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सीएम के दावेदार भोपाल पहुंचे, प्रहलाद पटेल का नाम सबसे आगे,आज हो सकते है पर्यवेक्षक तय

सार

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के नाम पर आलाकमान परिणाम आने के पांच दिन बाद भी कोई निर्णय नहीं ले पाया है। आज मध्य प्रदेश समेत तीनों राज्यों के लिए पर्यवेक्षक तय हो सकते हैं।

विस्तार

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर असमंजस बना हुआ हैं। केंद्रीय नेतृत्व अभी तक मुख्यमंत्री के नाम तय नहीं कर पाया है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व आज प्रदेश के लिए पर्यवेक्षक की नियुक्ति कर सकता है। इसके बाद शनिवार या रविवार को विधायक दल की बैठक हो सकती है। इस बीच गुरुवार को मुख्यमंत्री पद के दावेदार भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा दिल्ली से भोपाल पहुंचे गए।

शिवराज सिंह चौहान को बदलने की स्थिति में मुख्यमंत्री के पद के प्रबल दावेदार में प्रहलाद पटेल का नाम सबसे आगे है। इसका कारण उनका ओबीसी वर्ग से होना है। राहुल गांधी ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने को लेकर मुद्दा बना दिया है। ऐसे में ओबीसी वर्ग से आने वाले शिवराज को हटाकर किसी अन्य वर्ग से मुख्यमंत्री बनाने पर विपक्ष को मुद्दा मिल जाएगा। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा आलाकमान कोई रिस्क नहीं लेना। पटेल मोदी और शाह के विश्वास पात्र भी बने हुए हैं। पटेल के साथ नेगिटिव पक्ष यह है कि वह उमा भारती को सीएम पद से हटाए जाने के बाद भाजपा छोड़कर उनके साथ चले गए थे।

प्रहलाद पटेल के नहीं होने पर नरेंद्र सिंह तोमर भी सीएम पद के दावेदार हैं। तोमर को कुशल संगठक भी माना जाता है। वह मोदी कैबिनेट में बड़ा मंत्रालय भी संभाल रहे थे। इससे पहले तोमर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रह चुके है।  हालांकि नकारात्मक पक्ष यह है कि तोमर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करते है। यहां से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी आते हैं। ऐसे में दोनों के बीच क्षेत्र में पार्टी का श्रेय लेने को लेकर टकराव की आशंका पार्टी को हमेशा सताएगी।

इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी चर्चा है। 2018 में चुनाव हारने के बाद भाजपा की सरकार बनाने में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बड़ी भूमिका रही है। अभी वह केंद्रीय नेतृत्व के करीब और विश्वासपात्र है। हालांकि उनके सीएम बनने से भाजपा में गुटबाजी का डर है। लोकसभा चुनाव के पहले पार्टी इस तरह का कोई जोखिम नहीं लेना चाहिए। इसके अलावा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी सीएम पद की रेस में है। हालांकि प्रदेश में जातिगत समीकरण साधने के कारण उनकी स्थिति मजबूत नहीं दिख रही है।

वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी किसी के चेहरे पर सहमति नहीं बनने पर बाजी मार सकते है। नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा की जीत के बाद विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के लिए संगठन की बड़ी भूमिका बताई जा रही है। संगठन को मजबूत करने के साथ ही रणनीति के सफल क्रियान्वयन में शर्मा की अहम भूमिका है। प्रधानमंत्री भी प्रचार के दौरान शर्मा की पीठ ठोकर उनकी प्रशंसा कर चुके हैं। वहीं, भाजपा का शीर्ष नेतृत्व विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले सांसद के अलावा नए चेहरे पर भी विचार कर रहा है। इस बीच गुरुवार को कैलाश विजयवर्गीय ने संकेत दिए है कि रविवार तक प्रदेश में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर सस्पेंस खत्म हो जाएगा।