मध्य प्रदेशराजनीती

ग्राउंड रिपोर्ट-सोनकच्छ में सज्जन की राह नहीं आसान, सोनकर भी अपनों की बेरुखी से परेशान

सार

विस्तार

मालवा बेल्ट की सरहद पर कांग्रेस का झंडा बुलंद रखने वाली सोनकच्छ विधानसभा सीट पर पहली बार परिणाम एक तरफा नजर नहीं आ रहे। पांच बार इस सीट से विधायक रहे सज्जन सिंह वर्मा की राह इस बार आसान नहीं है, हालांकि 25 सालों से उनका तोड़ भाजपा को नहीं सुझा। हमेशा इस सीट पर भाजपा ने नए प्रयोग किए।

इस बार इंदौर के जिला भाजपा अध्यक्ष राजेश सोनकर को पार्टी ने  सोनकच्छ का टिकट थमा दिया। कहा जाता है कि पहले संगठन ने तुलसी सिलावट को यहां से लड़ाने का विचार किया था है, लेकिन बात नहीं बनी। सोनकर के लिए सोनकच्छ सीट नई है और वे उसके भूगोल से भी अंजान है, लेकिन वर्मा को बराबरी की टक्कर दे रहे है।  सोनकर के साथ स्थानीय नेता मुंह दिखाई की रस्म निभा रहे। टीम वर्क से काम नहीं हो रहा। इसके बावजूद उन्होंने चुनाव को बांधे रखा है।इस सीट के पेटर्न की बात करे तो 25 सालों में चार बार कांग्रेस के खाते में यह सीट रही और विधायक सज्जन सिंह वर्मा बने। सज्जन सिंह वर्मा के सांसद बनने के बाद खाली हुई इस सीट पर भाजपा के राजेंद्र वर्मा विधायक बने, लेकिन पिछली बार का चुनाव वे सज्जन सिंह वर्मा से हार गए। विधानसभा के ग्रामीण हिस्से कांग्रेस की ताकत माने जाते है, लेकिन तहसीलों में भाजपा ने धीरे धीरे अपनी जमीन तैयार की है।

आष्टा,हाटपिपल्या हो गए आगे, सोनकच्छ क्यों पीछे

इस बार सोनकच्छ तहसील में वर्मा के खिलाफ एंटी इकमबेंसी नजर आ रही है। लोग वर्मा की सक्रियता पर सवाल तो नहीं उठाते, लेकिन यह कहते है कि जैसी सुविधाएं होना चाहिए, वैसी सुविधाएं वर्मा नहीं दिला पाए। रहवासी दिलीप शिंदे कहते है कि सोनकच्छ में अस्पताल है, लेकिन एक भी आईसीयू बेड नहीं है। किसी को हार्ट अटैक जाए तो अस्पताल में इलाज नहीं हो पाता। सिर्फ मरीज को देवास लेकर भागना पड़ता है।

राजू सोनगर कहते है कि आष्टा, हाटपिपल्या विकास में आगे है। सोनकच्छ पीछे रहा गया। मंडी में किसानों के रुकने तक का इंतजाम नहीं है। बस स्टैंड पर एक भी प्याऊ नहीं है। इस तरह का विकास किस काम का? इस विधानसभा क्षेत्र में बेरोजगारी भी बड़ा मुद्दा है।

कृषि उपज मंडी में बैठे सचिन बागवान कहते है यहां एक भी कारखाना नहीं खुला। यदि सोनकच्छ में मंडी न हो तो हम भी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। हमारे बच्चे पढ़ लिख जाते है, लेकिन स्थानीय स्तर पर उन्हें रोजगार नहीं मिलता। नौकरी की तलाश में इंदौर या भोपाल जाना पड़ता है।

नहीं पनपी लोकल लीडरशीप

इस विधानसभा क्षेत्र में इंदौर के नेता ही चुनाव लड़ने आते है। सज्जन सिंह वर्मा इंदौर में रहते है। इसके अलावा फूलचंद वर्मा और राजेंद्र वर्मा को भाजपा यहां से टिकट दे चुकी है। वे दोनो भी इंदौर रहते है। इस बार टिकट पाने वाले राजेश सोनकर भी इंदौर के निवासी है और पहले सांवेर से विधायक रह चुके है।