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राशन घोटाला : कोलकाता में राशन घोटाला मामले में ED का एक्सन, कई ठिकानों पर मारा छापा

राशन घोटाला : पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में ईडी की टीम ने 13 फरवरी की सुबह कई ठिकानों पर छापा मारा. जानकारी के मुताबिक ईडी ने ये रेड राशन घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में मारी है. फिलहाल प्रवर्तन निदेशालय की टीम आधा दर्जन ठिकानों पर जांच कर रही है.

ED की टीम ने कई जगहों पर मारी रेड

बता दें क अधिकारी ने जानकारी दी है कि केंद्रीय बलों को से साथ अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय बलों के साथ ED की टीम ने साल्ट लेक, काइखली, मिर्जा गालिब स्ट्रीट, हावड़ा जैसे कई अन्य जगहों पर रेड मारी है. उन्होंने ये भी बताया कि मामले के सम्बन्ध में व्यवसायी, घोटाले में गिरफ्तार किये गए लोगो से जुड़े लोगों से पुछताछ की जा ही है.

TMC नेता और राज्य मंत्री को किया गिरफ्तार

ED अधिकारी ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि ये रेड राशन वितरण घोटाले से जुड़े हैं. मामले में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के बाद इनके शामिल होने की सूचना मिली है. जांच एजेंसी ने पश्चिम बंगाल के कोलकाता में राशन वितरण में घोटाले के मामले में कथित रूप से शामिल हेने के कारण राज्य के एक मंभी और TMC नेता को गिरफ्तार किया है.

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि ये पूरा मामला कोलकाता में राशन वितरण से जुड़ा है. जांचकर्ताओं और बंगाल बीजेपी नेताओं के मुताबिक ये घोटाला एक हजार करोड़ से कम का नहीं है. उन्होंने मामले के सम्बन्ध में ये दावा किया है कि यह घोटाला पिछले कई दशकों से चल रहा है और कोराना काल में इसमें तेजी आई है. केंद्र सरकार के ओर से सूचीबद्ध चावल और आटा मिलों खरीदे गए गेंहू पिसने के लिए भेजा जाता है. इसके बाद पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत उचित दामों में दुकानों से लाभार्थियों को दिया जाता है. सरकारी वितरक मिल के मालिकों से गेंहू लेते हैं और उसे राशन की दुकानों में आपूर्ति करते हैं. सभी वितरको के लिए एक क्षेत्र निर्धारित किया जाता है कि वे कितने दुकानों पर अनाजों का वितरण करेंगें, साथ ही वे कितनी मात्रा में अनाजों की खरीदारी कर सकते है ये भी तय किया होता है. इसके अलावा रसीदोँ पर डिलीवरी का जिक्र किया जाता है, लेकिन इस पूरे मामले में वितरकों ने मिल के मालिकों के साथ मिलकर राशन के दुकानों में डिलीवरी के लिए मिलों से पहले से तय किये गए मात्रा से कम राशन लिया. जांच एजेंसियों ने दावा किया है कि इससे राशन वितरण में 20-40 प्रतिशत का नुकसान हुआ है.