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सुप्रीम कोर्ट में 19 मार्च को CAA पर होगी सुनवाई

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने सीएए कानून पर रोक की मांग को लेकर याचिका दायर की थी. वहीं अब सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को नागरिकता संशोधन कानून(CAA) के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट 19 मार्च को सीएए के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा.

आईयूएमएल ने दायर की याचिका

केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन नियम जारी करने के एक दिन बाद केरल के राजनीतिक दल आईयूएमएल ने नियमों के लागू होने पर रोक लगाने की मांग की. जिसको लेकर आईयूएमएल ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. आईयूएमएल ने मांग की कि इस कानून पर रोक लगान की आवश्यकता है और इसके माध्यम से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए. वहीं सीएए के खिलाफ आईयूएमएल के अलावा असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैका और असम से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी रोक लगाने को लेकर याचिका दायर की है.

याचिका में कही गई ये बात

केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद आईयूएमएल ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. आईयूएमएल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि सीएए कानून स्पष्ट रूप से मनमाने हैं और केवल उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर व्यक्तियों के एक वर्ग के पक्ष में अनुचित लाभ पैदा करते हैं, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत अनुमति योग्य नहीं है. साथ ही यह भी कहा गया कि सीएए धर्म के आधार पर भेदभाव करता है, यह धर्मनिरपेक्षता की जड़ पर हमला कर रहा है, जो संविधान की मूल संरचना है.

Supreme Court: क्या है CAA कानून?

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून 11 दिसंबर 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था और इसके अगले दिन राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई. सीएए 10 जनवरी 2020 को लागू हुआ. इस कानून के तहत उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता देने का काम करता है, जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भागे और उन्होंने 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत में शरण ली थी.