उज्जैन। राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र जी ठाकुर ने कहा कि शिक्षा में स्व का विमर्श लाना है और यदि विपरीत विमर्श स्थापित किया जा रहा है तो अपने कार्यों के माध्यम से उस विमर्श को बदलना है। कोई भी विमर्श कंटेंट की निरंतरता से बनता है, इसलिए मीडिया के विभिन्न मंचों तक अपना कंटेंट नियमित रूप से पहुंचाते रहें।
सम्राट विक्रमादित्य भवन में आय़ोजित विद्या भारती प्रचार विभाग और अभिलेखागार की दो दिवसीय संयुक्त कार्यशाला के तृतीय सत्र में नरेन्द्र जी ठाकुर ने कहा कि शिक्षा में स्व का विमर्श लाने के लिए पाठ्यक्रमों को माध्यम बनाया जा सकता है। इसमें इतिहास, गणित और भाषा जैसे विषय शामिल हो सकते हैं। अपने विमर्श की दृष्टि से अखिल भारतीय स्तर पर वार्षिक कैलेंडर तैयार कर सकते हैं जिनमें वर्ष के महत्वपूर्ण दिवसों आदि पर विशेष कंटेंट तैयार कर प्रिंट मीडिया, डिजिटल मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया और सोशल मीडिया का प्रयोग कर प्रसारित कर सकते हैं। इसके अलावा प्रांत स्तर पर प्रांत के महत्वपूर्ण दिवसों, प्रांत के प्रमुख व्यक्तियों, महत्वपूर्ण घटनाक्रमों और तात्कालिक विषय़ों आदि को लेकर भी कंटेंट निर्माण किया जा सकता है। कंटेंट निर्माण के बाद इसका प्रभावी प्रसारण भी आवश्यक है, जिससे अपना विषय अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके। इसके लिए विद्या भारती के कार्यकर्ताओं को मीडिया इकोसिस्टम भी खड़ा करना होगा। मीडिया से नियमित संपर्क और संवाद स्थापित करना होगा। मीडिया से संपर्क विद्या भारती के नाते बने, ऐसा प्रयास करना चाहिए। अपने संगठन के बारे में मीडिया को सही जानकारी उपलब्ध कराएं और मीडिया के बंधुओं को अपना साहित्य भेंट करें। शिक्षा के विषयों पर लेख लिखने वालों, ब्लाग लिखने वालों, समाचार चैनलों में शिक्षा के विषय पर बात रखने वालों और शिक्षा के संबंध में अच्छा अध्ययन करने वाले आदि लोगों से संपर्क कर उन्हें अपने विषय से सामग्री भेंट करें। इससे भविष्य में वह इस सामग्री का उपयोग लेख आदि लिखने के लिए कर सकते हैं और समाज में विद्या भारती का विमर्श स्थापित करने में सहयोग कर सकते हैं। विद्या भारती के कार्यकर्ता सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर्स से भी संपर्क करें और बाहर के इकोसिस्टम को समझकर उसका अपने पक्ष में उपयोग करने का प्रयास करें।
विश्व में बढ़ रही संघ के विचार की स्वीकार्यता
आरएसएस के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र जी ठाकुर ने आरएसएस के शताब्दी वर्ष तक कार्यकर्ताओं की भूमिका स्पष्ट करते हुए पांच कार्यों पर विशेष बल दिया। इनमें संघ के कार्य का विस्तार, कार्य की गुणवत्ता यानि जिससे समाज में सकारात्मक प्रभाव हो, सामाजिक परिवर्तन, वैचारिक विमर्श और सज्जन शक्ति को सक्रिय करना शामिल है। उन्होंने कहा कि संघ का वैचारिक प्रभाव बढ़ रहा है और संघ, हिन्दुत्व व भारत का विरोध करने वालों की संख्या कम हो रही है। समाज में संघ के विषयों को समर्थन मिल रहा है और दुनिया में हिन्दुत्व के विचार की स्वीकार्यता बढ़ रही है। इससे स्वाभाविक रूप से दुनिया में भारत का प्रभाव भी बढ़ रहा है। हाल ही में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान यह परिलक्षित भी हुआ है। आज संघ के विचार और हिन्दुत्व का विरोध देश के बाहर हो रहा है, लेकिन इनकी संख्या बहुत सीमित है। लेकिन इन सबसे सतर्क रहने की आवश्यकता है, क्योंकि ये लोग बहुत सुनियोजित तरीके से प्रायोजित रिसर्च आदि के आधार पर मीडिया स्पेस हासिल कर अपना विमर्श स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र जी ठाकुर ने कहा कि विमर्श के लिए तीन केन्द्रीय विषय तय किए गए हैं। इनमें हिन्दुत्व, भारत और स्व शामिल है। इसके अतिरिक्त वर्ग विशेष युवा, महिला और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति भी शामिल हैं। विद्या भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री गोविंद जी महंत, विद्या भारती के दक्षिण मध्य क्षेत्र के संगठन मंत्री व प्रचार विभाग के पालक सुधाकर रेड्डी जी, विद्या भारती जोधपुर प्रान्त के संगठन मंत्री व प्रचार विभाग की केंद्रीय टोली के सदस्य रवि जी आदि उपस्थित रहे। कार्यशाला में देशभर से 102 प्रतिभागी शामिल रहे।
मीडिया संपर्क और संवाद पर कान्क्लेव का आयोजन
कार्यशाला के तृतीय सत्र में मीडिया से संपर्क और संवाद पर मीडिया कान्क्लेव का आयोजन किया। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार एवं सतत शिक्षा अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के संकाय सदस्य डा. सुशील जी शर्मा, दैनिक प्रदेश टुडे के ग्रुप एडिटर देवेश जी कल्याणी और हैदराबाद के स्वतंत्र टीवी समाचार चैनल के कार्यकारी संपादक विश्वनाथन जी ने प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर दिए। कान्क्लेव का संयोजन आईआईएमटी विश्वविद्यालय मेरठ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रो. (डा.) नरेन्द्र मिश्र ने किया।
यह जानकारी श्री सुदर्शन शिशुलकर प्रांतीय प्रचार सयोजक ने दी।