उज्जैन। मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने अंबोदिया ग्राम स्थित अंकित ग्राम सेवाधाम आश्रम के कार्यक्रम में उपस्थित होकर कहा कि मैं राज्यपाल की हैसियत से नहीं वरन एक सामान्य सेवक बनकर गरीबों की सेवा करना चाहता हूं। प्रत्येक व्यक्ति के मन में संवेदना होना चाहिये, ताकि वह सच्ची मानव सेवा कर सके। संवेदना नहीं तो दिल हमारा पत्थर है। सेवाधाम आश्रम में जो सेवा सुधीरभाई कर रहे हैं, ऐसी सेवा मैं भी करना चाहता हूं। दीक्षांत समारोह में बच्चों से कहता हूं कि पढ़-लिखकर सिर्फ पैसा कमाने का उद्देश्य मत रखना। अपने मां-बाप की, देश की, राज्य की, गरीब दीन-दुखियों की सेवा करना।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने अंकित ग्राम सेवाधाम आश्रम में आयोजित प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय समाजसेवक सम्मेलन के समापन के अवसर पर आये थे। उन्होंने कहा कि शपथ के पहले सेवाधाम आश्रम में आकर मानव सेवा को देखा और सुधीरभाई गोयल द्वारा किये जा रहे सेवा प्रकल्पों से जुड़ा, यह मेरा सौभाग्य था। समाचार-पत्रों, चैनलों पर देखता हूं कि कभी-कभी बच्चों के मां-बाप को घर से निकाल दिया, तो मन व्यथित हो जाता है, इसलिये दीक्षा देने जहां भी मैं जाता हूं बच्चों को कहता हूं कि मानव जीवन बार-बार नहीं मिलता है। इसे समाजसेवा में भी लगाना। मानव सेवा प्रभु सेवा है। यदि बच्चे यह करते रहेंगे तो जीवन में आत्मसंतोष मिलेगा। मानव सेवा करना परमोधर्म है। राज्यपाल ने श्रवण कुमार की कहानी भी सुनाई। गरीबों की सेवा करना उत्तम काम है। हमारे समाज में समाजसेवकों की बहुत आवश्यकता है। आत्मा में संवेदना होना चाहिये, तभी वेदना होगी और समाज सेवा की जा सकती है। संवेदना से ही मानव सेवा का भाव मन में आता है। सेवाधाम आश्रम जो कार्य कर रहा है, ऐसी समाजसेवा सबको करना चाहिये।
सेवाधाम आश्रम के संस्थापक सुधीरभाई गोयल ने आश्रम की जानकारी देते हुए बताया कि यह शीघ्र ही एक हजार महिलाओं को रहने के लिये भवन बनाया जा रहा है। सेवाधाम लगातार मानव सेवा के कार्य कर रहा है और यहां 500 से अधिक सदस्य एक परिवार की तरह रहते हैं। कार्यक्रम में पद्मश्री भिकुराम इदाते ने डीएनटी फाउंडेशन का परिचय देते हुए बताया कि घुमंतु जाति के लोगों को देश की नागरिकता दिलाने के लिये उनकी संस्था काम कर रही है। सेवाधाम आश्रम के अध्यक्ष डॉ.ऋषिमोहन भटनागर ने आश्रम में आयोजित प्रथम समाजसेवक सम्मेलन की जानकारी देते हुए बताया कि सम्मेलन में देश-विदेश से 100 से अधिक प्रतिष्ठित कंपनियों के अधिकारी, शिक्षाविद आदि शामिल हुए और यह तथ्य निकलकर आया कि समाजसेवक अकादमी की स्थापना होना चाहिये और समाजसेवी को भी सम्मान-सुविधाएं मिलना चाहिये।