे। 2000 से 2005 तक वे जिला पंचायत कटनी के अध्यक्ष भी रहे हैं। साल 2008 में कांग्रेस ने उन पर भरोसा जताया और वे प्रदेश कांग्रेस के महासचिव बनाए गए। यही से उनका भाग्य उदय हुआ और वो विजयराघवगढ़ विधायक बने। फिलहाल, वह अभी बीजेपी से विधायक हैं। हालांकि, उनकी चर्चा विधायकी से ज्यादा उनकी रईसी के लिए ज्यादा चर्चित है, फिर वो उनके हेलीकॉप्टर के लिए हो या हरिहर तीर्थ और जनादेश के नाम पर किए गए करोड़ों के खर्चे।