इंदौरमध्य प्रदेश

सिख मर्यादा से सुबह अमृत संचार, रात 1.22 पर होगी फूलों की वर्षा

सिख समाज द्वारा गुरु नानकदेव महाराज का 554वां प्रकाश पर्व कार्तिक पूर्णिमा पर सोमवार को हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। इस अवसर पर खालसा कालेज राजमोहल्ला में तड़क 5.15 से दोपहर 3 और शाम 6.30 से रात 1.45 बजे तक कीर्तन दीवान सजेगा। इसमें जहां सुबह 11.30 बजे अमृत संचार होगा वहीं ठीक रात 1.22 पर फूल की वर्षा की जाएगी। इस अवसर पर गुरु के अटूट लंगर में हजारों संगत गुरु का प्रसाद ग्रहण करेगी।
संगत को बैठने के लिए विशेष तौर पर 15 हजार वर्गफीट में जर्मन डोम बनाया गया है। इसमें शहर की गुरु नानक नाम लेवा संगत गुरमत समागम में अपनी हाजिरी भरेगी। दीवान में एक हजार सेवादार लंगर, पार्किंग, जोड़ा, शरबत और अन्य सेवा में सहयोग देगी। इस अवसर पर शहर के 36 गुरुद्वारों की संगत भाग लेगी। आयोजन में इंदौर के साथ ही पीथमपुर, बेटमा, उज्जैन, धार की संगत भी भाग लेगी।
दो दिन कीर्तन दीवान के अंतर्गत रविवार सुबह का दीवान गुरुद्वारा इमली साहिब और शाम का दीवान खालसा कालेज स्टेडियम में सजा। खालसा कालेज में संगत ने मुख्य दीवान के लंगर की सेवा की। इसमें कीर्तनकार बलजीत सिंह ने नामधारी ने दिल्ली वालों ने शबद वाहो-वाहो बाणी निरंकार है, तिस जेवड अवर ना कोए… शबद गाए। इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि गुरवाणी निरंकार स्वरूप और शबद गुरु है।
इसके समान कोई और नहीं है। इसके बाद सुनी पुकार दातार प्रभ, गुरु नानक जग माहे पठाया शबद की व्याख्या करते हुए कहा कि धरती की पुकार सुनके परमात्मा ने गुरु नानक साहिब को भेजा ताकि धरती पर रहने वाले मनुष्य परमात्मा से जुड़े और उनकी तपन दूर हो। श्री गुरुसिंघ सभा के अध्यक्ष मनजीतसिंह भाटिया ने बताया कि आयोजन की मुख्य दीवान की सभी तैयारियां को अंतिम रूप दे दिया गया है। समाज की सेवादार संगत रातभर लंगर की सेवा करेगी।
इंदौर की धरती पावन जहां 506 साल पहले पड़े गुरु नानकदेव के चरण
दीवान में आए गुरमत विचारक ज्ञानी परमजीत सिंह ने कहा कि जनकल्याण के लिए गुरु नानकदेव ने चार यात्रा की। उन्होंने सभी जगह जाकर उपदेश दिए और शबद का प्रचार किया। इंदौर की धरती पावन है जहां गुरु नानकदेव महाराज के चरण पड़े। आज इंदौर के गुरु नानक चौक स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा इमली साहिब सुशोभित है, जहां इमली के पेड़ के नीचे 506 साल पहले गुरुनानक देव महाराज ने गुरवाणी का उच्चारण कर संगत को निहाल किया व व्यर्थ कर्मकांड से बचने के उपदेश दिया था।